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IPL 2018: आईपीएल की सबसे कामयाब टीम का शानदार 'कमबैक'

दो साल के बैन के बाद अनुभवी खिलाड़ियों के साथ उतरी चेन्नई सुपर किंग्स की टीम ने तीसरी बार खिताब अपने नाम किया

Sachin Shankar

दो साल के प्रतिबंध के बाद इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) में वापसी कर रही चेन्नई सुपर किंग्स को ये साबित करना था कि आखिर क्यों वो आईपीएल इतिहास की सबसे कामयाब टीम है. रविवार को मुंबई के वानखेडे स्टेडियम में खेले गए फाइनल में चेन्नई सुपर किंग्स ने सनराइजर्स हैदराबाद को आठ विकेट से पराजित कर ये साबित भी कर दिया. चेन्नई की यह तीसरी खिताबी जीत है. इससे पहले वो 2010 और 2011 में खिताब अपने नाम कर चुकी है. इसी के साथ वह सबसे ज्यादा आईपीएल खिताब जीतने के मामले में मुंबई इंडियंस के बराबर पहुंच गई है. दोनों टीमों के नाम सबसे ज्यादा तीन-तीन खिताब हैं. यह चेन्नई का सातवां आईपीएल फाइनल था और उसके कप्तान महेंद्र सिंह धोनी का आठवां. चेन्नई का नाम आईपीएल इतिहास की सबसे सफल टीमों में इसलिए गिना जाता है, क्योंकि उसने नौ सीजन खेले हैं और सभी बार प्लेऑफ में जगह बनाई

टीम ने महेंद्र सिंह धोनी, सुरेश रैना और रवींद्र जडेजा को रिटेन किया था. इसके अलावा फॉफ डु प्लेसी और ड्वेन ब्रावो टीम में वापस आए. हरभजन भी इस बार टीम के साथ जुड़ें दो लंबे समय तक मुंबई इंडियंस के साथ रहे. शेन वॉटसन का चेन्नई सुपर किंग्स से जुड़ना इस बार उनके लिए खास रहा. इस ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेटर ने 2008 से 2015 तक राजस्थान रॉयल्स और पिछले दो सत्र में रॉयल चैलेंजर बैंगलोर का प्रतिनिधित्व किया था.


शेन वॉटसन

सुपर किंग्स से जुड़ने से पहले उन्होंने कहा था कि शुरुआत में यह थोड़ा अजीब सा होगा, लेकिन ढलने में ज्यादा समय नहीं लगेगा. वास्तव में शेन वॉटसन ने चेन्नई सुपरकिंग्स को अपना बनाने में ज्यादा समय नहीं लिया. अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से 2016 में संन्यास लेने वाले 36 साल के वॉटसन ने एक बार फिर दिखा दिया कि वह बड़े मैच के बड़े खिलाड़ी हैं और फाइनल जैसे मुकाबले में अनुभव का कोई विकल्प नहीं है. सनराइजर्स हैदराबाद ने पहले बल्लेबाजी का न्योता मिलने पर छह विकेट पर 178 रन बनाए. चेन्नई ने शेन वॉटसन के नाबाद 117 की मदद से दो विकेट पर 181 रन बनाकर तीसरी बार खिताब जीता. वॉटसन को नाबाद शतक के लिए मैन आफ द मैच चुना गया. उनके लिए यह पूरा सत्र बेहतरीन रहा.

उम्र नहीं रखती मायने

शेन वॉटसन, महेंद्र सिंह धोनी, सुरेश रैना और अंबाती रायुडू जैसे उम्रदाराज खिलाड़ियों के कारण इस टीम को डैड्स आर्मी कहा जा रहा था, लेकिन खिताब जीतकर उसने सबके मुंह बंद कर दिए. युवाओं का खेल माने जाने वाले इस टी-20 प्रारूप में जब किसी टीम के खिलाड़ियों की औसत उम्र 34 बरस के पार हो तो उसकी काबिलियत पर शक होना स्‍वाभाविक है. खुद धोनी 36 बरस के हैं जबकि अंबाती रायुडू 32, ड्वेन ब्रावो 34, फाफ डु प्‍लेसी 33, मुरली विजय 33, सुरेश रैना 31, शेन वॉटसन और हरभजन सिंह 37 बरस के हैं.

इससे भी कहीं बढ़कर इमरान ताहिर 39 साल के हैं. रायुडू ने 602, वॉटसन ने 555, धोनी ने 455, सुरेश रैना ने 445 रन बनाए और ब्रावो ने 14 विकेट लेकर शानदार प्रदर्शन किया. धोनी से मैच के बाद टीम में अधिक उम्र के खिलाड़ियों की मौजूदगी के बारे में सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि उम्र केवल नंबर है, लेकिन खिलाड़ी का पूरी तरह फिट होना जरूरी है. धोनी ने कहा, ‘हम उम्र के बारे में बात करते हैं, लेकिन फिटनेस अधिक महत्वपूर्ण है.

धोनी की करिश्माई कप्तानी

भारत के सबसे सफल कप्तानों में रहे धोनी का नेतृत्व भी इस टीम के लिए फायदेमंद रहा है. टीम को इतनी ऊंचाई तक ले जाने में उनका योगदान है. धोनी की खेल की समझ शानदार है. वह जानते हैं कब किस खिलाड़ी का कैसे उपयोग करना है. ऐसे में वह टीम की जीत में अहम भूमिका निभाते नजर आते हैं. यही नहीं उन्होंने अपने बल्ले से भी योगदान दिया. वह कई मौकों पर टीम को मझधार से निकाल कर लाए. रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर के खिलाफ महेंद्र सिंह धोनी (नाबाद 70) और अंबाती रायुडू (82) ने चेन्नई सुपर किंग्स को मुश्किल लग रही जीत तक पहुंचाया.

दोनों ने पांचवें विकेट के लिए 101 रन की साझेदारी की, जबकि चेन्नई के चार विकेट नौ ओवर में 74 रन पर गिर चुके थे. आखिरी ओवर में 16 रन की जरूरत थी. ड्वेन ब्रावो ने एंडरसन की पहली गेंद पर चौका और दूसरी पर छक्का लगाने के बाद अगली गेंद पर एक रन लिया. धोनी ने चौथी गेंद पर लांग ऑन में छक्का लगाकर रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर पर पांच विकेट से जीत दिलाई. धोनी 34 गेंद में एक चौके और सात छक्कों की मदद से 70 रन बनाकर नाबाद रहे. धोनी ने साबित कर दिया कि उन्हें विश्व के बेहतरीन फिनिशर्स में क्यों शुमार किया जाता है.

कुल मिलाकर इस खिताब को जीतकर चेन्नई सुपरकिंग्स ने ये साबित किया कि कमबैक का असली मतलब क्या होता है.