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IPL 2018: अपने स्‍टार्स की चमक में खोई रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर की उन्‍हीं खिलाड़ियों ने डुबो दी नैया

तीन बार रनरअप टीम रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर लगातार दूसरी बार प्‍लेऑफ में जगह नहीं बना पाई

Kiran Singh

रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर के पास ऐसे खिलाड़ियों की फौज है, जिनका डंका पूरे विश्‍व में बजता है. जिनके सामने उतरने से पहले हर गेंदबाज और बल्‍लेबाज खासतौर पर तैयारी करता है. ऐसे खिलाडि़यों की सेना होने के बावजूद भी बैंगलोर को हर बार मुंह की खानी पड़ती है. बैंगलोर की कमान जब रन मशीन विराट कोहली के पास है तो हर किसी को बड़े मुकाबले की उम्‍मीद होती है और जब टीम में  सुपरमैन एबी डिविलियर्स, विस्‍फोटक बल्‍लेबाज ब्रेंडन मैकलम, स्पिनर किंग युजवेंद्र चहल जैसे खिलाड़ी मौजूद है तो टीम की ताकत का अनुमान लगाया जा सकता है. इन खिलाड़ी को आईपीएल की हर फ्रेंचाइची अपने साथ जोड़ना चाहती है तो एक ही टीम के पास थोक के भाव दुनिया के बेहतरीन खिलाड़ी मौजूद है. इन सबके बावजूद आज तक आईपीएल की सबसे मजबूत दिखने वाली यह टीम खाली हाथ है.


विराट कोहली की आगुवाई वाली रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर लगातार दूसरी बाद प्‍लेऑफ में जगह नहीं बना पाई और छठें पायदान पर रहते हुए आईपीएल के इस सीजन में अपने सफर को खत्‍म किया. बैंगलोर को 14 में से 6 में जीत और 8 में हार नसीब हुई और अपने आखिरी मैच में कोहली, एबी डिविलियर्स, ब्रैंडन मैकलम से सजी बैंगलोर प्‍लेऑफ में जाने के लिए संघर्ष करती रही, लेकिन दुनिया के बेहतरीन खिलाड़ी होने के बावजूद भी टीम आईपीएल से बाहर हो गई. अपने पहले खिताब की तलाश कर रही बैंगलोर पिछले सत्र अंतिम स्‍थान पर रही थी, वहीं तीन बार खिताब के काफी करीब पहुंचकर खाली हाथ रह गई. 2009, 2011 और 2016 में बैंगलोर रनरअप रही, लेकिन कोई भी कोच, कप्‍तान और बड़ा खिलाड़ी इस टीम को खिताब तक नहीं दिलवाया पाया. इस सीजन में एक बार वहीं हुआ, जो पिछले कुछ सीजन में होता हुआ रहा है. दुनिया के बेहतरीन खिलाड़ी होने के बावजूद टीम का संतुलित नहीं होना और यही कारण इस बार भी टीम की असफलता का कारण बने.

कोहली और डिविलियर्स पर निर्भर पूरी टीम

टीम की हार का सबसे बड़े कारण में एक पूरी टीम कप्‍तान विराट कोहली और उप कप्‍तान एबी डिविलियर्स पर निर्भर दिखी. कोहली ने अपनी जिम्‍मेदारी को बूखबी निभाते हुए इस सीजन में 14 पारियों में 530 रन बनाए, वहीं एबी भी पीछे नहीं रहे और उन्‍होंने 11 पारियों में 480 रन जड़े. इन दोनों बल्‍लेबाजों ने अकेले अपने दम पर कई मैच जितवाए.

किंग्‍स इलेवन पंजाब के खिलाफ विराट कोहली ने पार्थिव पटेल के साथ बड़ी साझेदारी की और टीम को 10 विकेट के बड़े अंतर से जीत दिलाई थी. वही एबी ने राजस्‍थान के खिलाफ 53, हैदराबाद के खिलाफ 69, दिल्‍ली के खिलाफ नाबाद 72 और नाबाद 90 और चेन्‍नई सुपर किंग्‍स के खिलाफ 68 रन की बड़ी पारी खेली, लेकिन इनके अलावा कोई और बल्‍लेबाज अपनी लय में नहीं दिखा.

संतुलित प्‍लेइंग इलेवन चुनने में नाकामयाब रहे कप्‍तान और मैनेजमेंट

आरसीबी की हार जो सबसे बड़ा कारण रहा, वो है संतुलित प्‍लेइंग इलेवन का ना होना. जिसमें कप्‍तान विराट कोहली सहित टीम मैनेजमेंट पूरी तरफ से फ्लॉप रहा. बैंगलोर अपने पहले ही मैच में कोलकाता नाइट राइडर्स ने चार विकेट से हरा और दूसरे मैच में पंजाब के खिलाफ 4 विकेट से जीत दर्ज की. दोनों ही मैचों में कप्‍तान को अपने एक खिलाड़ी पर विशेष रूप से देखना चाहिए था और वह है सरफराज खान, जिन्‍होंने शुरुआती दो मैचों में पूरी तरफ से फ्लॉप रहे. मैकलम भी सिर्फ पहले ही मैच में चले, दूसरे में अपना खाता भी नहीं खोल पाए थे. युजवेंद्र चहल ने पहले मैच में 9.66 की इकोनॉमी से रन लुटाए और एक भी विकेट नहीं ले पाए थे, दूसरे मैच में भी उनकी इकोनॉमी 9.50 की थी और सिर्फ एक विकेट हासिल कर पाए थे. सरफराज ने सात मैचों में 10 की औसत से सिर्फ 51 रन ही बनाए. वहीं शुरुआती मैचों में भले ही मनदीप चले हो, उससे बाद वह अपनी लय को बरकरार नहीं रख पाए. अंतिम 8 मुकाबलों में उन्‍होंने 19, 14, 7, 21*, 13, -, 4, 3 रन की ही पारी खेली. मनदीप की गिरते प्रदर्शन के बावजूद उनको कप्‍तान ने टीम में बनाए रखा.

पार्थिव और मोइन को देरी से मौका

विराट कोहली और एबी के अलावा आरसीबी में अगर किसी तीसरे बल्‍लेबाज का बल्‍ला चल रहा था तो वह है पार्थिव पटेल, जिन्‍हें कप्‍तान ने काफी देरी से मौका दिया. बैंगलोर के नवें मुकाबले में पार्थिव ने इस सीजन का अपना पहला मैच खेला और पहले ही मैच में जोरदार अर्धशतकीय पारी खेल डाली. उन्‍हें पिछले 8 मैचों तक बैंच पर बैठाए रखने के बाद शायद अब कोहली इस पर जरूर पछताए रहे होंगे. पार्थिव ने बैंगलोर के अंतिम लीग मैच में भी 33 रन की पारी खेलकर टीम को मजबूत शुरुआत दी थी. वहीं मोइन अली को भी टीम में शामिल करने में कप्‍तान ने काफी देर कर दी. मोइन को 9 मैचों तक बाहर बैठाए रखा और मैकलम व डी कॉक को शामिल किया गया. मैकलम इस सीजन के दूसरे ही मैच से पूरी तरह से फ्लॉप रहे. इसके बावजूद कप्‍तान ने उनको शुरुआती मैचों में शामिल किया. मोइन को जैसे ही मौका मिला, उन्‍होंने खुद को साबित करते हुए सबसे मुंह पर ताला लगा दिया. एक मैच में तो अली ने 65 रन बनाने के साथ ही 7.36 की इकोनॉमी से 3 विकेट लेकर बैंगलोर को जीत दिलवाई.

चहल ने भी किया निराश

युजवेंद्र चहल ने भी इस सीजन में पूरी तरह से निराश किया. इस सीजन के पहले मैच से ही कप्‍तान उनके लय में लौटने का इंतजार करते रहे, लेकिन लीग के अपने अंतिम मैच तक वह अपनी पुरानी लय में नहीं लौट पाए. चहल ने इस सीजन में प्रदर्शन 29/0, 38/1, 22/2, 32/0, 22/2, 26/2, 29/0, 23/0, 29/0, 25/1, 28/2, 6/1, 28/1 और 26/0 पर रहा. शुरुआत के कुछ मैचों में खिलाड़ी में फॉर्म में लौटने का इंतजार किया जा सकता है, लेकिन लगातार खराब प्रदर्शन के बावजूद भी टीम में बनाए रखने का कोहली का यह फैसला शायद रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर के प्रशंसकों को समझ में नहीं आया.

बैंच पर बैठे इन खिलाड़ियों को भी देना चाहिए था एक मौका

जब टीम कप्‍तान और मैनेजमेंट में लगातार खराब प्रदर्शन कर रहे खिलाड़ियों को हर मैच में मौका दिया ही था, तो एक बार उन्‍हें बैंच पर बैठे अपने कुछ खिलाड़ियों की तरफ भी देख ही लेना चाहिए था, जिन्‍हे फ्रेंचाइजी ने घरेलू क्रिकेट में किए गए शानदार प्रदर्शन के दम पर खरीदा. बैंगलोर के ऐसे ही खिलाड़ियों में शामिल है पवन देशपांडे, जो पूरे सीजन सिर्फ बैंच पर ही बैठे रहे. आरसीबी ने घरेलू क्रिकेट में उनके शानदार प्रदर्शन के कारण उन्‍हें 20 लाख रुपए में खरीदा था, लेकिन इस खिलाड़ी को इस बार अपनी योग्‍यता दिखाने का मौका ही नहीं मिल पाया. कर्नाटक के देशपांडे ने घरेलू टीम में अभी तक 11 मैच खेले गए हैं और उसमे 67.20 की औसत से 336 रन बनाए हैं. इसमें उन्‍होंने दो अर्धशतक भी जड़े. ऐसी सूची में शामिल है कनार्टक ने अनिरुद्ध जोशी, जिन्‍हें भी एक मौके भी तलाश दी और कप्‍तान के पास इनको आजमाने का शुरुआत में मौका भी था. बिखरती बल्‍लेबाजी को ध्‍यान में रखते हुए जोशी को आजमाया जा सकता था, जिन्‍होंने अपने पिछले टी20 मैचों में 40*, 73* और 19* रन की पारी खेली.