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मोहल्ला क्रिकेट में इस आईपीएल जैसी अंपायरिंग हो तो खोपड़ियां फूटना तय है

आईपीएल के 11वें सीजन में अंपायरिंग का स्तर अच्छा नहीं रहा है और ग्राउंड अंपायर से लेकर टीवी अंपायर तक से गलतियां हुई हैं

Jasvinder Sidhu

अभी 17 मई की ही बात है. बेंगलुरु में रॉयल चैलेंजर्स और सनराइजर्स हैदराबाद का मैच था. छठे ओवर में एबी डिविलियर्स ने हैदराबाद के तेज गेंदबाज सिद्धार्थ कौल की सीधी बॉल को गजब टाइमिंग के साथ मिड-ऑन दिखा दिया. गेंद बाउंड्री के बिलकुल मुहाने पर गिरी थी. ग्राउंड के अंपायर के लिए तुरंत फैसला करना मुश्किल था. लिहाजा टीवी अंपायर को स्थिति साफ करने का कहा गया.

पहले रिप्ले में देखने के बाद ही साफ हो गया कि गेंद बाउंड्री से ठीक पहले गिरी है और वह छक्का नहीं चौका था. लेकिन टीवी अंपायर ने अपना फैसला देने में 7-8 मिनट का समय लिया.


हर फ्रेम में ही दिख गया था कि वह बाउंड्री ही है. लेकिन अंपायर कोई जोखिम नहीं लेना चाहता था, लिहाजा उसने लंबा समय लिया. इस बार की आईपीएल में जिस तरह की खराब अंपायरिंग हो रही है, उसे देखने के बाद किसी भी अंपायर का आत्मविश्वास डोल जाना लाजिमी है.

11वें सीजन में अंपायरों से कई बार हो चुकी है गलतियां 

अंपायरिंग के स्तर का हाल तो यह है कि 11वें सत्र में बहुत कुछ ऐसा हुआ है जो मोहल्ले के क्रिकेट में हो तो खोपड़ियां फूटने की नौबत आ जाए. 2018 के आईपीएल ने चौथे ही मैच में सात बॉल का ओवर भी देखा है. रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर के ऑस्ट्रेलियन बेन लॉफलिन 12वां ओवर डाल रहे थे, जब नाइजल लॉन्ग गेंदों की गिनती ठीक से करना भूल गए और बेन ने सात बॉल डालने के बाद अपना ओवर खत्म किया.

तर्क सही हो सकता है कि अंपयार भी इंसान है और उससे गलती हो सकती है. लेकिन हर आईपीएल मैच में पौने दो लाख रुपये की फीस पाने वाले अंपायरों से इस बार जो गलतियां हुई हैं, वह बेहद ही बचकाना हैं.

मुंबई इंडियंस के खिलाफ मैच में अंपायर ने कोलकाता नाइट राइडर्स के टॉम करेन की एक गेंद को नो बॉल करार दिया. रिप्ले में साफ दिखा कि करेन का आधे के करीब पांव क्रीज के अंदर था. लेकिन मैदानी अंपायर कड़ी निगाह रखने के बाद भी उसे पकड़ पाने में नाकाम रहा.

आईपीएल में अंपायरिंग कर रहे एक अंपायर बताते हैं कि यह सब दबाव का नतीजा है. दबाव है कि कोई गलती न हो और आईपीएल के करार पर कोई आंच न आए. इस सारी ऊहापोह में अंपायरों से गलतियां हो रहीं हैं. खासकर एलबीडब्ल्यू फैसलों में. हालत यह है कि मामूली से मामूली फैसले के लिए टीवी अंपायर की मदद ली जा रही है. यही कारण है कि टीवी अंपायर भी गलतियों से नहीं बचा है.

टीवी अंपायरों से भी हुई है गलतियां

ऐसा नहीं है कि सिर्फ अंपायर ही खराब अंपायरिंग के कारण निशाने पर हैं. रॉयल चैलेंजर्स और मुंबई इंडियन के बीच मैच में जसप्रीत बुमराह की गेंद पर उमेश यादव कैच आउट हो गए. अंपायर ने बॉलर की नो बॉल चेक करने के लिए बल्लेबाज को रोक लिया. लेकिन जो रिप्ले तीसरे अंपायर के लिए चलाया गया, उसमें यादव नॉन स्ट्राइकर एंड पर बतौर रनर खड़े थे. यहां प्रसारण करने वाली कंपनी भी भंयकर भूल कर बैठी.

दिल्ली के फिरोज शाह कोटला मैदान में एक मैच के दौरान आईपीएल के चेयरमैन राजीव शुक्ला से इस संवाददाता ने खराब अंपारिंग को लेकर सवाल किया.

शुक्ला ने स्वीकार किया कि इस बार कई गलतियां हुई हैं और अंपायरों की ग्रेडिंग पर उनके नतीजों का असर साफ दिखाई देगा. बकौल शुक्ला आईपीएल को आयोजित करने वाली कंपनी आईएमजी को भी इस बाबत आगाह कर दिया गया है. इस सब से अंपायरिंग ठीक होगी या नहीं,  यह अभी देखना बाकी है. लेकिन जिस तरह के खराब अंपायरिंग फैसले इस बार देखने को मिले हैं उससे साफ है कि 11 साल बीत जाने के बाद भी दुनिया की तथाकथित सबसे कामयाब लीग में वही ठीक नहीं है, जो क्रिकेट मैच को चलाने के लिए सबसे पहली जरूरत है.