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बिना मैच फीस दो सीजन से खेल रहे हैं रणजी खिलाड़ी

बीसीसीआई ने दो सत्र से अपनी वार्षिक रेवेन्यू का निर्धारित 10. 6 प्रतिशत हिस्‍सा रणजी खिलाड़ियों नहीं दिया है.

FP Staff

भारतीय क्रिकेट में रणजी ट्रॉफी सबसे बड़ा घरेलू टूर्नामेंट है और इसमें खेलने वाले अधिकतर खिलाड़ी को अच्छी खासी रकम भी मिलती है, लेकिन रणजी खिलाड़ी पिछले दो सत्र से इस रकम का इंतजार कर रहे हैं, जो बीसीसीआई अभी तक नहीं दे पाई है. द इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक बीसीसीआई ने दो सत्र से अपनी वार्षिक रेवेन्यू का निर्धारित 10. 6 प्रतिशत हिस्‍सा इन खिलाड़ियों नहीं दिया है. गौरतलब है नई सैलेरी योजना के अनुसार बीसीसीआई अपने वार्षिक रेवेन्यु का 26 प्रतिशत खिलाड़ियों को देगी. जिसमें 13 प्रतिशत अंतरराष्ट्रीय क्रिकेटर्स, 10.6 प्रतिशत घरेलू क्रिकेटर्स को और बचा हुआ हिस्‍सा महिला खिलाड़ियों और जूनियर क्रिकेटर्स को दिया जाता है.

सीओए और राज्‍य क्रिकेट संघों के बीच तनातानी का कारण लोढ़ा समिति की सिफारिश को लागू करना 


रिपोर्ट के मुताबिक खिलाड़ियों को यह रकम ना मिलने के पीछे सुप्रीम कोर्ट की ओर से गठित की गई बीसीसीआई की प्रशासकीय समिति (सीओए) और राज्य क्रिकेट संघों के बीच लोढ़ा समिति की सिफारिशों को लागू करने को लेकर तनानतनी को माना गया है. मुंबई के कप्तान आदित्य तारे ने भी इस बात की पुष्टि करते हुए कहा है कि उन्हें भी यह फीस नहीं मिली है. उन्होंने कहा कि बतौर पेशेवर क्रिकेटर को सही समय पर जिसका वह हकदार है, उसे मिलना चाहिए.

जम्‍मू कश्‍मीर टीम के हालात और भी बुरे

इसके अलावा जम्मू कश्मीर जैसी कुछ टीमों के हालात तो इससे भी बुरे हैं. पूर्व भारतीय खिलाड़ी और जम्मू कश्मीर के सीनियर क्रिकेटर परवेज रसूल का कहना है कि उनकी टीम को पिछले तीन साल से अपनी घरेलू संघ और बीसीसीआई की ओर से कोई भी रकम नहीं मिली है. रसूल ने कहा कि घरेलू क्रिकेट खेलने के लिए हम लोग पांच सितारा होटल में ठहरते हैं, लेकिन खाने पर खिलाड़ियों को खुद का पैसा खर्च करना पड़ता है. पिछले तीन साल से हमे रोजना का खर्चा भी नहीं मिला. नेशनल क्रिकेट एकेडमी के चेयरमैन निरंजन शाह ने कहा कि सीओए को अपनी ताकत का इस्तेमाल करते हुए घरेलू क्रिकेटर्स को फीस देनी चाहिए.