सत्तर के अंत और अस्सी के दशक की शुरुआत में दिल्ली के एनआईएस में एक क्रिकेटर की धमक हुआ करती थी. एनआईएस मतलब नेशनल स्टेडियम, जिसे हॉकी के लिए जाना जाता है. लेकिन यहां क्रिकेट की भी बड़ी नर्सरी है. उस दौर में मॉडर्न स्कूल में पढ़कर निकला क्रिकेटर देश के लिए खेला था. क्रिकेट के साथ वो धमक राजनीति के साथ भी जुड़ती थी, क्योंकि उसके पिता बिहार के मुख्यमंत्री थे. क्रिकेटर का नाम कीर्ति आजाद, जो आज बीजेपी के विद्रोही सांसदों में गिने जाते हैं. कीर्ति के लिए राजनीति अब फुलटाइम जॉब है. लेकिन क्रिकेट से उनका जुड़ाव बरकरार है.
इस समय बिहार के एक और बड़े राजनीतिज्ञ का बेटा दिल्ली क्रिकेट में अपना नाम कर रहा है. सार्थक रंजन, जिन्हें कुछ समय पहले दिल्ली की टीम में शामिल किया गया. वो भी जब गौतम गंभीर राष्ट्रीय टीम में थे, तो सार्थक को लिया गया था. हालांकि अभी रणजी करियर की शुरुआत नहीं हुई है. अंडर-23 क्रिकेट में बड़े स्कोर करने वाले सार्थक रंजन की पहचान अभी उनके मां-बाप की वजह से हैं. वो बिहार के दबंग राजनेता राजेश रंजन के बेटे हैं, जिन्हें पप्पू यादव के नाम से ज्यादा जाना जाता है. पप्पू यादव अलग-अलग पार्टियों से सांसद रहे हैं. इस समय भी वो और उनकी पत्नी रंजीता रंजन सांसद हैं.
कुछ साल पहले एक और क्रिकेटर का नाम दिल्ली सर्किल में चल रहा था. वो थे तेजस्वी यादव. तेजस्वी एक समय दिल्ली की आईपीएल टीम के रिजर्व खिलाड़ी थे. लालू यादव के बेटे हैं तेजस्वी. आज की तारीख में उनकी पार्टी उन्हें बिहार का भविष्य बताती है और वो उप मुख्यमंत्री हैं. ये तीनों ही खिलाड़ी कभी न कभी एनआईएस से जुड़े रहे हैं. एनआईएस के कोच एमपी सिंह कहते हैं, ‘बिहार के राजनेताओं के लिहाज से देखा जाए, तो कीर्ति के बाद सबसे बड़ा नाम तेजस्वी था. वो अगर राजनीति में नहीं जाता, तो दिल्ली टीम से तो खेल ही सकता था.’ तेजस्वी उस दौर में एमपी सिंह की कोचिंग में ही खेलते थे. उनके मुताबिक, जब लालू जी दिल्ली आते थे, तब तेजस्वी का ध्यान क्रिकेट से हटकर परिवार में ज्यादा रहता था. धीरे-धीरे वह क्रिकेट से दूर और राजनीति के करीब होता गया.
सार्थक रंजन ने भी शुरुआत एमपी सिंह के साथ ही की थी. उनका कहना है, ‘पहले वो जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम में सीखता था. कुछ समय वो नेशनल स्टेडियम आया. लेकिन ज्यादा समय मेरे पास नहीं रहा.’ सार्थक शादाब खान के पास गए, जिनकी पूर्वी दिल्ली के कड़कड़डूमा में एकेडमी है. शादाब के अनुसार, ‘पहली बार वो आया था, तो बहुत मोटा था. साथ में दो बॉडी गार्ड थे. मैंने उनके पिता से कहा कि अगर क्रिकेट सीखना है, तो बॉडीगार्ड को छोड़ना होगा. उन्होंने मेरी बात मानी और उसके बाद सार्थक ने कड़ी मेहनत की.’ सार्थक ने क्रिकेट मे जरूर लंबी छलांग लगाई. अंडर-14 दिल्ली टीम के कप्तान थे, अंडर-19 में काफी रन बनाए. वो ओपनर हैं और इस वक्त दिल्ली टीम के साथ में हैं.
बिहार के अलावा भी एक राजनीतिक परिवार से जुड़े क्रिकेटर ने नेशनल स्टेडियम से नेशनल टीम तक जगह बनाई थी. वो अजय जडेजा थे. बस, फर्क यह है कि जडेजा क्रिकेट से राजनीति में नहीं गए हैं. कीर्ति और तेजस्वी दोनों राजनीति का हिस्सा बन चुके हैं और बिहार की बागडोर संभालना चाहते हैं. सार्थक की शुरुआत है और यह पता लगने में वक्त लगेगा कि वो क्रिकेट में ही रहते हैं या राजनीति में छलांग मार सकते हैं. हालांकि उनके कोच शादाब को ऐसा नहीं लगता. उनके मुताबिक, ‘आप देखिएगा, ये दिल्ली और इंडिया खेलेगा. ये हमारा नेक्स्ट सहवाग बन सकता है.’