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आखिर क्यों पूर्व चेयरमैन नजम सेठी ने पीसीबी को अदालत में खींचने की धमकी दी!

नजम सेठी ने अपने कार्यकाल के दौरान उनके निजी खर्चो का विवरण जारी करने के लिए बोर्ड से माफीनामा मांगा है, नहीं तो वह अदालत का दरवाजा खटखटाएंगे

FP Staff

पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड (पीसीबी) के पूर्व चेयरमैन नजम सेठी ने बोर्ड के नए चेयरमैन एहसान मनी को तीन पेजों का कानूनी नोटिस जारी कर उन्हें मानहानि मामले के तहत अदालत में खींचने की धमकी दी है. नजम सेठी ने अपने कार्यकाल के दौरान उनके निजी खर्चो का विवरण जारी करने के लिए बोर्ड से माफीनामा मांगा है, नहीं तो वह अदालत का दरवाजा खटखटाएंगे.

वेबसाइट 'ईएसपीएन' के अनुसार पूर्व क्रिकेटर इमरान खान के प्रधानमंत्री बनने पर पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड नजम सेठी के इस्तीफे के बाद से अपने प्रत्येक विभाग का आंतरिक मूल्यांकन करने की प्रक्रिया में है. पाकिस्तान में प्रधानमंत्री ही पीसीबी का मुख्य सरंक्षक होता है. उल्लेखनीय है कि इमरान खान के साथ नजम सेठी के संबंध अच्छे नहीं थे. नए प्रशासन के लिए अपने पूर्ववर्तियों के ऐसे विवरण जारी करना असामान्य नहीं है.


हालांकि आमतौर पर यह मीडिया में जानकारी लीक होने के कारण होता है. इस बार पीसीबी ने सभी खर्चो की जानकारी अपनी वेबसाइट पर जारी की है. नजम सेठी तीन साल तक कार्यकारी समिति के प्रमुख थे. पिछले साल अगस्त में नजम सेठी शहरयार खान के स्थान पर पीसीबी के चेयरमैन बने. बोर्ड का कहना है कि इस दौरान उन्होंने चेयरमैन रहते हुए 7.195 करोड़ पाकिस्तानी रुपए खर्च किए थे.

इस पर नजम सेठी की ओर से जारी कानूनी नोटिस में कहा गया, 'ऐसी गलत और भ्रामक जानकारी जारी करने के लिए कोई वैध व्यावसायिक कारण नहीं है. यह नजम सेठी को बदनाम करने का इरादा है, जो इमरान खान के आदेश पर किया जा रहा है. ऐसे में आपको (एहसान मनी) और पीसीबी को सेठी से माफी मांगने और वेबसाइट पर जारी इस जानकारी को हटाने के लिए कहा जाता है. यदि आप ऐसा नहीं कर पाते हैं, तो मानहानि अध्यादेश, 2002 के तहत हमें उचित कार्रवाई शुरू करने का निर्देश दिया गया है.'

पीसीबी से जुड़ने से पहले नजम सेठी मशहूर पत्रकार था. लेकिन बाद में वह पाकिस्तान क्रिकेट में भी प्रभावशाली भूमिका निभाने लगे. कार्यकारी समिति की वैसे पीसीबी में कोई खास दखल नहीं था. कार्यकारी समिति की गठन 2014 में किया गया था और नजम सेठी को उसका पहला प्रमुख बनाया गया था. कार्यकारी समिति के पास फैसले लेने के कोई अधिकार नहीं थे. वो केवल पीसीबी को सलाह दे सकता है. लेकिन नजम सेठी के कार्यकाल में कार्यकारी समिति रोजमर्रा के फैसले लेने लगी थी.