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सुकून देता है इस ‘गुरबानी’ के सामने बल्लेबाजों का मत्था टेकना

रणजी के सफल सीजन के बाद रजनीश गुरबानी ईरानी कप में भी विदर्भ की जीत में अहम कड़ी रहे

Jasvinder Sidhu

भारत में बल्लेबाज ही स्टार है. कितने गेंदबाज हैं जो विज्ञापनों में बल्लेबाजों को मात देते दिखे हों. हालांकि यह साबित सच है कि सपाट और पाटा पिचों पर खुद को कामयाब गेंदबाज के रूप में पेश करना आसान नहीं है.

स्पिनरों को मदद मिल जाती है क्योंकि टीम घरेलू हो या देश की, कप्तान को पता है कि आधी अधूरी तैयार पिच पर स्पिनर उसे मैच जिता कर दे सकते हैं. तेज गेंदबाजों से साथ या तो उनकी अपनी काबिलियत ही माई-बाप है या फिर उनका जुनून.


इस लिहाज से पिछले करीब तीन महीने के दौरान एक तेज गेंदबाज ने इन सब परिस्थितियों में खुद अव्वल नंबर से पास हो कर दिखाया है. ईरानी कप में शेष भारत के खिलाफ विदर्भ तेज गेंदबाज रजनीश गुरबानी के मैच जिताने में अहम रहे चार विकेट महज उस सिलसिले की वह कड़ी हैं जो उन्होंने इस सफल रणजी सीजन में शुरू किया था.

रणजी सीजन में भी रहे थे सफल

‘यह मेरा सबसे बेहतरीन साल है. मैं खुश हूं कि जिस तरह का सीजन मैंने सोचा था, मेरे लिए यह वैसा ही रहा है,’ फर्स्ट पोस्ट हिंदी से बातचीत करते समय गुरबानी के आत्मविश्वास और संतोष को महसूस किया जा सकता था.

135-140 प्रतिघंटा की रफ्तार और दोनों तरफ बॉल को मूव कराने की काबिलियत के सामने रणजी सेमीफाइनल की दूसरी पारी में कर्नाटक के  सात बल्लेबाज पेशे से सिविल इंजीनियर गुरबानी की बही में चढ़े थे.

उस लूट से साथ गुरबानी ने विदर्भ को इतिहास के पन्नों में जगह के दिलाई और विदर्भ पहली बार रणजी ट्रॉफी के फाइनल में पहुंचा. फाइनल में गुरबानी की पहली पारी की हैट्रिक सहित 6 विकेट ने दिल्ली को तार-तार कर दिया और विदर्भ के चैंपियन बनने के साथ गुरबानी से रणजी सीजन 39 विकेटों से साथ खत्म किया.

गुरबानी बताते हैं कि उनकी आउट स्विंगर काफी कामयाब थी. वह इनस्विंगर करते थे, लेकिन उसमें निरंतरता नहीं थी. कोच सुब्रतो बनर्जी ने उनकी आउट स्विंगर पर काफी काम किया और इस सीजन में यह उनका सबसे कारगर हथियार साबित हुई.

फिटनेस पर किया है काम

गुरबानी के साथ भी वही हुआ जो भारतीय पिचों पर हर गेंदबाज के साथ होता है. सपाट पिचों पर गेंदबाजी उनके लिए थका देने वाली थी. वह कुछ ओवर का स्पैल डालने के बाद ही थक जाते थे.

गुरबानी बताते हैं कि उन्होंने अपनी फिटनेस पर काफी काम किया है. पिछले एक साल से वह अपने शरीर को इन पिचों पर लंबे स्पैल डालने के लिए तैयार कर रहे हैं और इस मेहनत का नतीजा उन्हें मिला है.

गुरबानी के पिता भी इंजीनियर हैं और जब बेटे ने क्रिकेट को पेशे के तौर पर लेने का फैसला सुनाया तो वह परेशान हो गए. उनके जेहन में यह बात थी कि गेंदबाजों का भारत में क्या भविष्य हो सकता है. लेकिन उन्होंने बेटे को सपना जी लेने की आजादी दे दी.

यह सही है कि भारत में घरेलू क्रिकेट में जबरदस्त प्रदर्शन टीम इंडिया के टिकट की गारंटी नहीं है लेकिन गुरबानी इसे लेकर चिंतित नहीं हैं. गुरबानी की गेंदबाजी को करीब से देखने वालों की नजर में इस बॉलर में गजब का तेज गेंदबाजों वाला दिमाग है.

विदर्भ के कोच और पूर्व पेसर सुब्रतो बनर्जी कहते हैं कि इस गेंदबाज से साथ काम करना और नतीजे हासिल करना काफी आसान है. सबसे बड़ी बात उसे हर ओवर में विकेट निकालने की दीवानगी है. ऐसा गेंदबाज कहीं भी फेल नहीं होता.