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IPL 2018: असल मायनों में 'मैन ऑफ द मैच' हैं गौतम गंभीर

दिल्ली डेयरडविल्स की टीम के बारे में सोचते हुए गौतम गंभीर ने कप्तानी छोड़ी और खुद बेंच पर बैठे वो काबिले तारीफ है

Neeraj Jha

दिल्ली डेयरडेविल्स की कोलकाता नाइट राइडर्स पर 55 रन की जीत एक बदलाव का संकेत दे रही है. श्रेयस ने कमाल का डेब्यू किया और अपनी दमदार पारी से टीम को जीत दिलाई. जहां श्रेयस ने इस मैच में शानदार प्रदर्शन किया, वहीं दिल्ली डेयरडेविल्स के पिछले कप्तान गौतम गंभीर इस मैच में नहीं खेले लेकिन ना खेल कर उन्होंने जिस तरह से दूसरे खिलाड़ी को मौका दिया, उसके लिए वह मैन ऑफ द मैच के असली हकदार है. ऐसा शायद ही कभी देखने को मिलता है की खराब फॉर्म में चल रहे किसी कप्तान ने कप्तानी छोड़ किसी और को टीम में खेलने का मौका दिया हो.

मैच के बाद हुई प्रेस कॉन्फ्रेंस में अय्यर ने बताया कि गंभीर को ड्रॉप करने का आइडिया उनका नहीं था, बल्कि गौतम ने खुद ही मैच में नहीं खेलने की बात कही थी. गंभीर की तारीफ करते हुए अय्यर ने कहा कि जो गंभीर ने किया, वह बड़ी बात है.


हालांकि दिल्ली के लिए इस सीजन में टॉप चार की टीमों में स्थान बनाना काफी मुश्किल है, लेकिन क्रिकेट में कुछ भी असंभव नहीं होता. पिछले हफ्ते का जो घटनाक्रम है वो कहींं न कहींं ये संकेत देती है की टीम मैनेजमेंट के साथ साथ हर एक खिलाडी दिल्ली को ऊँचाईयों तक ले जाने की सोच रखता है. इसका सबसे बड़ा उदाहरण खुद कप्तान गौतम गंभीर ने दिया.

टीम के सामने गंभीर चुनौती

गौतम गंभीर हमेशा से जुझारू कप्तान रहे हैंं. मैदान और मैदान के बाहर उन्होंने अपनी बात को बड़े बेबाकी से रखा है, चाहे वो क्रिकेट की बात हो या फिर आर्मी, पॉलिटिक्स या फिर पाकिस्तान मुद्दे की.

खराब फॉर्म से जूझ रहे कप्तान गंभीर ने किंग्स इलेवन के मैच के बाद कप्तानी छोड़ देने का फैसला ले लिया. उस मैच में वो सिर्फ चार रन पर ही आउट हो गए थे.

गंभीर जब किंग्स इलेवन पंजाब से हारने के बाद अपने होटल के रूम पर पहुंचे तो कमरे के शांत माहौल में उन्हें लग रहा था जैसे अब सब कुछ खत्म हो चुका है. अंक तालिका में उनकी टीम सबसे नीचे है और उन्होंने छह मैचों में सिर्फ 85 रन बनाए हैं.

गौतम ने कहा 'इस्तीफा देने से पहले उस रात करीब दो बजे मैंने इस मुद्दे पर अपने एक करीबी दोस्त से भी बातचीत की. उस वक्त मेरे दिमाग में सिर्फ एक ही बात आ रही थी कि अगर खराब प्रदर्शन की वजह से मैं कॉलिन मुनरो, अमित मिश्रा और मोहम्मद शमी को बाहर कर सकता हूं तो पंजाब के खिलाफ सिंगल डिजिट के स्कोर पर आउट होकर भला कैसे कप्तान बना रह सकता हूं.'

टीम के सीईओ हेमंत दुआ और टीम प्रोमोटर किरण गाँधी को मिलकर अपना इस्तीफा सौंप दिया. ये उनके लिए भी चौकाने वाली बात थी, क्यूंकि दिल्ली डेयरडेविल्स को बदहाली से निकलने के लिए कुछ दिन पहले ही तो उन्होंने गौतम को कप्तानी सौंपी थी. खैर उनके पास भी कोई चारा नहीं था. 23 साल के श्रेयस अय्यर जो बढ़िया फॉर्म में चल रहे हैं, उन्हें टीम की कमान सौंप दी गई.

गौतम के इस सोच को सलाम

आप ऐसा कोई भी उदहारण बताए जहां किसी ने अपनी फॉर्म की वजह से खुद कप्तानी छोड़ दी. ये पहली बार हुआ है कि आईपीएल में किसी खिलाड़ी ने अच्छा प्रदर्शन न कर पाने के कारण कप्तान के पद से इस्तीफा दे दिया.

उन्होंने सिर्फ कप्तानी नहीं छोड़ी बल्कि टीम सूत्रों के हवाले से उन्होंने ये भी ऐलान कर दिया इस साल आईपीएल का करीब दो करोड़ 80 लाख रुपए का अपना वेतन भी नहीं लेंगे. यह भी पहला अवसर है जब आईपीएल टीम के किसी कप्तान ने अच्छा प्रदर्शन नहीं करने के कारण अपना वेतन न लेने का फैसला किया है. गौतम ऐसे व्यक्ति हैं जिनके लिए सम्मान सबसे ऊपर है.अब एक खिलाड़ी के रूप में वह सत्र के बाकी मैचों के लिए उपलब्ध रहेंगे और आईपीएल समाप्त होने के बाद ही अपने भविष्य पर फैसला करेंगे.

मैं ऐसे कई खिलाडियों का उदाहरण दे सकता हुं जो टीम में सबसे ज्यादा रकम में खरीदे गए, लेकिन खराब प्रदर्शन के बावजूद उन्होंने बेंच पर बैठ कर भी पाई पाई की वसूली की. चाहे हो एन्ड्रयू फ्लिंटॉफ हो,युवराज सिंह हो, या फिर पवन नेगी ऐसे कई खिलाडी है जो महंगे बिकने के बावजूद टीम में बने रहे.

दिल्ली डेयरडेविल्स का ग्रह-दोष

हर दिल्लीवासी के लिए हमेशा से ये एक पहेली रही है की टीम में इतने अच्छे अच्छे खिलाड़ी होने के बावजूद टीम पॉइंट्स टेबल में ज्यादातर नीचे ही क्यों रहती है. कौन सी ऐसी चीज है जो दिल्ली को अब तक एक बार भी खिताब नहीं दिला सकी. इसका उत्तर किसी के पास नहीं है. ज्योतिषी विद्या भी इस सवाल पर निरुत्तर है.

दिल्ली डेयरडेविल्स अब तक पिछले 10 आईपीएल सीजन में कोई खास कमाल नहीं कर पाई है. 2008 में वीरेंद्र सहवाग को कप्तानी दी गई. एक साल बाद ही उन्होंने कप्तानी गौतम गंभीर को सौप दी. 2011 सीजन गौतम ने भी कोलकाता का रुख कर लिया. सहवाग मजाक में बताते हैं कि यही दिल्ली डेयरडेविल्स का बेहतरीन समय था जब टीम ने थोड़ा बहुत अच्छा प्रदर्शन किया. दिल्ली के लिए 2008, 2009 और 2012 बेहतरीन साल रहे इन सालों में टीम ने आखिरी चार में जगह बनाई.

इस टीम ने कई महारथी कप्तान भी देखे है - वीरेंद्र सहवाग, महेला जयवर्धने, केविन पीटरसन, डेविड वॉर्नर, जेपी ड्यूमिनी, दिनेश कार्तिक, जहीर खान लेकिन बावजूद इसके दिल्ली को वो उपर लाने में नाकाम रहे.

टीम मैनेजमेंट ने इस बार ये मौका गौतम गंभीर और कोच रिकी पोंटिंग को सौंपा था. गंभीर दो बार 2012 और 2014 में कोलकाता नाइटराइडर्स को आइपीएल का खिताब दिला चुके हैं. उनकी कप्तानी में जीत का प्रतिशत 75 से ज्यादा रहा है. गंभीर ने कहा था कि वह कोलकाता नाइट राइडर्स की तरह दिल्ली डेयरडेविल्स को आइपीएल का खिताब जिताकर संन्यास लेंगे.लेकिन इस्तीफा देने के बाद ये भी संभव होता नहीं दिख रहा.

मेंटॉर के रोल में

पिछले मैच की सबसे बड़ी खास बात यह रही की गौतम गंभीर नहीं खेलने के बावजूद डग आउट में बैठे रहे और नए खिलाड़ियों की हौसला अफजाई करते रहे. युवा खिलाडी ऋषभ पंत, जो शून्य पर आउट हो गए थे, देर तक समझाते रहे. अब टीम में उनकी भूमिका सीनियर खिलाड़ी और मेंटॉर के तौर पर देखी जा सकती है.