पुणे में जिस तरह से भारतीय टीम को करारी हार का सामना करना पड़ा उसके बाद कई सवाल खड़े होना तय है. हार के बाद हम सभी ने हर पहलू पर बात की लेकिन शायद भारतीय टीम की सबसे बड़ी परेशानी किसी के सामने नहीं आ रही.
पहले टेस्ट में 333 रन के बड़े अंतर से ढाई दिन के अंदर हारने के बाद भारतीय टीम की ओपनिंग जोड़ी की नाकामी अब खुलकर सामने गई है. पुणे टेस्ट में एक बार भी अच्छी शुरुआत नहीं मिल पाई जिसका नतीजा बाद के बल्लेबाजों पर दबाव के रूप में नजर आया. ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ पुणे की हार को देखा जाए तो मुरली और राहुल की जोड़ी पहली पारी में ओपनिंग साझेदारी में 26 रन और दूसरी पारी में 10 रन ही जोड़ पाई.
न्यूजीलैंड, इंग्लैंड और बांग्लादेश के खिलाफ पिछली तीन सीरीज में ओपनिंग में कई खिलाड़ियों को आजमाया गया लेकिन स्थिति जस की तस बनी रही. इन सीरीज में लोकेश राहुल, मुरली विजय, शिखर धवन, गौतम गंभीर और पार्थिव पटेल को आज़माया गया लेकिन जिस अच्छी शुरुआत की जरूरत थी वह अब तक 10 टेस्ट मैचों में सिर्फ एक मैच में ही देखने को मिल पाई.
भारत ने इंग्लैंड के खिलाफ चेन्नई में हुए पांचवें और अंतिम टेस्ट में पहले विकेट के लिए 152 रन की साझेदारी की जो पिछले 10 टेस्टों में एकमात्र शतकीय साझेदारी थी. उस मैच में राहुल ने 199 और पार्थिव ने 71 रन बनाए थे. इसके बाद पार्थिव को किसी भी सीरीज में टीम में शामिल नहीं किया गया.
इंग्लैंड के खिलाफ सीरीज में पहले टेस्ट में मुरली और गंभीर ने पहली पारी में 68 और दूसरी पारी में शून्य रन जोड़े. इसके बाद गंभीर बाहर हो गए. दूसरे टेस्ट में पहली पारी में छह और दूसरी पारी में 16 रन की ओपनिंग साझेदारी हुई. इस टेस्ट में मुरली ने 20 और तीन तथा राहुल ने शून्य और 10 रन बनाए. तीसरे टेस्ट में 39 और सात रन की ओपनिंग साझेदारी हुई. मुरली और राहुल ने ओपनिंग की.
ये आंकड़े बताते है कि भारतीय टीम की कितनी बड़ी परेशानी है ओपनिंग. ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ पहले टेस्ट से ये बात सामने इसलिए क्योंकि लगातार भारतीय टीम जीत रही थी, लेकिन शायद अब वक्त आ गया है कि इसके ऊपर ध्यान दिया जाए क्योंकि अगर भारतीय टीम को अगर सीरीज में वापसी करनी है तो ओपनर्स को ही इसकी नींव रखनी पड़ेगी.