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क्या अश्विन में मुरलीधरन के रिकॉर्ड्स तोड़ने का माद्दा है? जानिए आंकड़े क्या कहते है...

भारतीय उपमहाद्वीप के बाहर अश्विन का प्रदर्शन एक सामान्य गेंदबाज जैसा है, अगर मुलीधरन का रिकॉर्ड तोड़ना है तो अश्विन को विदेशों में भी विकेट चटकाने होंगे

FP Staff

भारतीय कप्तान विराट कोहली तेज रफ्तार के साथ बल्लेबाजी के तमाम रिकॉर्ड अपने नाम करते जा रहे हैं. लेकिन पिछले दिनों नागपुर टेस्ट के दौरान भारत के फिरकी गेंदबाज आर अश्विन ने भी एक जोरदार रिकॉर्ड अपने नाम किया. अश्विन ने श्रीलंका के खिलाफ खेले गए मुकाबले में 300 वां विकेट हासिल किया और टेस्ट क्रिकेट में यह मुकाम हासिल करने वाले वह सबसे तेज गेंदबाज बन गए. उनसे पहले यह रिकॉर्ड  ऑस्ट्रेलिया के तेज गेंदबाज डेनिस लिली के नाम था जिन्होंने 56 मैचों में यह उपलब्धि हासिल की थी. अश्विन ने 54 मुकाबलों में यह मुकाम हासिल करके वर्ल्ड रिकॉर्ड बना दिया.

अश्विन से सामने हैं मुरलीधरन के रिकॉ्र्ड


अब सवाल यह है कि क्या अश्विन आगे भी ऐसा रिकॉर्डतोड़ प्रदर्शन जारी रख पाएंगे. इससे आगे 350 से लेकर 800 विकेट तक सभी रिकॉर्ड श्रीलंका के गेंदबाज मुथैया मुरलीधरन के नाम हैं. यानी अब अश्विन का कंपटीशन मुरलीधरन से है. सबसे तेज 300 विकेट का रिकॉर्ड बनाने के बाद अश्विन ने कहा था वह अपने विकेट्स की संख्या की डबल होते हुए यानी 600 तक पहुंचते हुए देखना चाहते हैं. अश्विन 600 विकेट तो हासिल कर सकते हैं लेकिन उस मुकाम को हासिल करने में उनकी यह रिकॉर्ड तोड़ तेजी बरकरार रह पाएगी इस बात पर संदेह है.

संदेह इसलिए नहीं है कि अश्विन की काबिलीयत कम हो बल्कि इसलिए है कि अश्विन आंकड़े उनके खिलाफ गवाही दे रहे हैं. दरअसल भारत के फ्यूचर टूर प्रोग्राम के मुताबिक अब टीम इंडिया को अगले दो साल में 16 टेस्ट मैच भारतीय उपमहाद्वीप से बाहर खेलने हैं. अश्विन के आंकड़े बताते हैं कि भारतीय उपमहाद्वीप में जहां उन्हें खेलना बल्लेबाजों के लिए दुष्कर कार्य है वहीं इसके बाहर अश्विन एक सामान्य से गेंदबाज बन जाते हैं.

विदेश में बेरंग हो जाती है अश्विन की फिरकी

उन्होंने विदेशी सरजमीं पर 20 टेस्ट मैचों में केवल 84 विकेट लिये हैं. इस तरह से उन्होंने विदेशों में प्रति टेस्ट 4.2 विकेट लिये हैं जबकि ओवरआल उनका यह औसत प्रति टेस्ट 5.5 है. अश्विन को विदेश में मिले  इन विकेटों में भारतीय उपमहाद्वीप के अन्य देशों (श्रीलंका और बांग्लादेश) में सात टेस्ट मैचों में लिये गये 43 विकेट भी शामिल हैं. जब हम इनमें से भारतीय उपमहाद्वीप में खेले गए टेस्ट मैचों को हटा दें तो  विदेशी धरती पर अश्विन के यह आंकड़े और ज्यादा सामान्य लगते हैं. अश्विन भारतीय उपमहाद्वीप से बाहर 13 टेस्ट मैचों में केवल 41 विकेट ले पाये हैं जो कि प्रति मैच 3.1 विकेट बैठता है.

भारत ने अगले साल जनवरी में साउथ अफ्रीका में तीन टेस्ट मैच खेलने हैं जहां अश्विन ने जो एकमात्र टेस्ट मैच खेला है उसमें उन्हें विकेट नहीं मिला. इसके बाद जुलाई-अगस्त में भारतीय टीम इंग्लैंड में पांच टेस्ट मैच खेलेगी. इस देश में अश्विन के नाम पर दो टेस्ट मैचों में महज तीन विकेट ही  दर्ज हैं.

दिसंबर में टीम इंडिया आस्ट्रेलिया दौरे पर जाएगी जहां अश्विन का प्रदर्शन अपेक्षाकृत बेहतर (छह मैचों में 21 विकेट) है. भारतीय टीम अगस्त 2019 में वेस्टइंडीज में भी तीन टेस्ट मैच खेलेगी. कैरेबियाई सरजमीं पर अश्विन ने अब तक चार मैचों में 17 विकेट हासिल किये हैं. बीसीसीआई अगर किसी अन्य सीरीज का प्रबंध नहीं करती है तो भारत अगले दो वर्षों में स्वदेश में केवल आठ टेस्ट मैच ही खेल पाएगा.

प्लेइंग इलेवन से भी हो सकते हैं बाहर

अश्विन अगर विदेशों में घर जैसा प्रदर्शन नहीं दोहरा पाते हैं तो उन्हें अंतिम एकादश से बाहर बैठना पड़ सकता है जैसा कि पहले भी होता रहा है. अश्विन के डेब्यू  के बाद टीम इंडिया भारत उपमहाद्वीप में जो 41 टेस्ट मैच खेले उन सभी में यह आफ स्पिनर अंतिम एकादश में शामिल था. इन मैचों में अश्विन ने 259 विकेट लिये. उपमहाद्वीप से बाहर इस बीच भारत ने जो 21 टेस्ट मैच खेले उनमें से आठ में अश्विन को अंतिम एकादश में नहीं चुना गया था.

अगर अश्विन की विकेट्स की तेजी पर बात करें तो उन्होंने अपने पहले 50 टेस्ट विकेट नौ टेस्ट मैच में लिये थे लेकिन विदेशी सरजमीं पर खेले गये पहले नौ मैचों में उनके नाम पर केवल 24 विकेट दर्ज थे. उन्होंने 18वें टेस्ट में 100 विकेट लेकर नया भारतीय रिकार्ड बनाया था और फिर अगले 100 विकेट लेने के लिये 19 टेस्ट मैच खेले थे लेकिन 200 से 300 विकेट तक वह केवल 17 टेस्ट मैचों में पहुंच गये थे. इस गति से वह 72 टेस्ट मैच तक 400 विकेट तक पहुंच जाएंगे. यह वही संख्या है जितने मैचों में मुरलीधरन ने यह आंकड़ा छुआ था. इसके बाद हालांकि श्रीलंकाई दिग्गज ने विकेट लेने की अपनी गति बढ़ा दी थी.

बीसीसीआई को अपनी अगली विशेष आम सभा (एसजीएम) में एफटीपी पर भी चर्चा करनी है और अगर 2019 के बाद के कार्यक्रम में भारतीय टीम को स्वदेश में अधिक मैच खेलने को मिलते हैं तो फिर अश्विन कई अन्य रिकार्ड अपने नाम कर सकते हैं. लेकिन उससे पहले अश्विन को विदेशी धरती और कासतौर से भारतीय उपमहाद्वीप के बाहर अपनी विकेट निकालने की क्षमता में इजाफा करना होगा तभी वह भारत के लिए गेंदबाजी के विराट कोहली बन पाएंगे.

(इनपुट: भाषा)