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पता है, बहुत जालिम है भारतीय क्रिकेटरों का जिस्म चूसने वाला यह 'यो-यो' टेस्ट!

पिछले एक साल से यो-यो टेस्ट कई क्रिकेटरों की टीम इंडिया में जगह को खा चुका है

Jasvinder Sidhu

हैदराबाद के बल्लेबाज अंबाती रायुडू के पिछले महीने खत्म हुई आईपीएल के रनों पर निगाह डालें तो यह उनके करियर का सबसे बेहतरीन सीजन रहा है.

16 मैचों में 149.75 की  स्ट्राइक रेट से एक शतक के साथ 602 रन चेन्नई सुपरकिंग्स के खिलाड़ी को आकर्षक बनाते हैं.


रायुडू को इंग्लैंड में तीन वनडे मैचों की सीरीज के लिए चुना गया. लेकिन टीम की रवानगी से ठीक पहले खबर आई कि वह टीम इंडिया के खिलाड़ियों के लिए जरूरी किए गए फिटनेस के कुख्यात यो-यो टेस्ट में फेल हो गए हैं.

पेशेवर क्रिकेट में प्रतिस्पर्धी मुकाबलों के लिए फिट होना किसी भी खिलाड़ी की पहली जरुरत है. इसमें कोई शक ही नहीं है.

लेकिन इस टेस्ट को लागू करने की जो प्रक्रिया है, वह कई सवाल खड़े करती है.

सवाल यह उठता है कि टीम में चुन लिए जाने के बाद किसी खिलाड़ी को यो-यो टेस्ट में फेल होने पर बाहर करना कितना तर्कसंगत है!

क्या यह सही नहीं होगा कि सिर्फ यो-यो टेस्ट पास करने वाले खिलाड़ियों पर ही टीम इंडिया में सेलेक्शन के लिए गौर किया जाए?

सवाल यह भी है कि कोई क्रिकेटर घरेलू क्रिकेट या फिर आईपीएल में लंबी पारियों या लंबे बॉलिंग स्पैल के बाद साल में सबसे श्रेष्ठ प्रदर्शन करता है लेकिन वह यो-यो टेस्ट में फेल हो जाता है तो क्या उसके साथ अन्याय नहीं होगा!

यो-यो टेस्ट के कुछ हैरान कर देने वाले फैसले भी इस पर बहस करने की जरुरत पर जोर देते हैं.

मसलन कि आशीष नेहरा जैसा सीनियर क्रिकेटर इस टेस्ट को पास कर लेता है और सुरेश रैना जैसा फेल हो जाते हैं. या फिर महेंद्र सिंह धोनी मुस्कुराते हुए पूरा स्कोर बना लेते हैं लेकिन वॉशिंगटन सुंदर जैसे 18 साल के क्रिकेटर को यो-यो टेस्ट में नाकामी के कारण आस्ट्रेलिया के खिलाफ टी-20 सीरीज में बाहर बैठना पड़ता है.

इस टेस्ट में पारदर्शिता का भी अभाव है

अब तक आई खबरों के अनुसार इस यो-यो टेस्ट को पास करने का पैमाना 16.1 प्वॉइंट रखा गया है. यह सावर्जनिक होना चाहिए कि किस क्रिकेटर ने इस मानदंड से बेहतर किया या उसे छूआ या फिर नाकाम रहा!

अंबाती रायुडू का बाहर होना एक और सवाल खड़ा करता है कि कहीं यो-यो टेस्ट सेलेक्टरों की गलती को ठीक करने का जरिया तो नहीं हैं.

रायुडू इस बार की आईपीएल में रिषभ पंत और केएल राहुल के बाद तीसरे नंबर पर रहे.

इस बार के घरेलू वनडे क्रिकेट में उनका सबसे अधिक रन बनाने वाले 10 बल्लेबाजों में नाम नहीं था.

कर्नाटक के मंयक अग्रवाल टॉपर थे लेकिन वह जगह नहीं बना पाए. जाहिर है कि रायुडू के बाहर होने पर किसी के लिए रास्ता खुलेगा. संभव है कि वह वही खिलाड़ी हो जो कोच व कप्तान की योजना में फिट बैठता हो!

आखिर क्या बला है यो-यो टेस्ट !

सीधे शब्दों में कहा जाए तो एक बीप बजेगी और उसके साथ की खिलाड़ी को मैदान पर पहले से तय ड्रिल में खुद को झोंक पर अपने जिस्म की लचीलेपन, क्षमता और फुर्ती को प्रमाण देना है.

इस टेस्ट में सॉफ्टी आइसक्रीम के कोन जैसे प्लास्टिक के कई कोन से बीस मीटर की दूरी पर दो लाइन बनाई जाती है. खिलाड़ी को बीप बजने और उसके थमने तक इन दो लाईन में दौड़ के अलावा रुकने, मुड़ने व झुकने की कई ड्रिल्स को पूरा करना होता है.

इस टेस्ट में सबसे बड़ी चुनौती है बीप की स्पीड में लगातार होने वाला इजाफा. जैसे -जैसे बीप की आवाज तेज होती जाएगी, खिलाड़ी को भी अपनी स्पीड बढ़ानी होती है और टेस्ट में पास होने के लिए जरुरी समय से पहले मंजिल हासिल करनी पड़ती है.

यहां पास होने का पैमाना 16.1 का स्कोर है जो कि ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों के 20 की तुलना काफी रियायती है.