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चैंपियंस ट्रॉफी में भी जारी रहा अश्विन का फ्लॉप शो, अब ऐसे नंबर वन गेंदबाज का क्या फायदा?

क्या वनडे क्रिकेट के लायक हैं आर अश्विन?

Lakshya Sharma

चैंपियंस ट्रॉफी में कुछ नया करूंगा. मैं टीम के लिए कुछ नया जरूर लेकर आऊंगा'. ये शब्द हैं भारत के नंबर वन स्पिनर अश्विन के, लेकिन चैंपियंस ट्रॉफी के लिए रवाना होने से पहले. अश्विन ने इंग्लैंड जाने से पहले कहा था कि 30 गज के भीतर चार फील्डर रहने और दोनों छोर से दो नई गेंद के नियमों ने गेंदबाज को कुछ नया सोचने को मजबूर किया है और मैंने इसके लिए काफी मेहनत की है.

लेकिन चैंपियंस ट्रॉफी में अश्विन का प्रदर्शन सिर्फ ये दिखाता है कि उन्होंने जितनी मेहनत की थी उसका फायदा तो उन्हें अब तक नहीं मिला है. शायद अश्विन ये भूल गए कि वह ये टूर्नामेंट इंग्लैंड में खेल रहे हैं ना केवल भारत में. शायद हो सकता है कि उनकी रणनीति में कुछ कमी रह गई. अश्विन को ये बोलने से पहले मैदान पर दिखाना चाहिए था कि उनमें क्या काबिलियत है.


आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी में अश्विन का प्रदर्शन बिल्कुल घटिया रहा. अश्विन को सिर्फ तीन मैच खेलना का मौका मिला लेकिन उन मैचों में वह एक ही विकेट ले पाए. तीन मैचों में उन्होंने 29 ओवर गेंदबाजी करते हुए 167 रन लुटा दिए. इस दौरान उनकी इकॉनोमी 5.75 की रही. जिस टीम का नंबर वन गेंदबाज ऐसा प्रदर्शन करेगा तो जीत की उम्मीद कैसी की जा सकती है. फाइनल में तो उन्होंने 10 ओवर की गेंदबाजी में 70 रन लुटा दिए. पाकिस्तानी बल्लेबाजों ने उन्हें जिस तरह खेला, उससे तो यही लगा कि वह किसी क्लब के गेंदबाज के खिलाफ बल्लेबाजी कर रहे हैं.

चैंपियंस ट्रॉफी में ही क्यों अश्विन कभी भी वनडे में सहज नजर नहीं आए. वनडे वर्ल्डकप के बाद से अश्विन ने केवल 12 वनडे खेले हैं. और उनमें उन्होंने केवल 13 ही विकेट लिए हैं, वह भी 36 की खराब औसत से. अश्विन के साथ परेशानी ये हैं कि वह ना तो रन रोक पाते हैं और ना ही विकेट ले पाते हैं.

आपको याद होगा कि धोनी ने कई बार अश्विन को वनडे टीम से बाहर बैठाया है. जिस वजह से दोनों के बीच रिश्ते खराब होने की बात भी सामने आई थी. लेकिन अब कोहली की कप्तानी में भी वह अपने प्रदर्शन में सुधार नहीं करते हैं तो कोहली अगर उन्हे टीम से बाहर कर दें तो चौंकिएगा मत.

चैंपियंस ट्रॉफी में भी अश्विन अपनी लय में नहीं दिखे. पहले तो ये दलील दी जा सकती थी कि अश्विन थके हुए हैं, वह काफी क्रिकेट खेल रहे हैं. लेकिन अब तो वह दो महीने के आराम के बाद वापसी कर रहे थे. इस टूर्नामेंट में उन्होंने जिस लाइन और लैंथ से गेंदबाजी की उससे हर कोई हैरान है. इतनी डिफेंसिव गेंदबाजी तो कोई पार्ट टाइमर भी नहीं करता जैसा अश्विन ने की है. अश्विन इस टूर्नामेंट में पूरी तरह फिट भी नहीं दिखे. ये बात तो उनकी गेंदबाजी के साथ साथ फील्डिंग में भी दिखी.

अश्विन की गेंदबाजी देखे तो साफ नजर आता है कि वह सिर्फ रन रोकना चाहते हैं. वह लगातार लेग स्टम्प पर गेंदबाजी कर रहे हैं जिससे उनकी गेंद पर चौका या छक्का नहीं लग सके अब अश्विन जिस लैंथ से अश्विन कभी कभी रन तो रोक लेते हैं लेकिन उनका मुख्य काम विकेट लेने का है. अभी अश्विन लेग स्टम्प पर गेंदबाजी करते हुए सिंगल देने की रणनीति अपना रहे हैं, लेकिन ओवर में एक खराब गेंद और उस गेंद पर बाउंड्री लगने के बाद टीम को ज्यादा नुकसान हो रहा है.

अश्विन को समझना होगा कि उनकी भूमिका एक आक्रामक गेंदबाज की है. अगर वह थोड़े ज्यादा रन देकर 3 टॉप ऑर्डर के भी विकेट ले तो भी टीम इंडिया के लिए ये फायदा का सौदा है. इस टूर्नामेंट में उन्होंने ना तो अपनी गेंदों में फ्लाइट दी और ना ही बल्लेबाजों को चकमा देने की कोशिश की.

अब अश्विन को खुद ये सोचना होगा कि वह कब तक पिछले प्रदर्शन की बदौलत खेतते रहेंगे. अगर वह अच्छा प्रदर्शन नहीं करते हैं तो जल्दी ही उनकी टीम से छुट्टी हो सकती है.