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धोनी साहब मान भी लीजिए... अब आप फिनिशर नहीं रहे!

पिछले 2 साल में धोनी के प्रदर्शन में आई जबरदस्त गिरावट

Lakshya Sharma

एक समय था जब धोनी को दुनिया का सबसे खतरनाक फिनिशर माना जाता था. अगर एक ओवर में 20 रन भी बनाने हो तो धोनी पर विश्वास किया जाता था कि वह अपनी टीम को जीत दिला देंगे. लेकिन अब समय बदल चुका है. धोनी की उम्र भी 35 के करीब हो चुकी है.

अब सच्चाई तो ये भी है कि उम्र का असर उनकीं बल्लेबाजी पर साफ दिख रहा है. अगर कोई थोड़ा बहुत भी क्रिकेट का शौकिन होगा वह इस समय धोनी को देखकर बता देगा कि धोनी अब अनहोनी को होनी में नहीं बदल सकते.


वेस्टइंडीज के खिलाफ उनकी पारी देखकर इस बात का अंदाजा लगा सकते हैं कि धोनी अपने करियर के आखिरी पड़ाव में संघर्ष कर रहे हैं. आप खुद सोचिए 5 साल पहले आप सोच सकते थे कि धोनी 100 गेंद खेल लें और एक भी बाउंड्री ना लगाए.

ऐसा तो आप शायद सपने भी ना सोचे लेकिन अब धोनी के साथ ये खराब रिकॉर्ड भी जुड़ गया. धोनी ने वेस्टइंडीज के खिलाफ चौथे वनडे में 114 गेंद पर केवल 54 रन बनाए. यानि 50 से भी कम की स्ट्राइक रेट से. धोनी ऐसी बल्लेबाजी तो टेस्ट मैचों में भी नहीं करते थे.

साल 2015 में पता चल गया था कि धोनी का जादू खत्म हो रहा है!

असल में धोनी के बुरे वक्त की शुरुआत हुई साउथ अफ्रीका के खिलाफ साल 2015 में हुई वनडे सीरीज में. 5 वनडे मैचों की सीरीज में 2 बार ऐसे मौके आए जब भारत को जीत के लिए आखिरी ओवर में 10 से कम रन चाहिए थे और क्रीज पर धोनी थे. लेकिन दोनों मौको पर धोनी फेल हुए और टीम इंडिया को हार का सामना करना पड़ा.

इसके बाद ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ वनडे सीरीज में भी वह 5 ओवर में केवल 85 रन ही बना पाए. इसके बाद 2016/17 में न्यूजीलैंड के खिलाफ घरेलू सीरीज में उन्होंने रन तो बनाए लेकिन 5 मैच बाद भी उनकीं स्ट्राइक रेट 75 के करीब की रही.

बात अब साफ हो चुकी है कि धोनी अब उस तरह के फिनिशर नहीं रहे जैसा वह कभी हुआ करते थे उन्होंने वेस्टइंडीज के खिलाफ ऐसा करने की कोशिश की लेकिन नाकाम हो गए. मैच को आखिरी ओवर तक ले जाने और फिर अचानक एक बड़ा शॉट लगाने की जो धोनी की खूबी थी, वह अब खत्म हो चुकी है.

धोनी के साथ सबसे बड़ी परेशानी ये भी है कि पहले वह आसानी से स्ट्राइर रोटेट करते रहते थे. एक रन को दो रन में तब्दील करना उनकी खासियत थी. लेकिन अब धोनी के रिफ्लेक्शन भी धीमे हो गए है.

कई बार देखा गया है कि वह गेंद को सही तरीके से कनेक्ट तक नहीं कर पाए रहे. ऑफ साइड में शॉट खेलना उनकी कभी ताकत नहीं रही. अब तो शरीर पर आने वाली गेंद पर भी वह चकमा खा रहे हैं. गेंदबाज उन्हे लगातार शरीर पर गेंदबाजी कर रहे हैं लेकिन धोनी के पास इसका कोई तोड़ नहीं दिख रहा.

क्या धोनी 2019 वर्ल्डकप में टीम में जगह पाने के हकदार है?

अपने चरम पर भी धोनी को संपूर्ण बल्लेबाज नहीं माना गया. अब जब उनकी उम्र 35 के करीब है ऐसे में उनसे बल्लेबाजी अंदाज बदलने की बात करना जरा मुश्किल होगा. इसका एक अच्छा हल ये हो सकता है कि 'भारत को धोनी पर बहुत ज्यादा दबाव देने के बजाय नंबर 4 और 6 की समस्या को दूर करने की कोशिश करनी चाहिए.'

क्या धोनी विश्व कप 2019 तक नंबर 5 पर बल्लेबाजी के लिए उपयुक्त हैं? हाल फिलहाल को देखें तो इस बात पर यकीन नहीं होता. बेशक, वह शानदार विकेटकीपर हैं, उन्हें खेल की लाजवाब समझ है लेकिन उनकी बल्लेबाजी साथ नहीं दे रही. अन्य खिलाड़ियों के अलावा ऋषभ पंत भी अपनी पारी का इंतजार कर रहे हैं.

दिल्ली के इस युवा विकेटकीपर ने कई लोगों को प्रभावित किया है लेकिन हैरानी की बात है कि भारतीय टीम प्रबंधन उन्हें मौका देने से कतरा रहा है लेकिन अब धोनी को भी फैसला लेना है कि क्या उन्हें सच में लगता है कि वह 2019 वर्ल्डकप के लिए दूसरे विकेटकीपर बल्लेबाज से बेहतर है क्योंकि धोनी क ऐसा खिलाड़ी है जिसके बारे में कहा जाता कि जिस दिन उन्हें लगेगा कि वह टीम इंडिया के ऊपर बोझ बन रहे हैं तो वह संन्यास ले लेंगे. अब सच में ऐसा होता है या नहीं ये देखना दिलचस्प होगा.