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उफ्फ ! करियर के आखिरी पड़ाव पर यह कैसे रिकॉर्ड बना बैठे धोनी

वेस्टइंडीज के खिलाफ एंटीगा वनडे में धोनी की धीमी पारी ने तोड़े कई रिकॉर्ड

FP Staff

महेन्द्र सिंह धोनी, भारतीय क्रिकेट ऐसा बल्लेबाज जिसे धुआंधार बल्लेबाजी की पर्याय माना जाता है.  भारत में सीमित ओवरों के मुकाबलों में धोनी ने अपने बल्ले से आक्रामक बल्लेबाजी के तमाम कीर्तिमान बनाए हैं. टारगेट का पीछा करना हो तो धोनी को सर्वश्रेष्ठ फिनिशर माना जाता है. लेकिन अपने करियर के आखिरी पड़ाव पर धोनी जाने-अनजाने में धीमी बल्लेबाजी के ऐसे रिकॉर्ड बना गए हैं,जिन्हें उनके फैंस के साथ साथ वह खुद भी भूलना चाहेंगे.

रविवार को एंटीगा में भारत और वेस्टइंडीज के बीच खेल गए मुकाबले में धोनी ऐसे  रिकॉर्ड बना बैठे जो उनके चमकदार करियर में ग्रहण के समान होंगे. रविवार को कैरेबियाई टीम के खिलाफ 190 रन के टारगेट का पीछा करते हुए धोनी ने इतनी धीमी पारी खेली जो इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गई है.


सदगोपन रमेश के करीब पहुंचे धोनी

एंटीगा में अपनी पारी के दौरान धोनी ने धोनी ने एक छोर से पारी संभालते हुए 114 गेंदो पर 54 रन बनाए. धोनी ने अपना अर्धशतक पूरा करने के लिए 108 गेंदों का सामना किया. भारतीय क्रिकेट इतिहास का दूसरा सबसे धीमा अर्धशतक है. धोनी से पहले 1999 में टीम इंडिया के सदगोपन रमेश ने केन्या के खिलाफ वनडे मैच में 117 गेंदो में 50 रन बनाए थे.  इससे पहले धोनी ने सबसे धीमा अर्धशतक पाकिस्तान के खिलाफ 2013 में कोलकाता में बनाया था. उस अर्धशतक को बनाने में धोनी ने 88 गेंदें खेलीं थीं.

धोनी की अब तक की सबसे धीमी पारी

वेस्टइंडीज के खिलाफ मैच में धोनी ने 54 रन बनाए. उनके वनडे करियर में ये 149वां मौका था जब वे 25 से ज्यादा रनों की पारी खेली. पहली बार 25 से ज्यादा रन बनाने के बाद धोनी का स्ट्राइक रेट 50 से नीचे गया है. इससे पहले साल 2010 में न्यूजीलैंड के खिलाफ उन्होंने 50.66 की औसत से 75 गेंदो में 38 रन बनाए थे.

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बिना बाउंड्री लगाए खेली 100 गेंदे 

यही नहीं, ऐसा पहली बार हुआ कि धोनी एक पारी में 100 गेंद खेलने के बावजूद एक भी बाउंड्री नहीं लगा सके. धोनी ने 114 गेंदो पर 54 रनों की अपनी इस पारी के दौरान 100 से ज्यादा गेंद खेलने के बाद भी कोई बाउंड्री ना लगाने का रिकॉर्ड भी बना लिया है. 47.37 के स्ट्राइक रेट से खेलते हुए धोनी ने इस पारी में केवल एक चौका लगाया.

20 साल में पहली बार 190 रन का टारगेट नहीं पा सकी टीम इंडिया

यह पिछले लगभग 20 सालों में पहला मौका है जब भारत 190 या उससे कम लक्ष्य को हासिल करने में नाकाम रहा. इससे पहले 1998 में श्रीलंका के खिलाफ कोलंबो में 36 ओवरों के मैच में 172 रन के लक्ष्य का पीछा करते हुए भारतीय टीम 163 रन पर आउट हो गयी थी.