जरा इन हालात पर गौर कीजिए.
-आरसीबी ने धीमी और नीची पिच पर खेलने का फैसला किया.
-टॉस के साथ वे किस्मत वाले रहे. उन्होंने बाद में बैटिंग करने का फैसला किया.
-गेम प्लान था कि तेज गेंदबाज शुरुआती ओवर्स के बाद बैक ऑफ द लेंथ गेंदबाजी करेंगे.
-जब वॉटसन आरसीबी के लिए खेलने आए तब तक काफी कुछ नियंत्रण में था. पुणे के 18 ओवर्स में सात विकेट पर 132 रन थे.
-पुणे के सभी टॉप बैट्समैन पवेलियन लौट गए थे. आठवें विकेट की जोड़ी मनोज तिवारी और जयदेव उनाद्कट क्रीज पर थे.
यहां से वॉटसन और आरसीबी के लिए स्क्रिप्ट पूरी तरह बदल गई.
आरसीबी कोच डेनियल विटोरी के मुताबिक 18वें ओवर तक प्लान के मुताबिक खेल रहे थे, ‘हमारे पेसर विकेट टु विकेट और बैक ऑफ द लेंथ बॉलिंग कर रहे थे. उन्होंने रन गति पर काबू रखा.’ उन्होंने कहा, ‘कुछ वजहों से हम 19वें और 20वें ओवर में प्लान से भटक गए. इसकी वजह से हमें बड़ा नुकसान हुआ. आखिरी दो ओवर्स में 29 रन बने, जिसकी वजह से सारा फर्क पड़ा.’
वॉटसन अभी तक आईपीएल में कतई प्रभावशाली नहीं रहे थे. न तो बल्ले से, न गेंद से. शायद उन्होंने इस वक्त फैसला किया कि कम नामचीन भारतीय बल्लेबाजों को गेंदबाजी की जाए और पारी के आखिर में कुछ आसान विकेट लिए जाएं. लेकिन जो हुआ, वो बिल्कुल अलग था. उन्होंने गलत बल्लेबाज के साथ शुरुआत की. उन्होंने शॉट खेलने के लिए जगहर दी और तिवारी के हिटिंग जोन में गेंदबाजी की.
वेस्ट इंडीज के खिलाफ वनडे में शतक जमा चुके तिवारी के मुताबिक, ‘एक बार उन्होंने वाइड बाउंसर की तो मुझे पता था कि नियम के मुताबिक अब वो ओवर में कोई और बाउंसर नहीं कर पाएंगे.’ पिछले साल अनसोल्ड रह गए और उससे पिछले तीन सीजन में कुछ खास नहीं कर पाए तिवारी ने कहा, ‘मैं फ्रंटफुट पर जाने को तैयार था. अच्छी बात थी कि उन्होंने मेरे जोन में गेंदबाजी की. मैंने मौके का फायदा उठाया.’
इस सीजन में आरपीएस ने तिवारी को 50 लाख में खरीदा है. उन्होंने वॉटसन पर 4, 0, वाइड, 4, 0, 4 और छह रन बनाए. इस ओवर में आरसीबी का प्लान चौपट कर दिया. इसे और बरबाद करने एडम मिल्न आए. उन्होंने मिडिल और लेग स्टंप पर नीची फुलटॉस की. इस पर आसानी से छक्का लगाया गया. आखिरी ओवर में दस रन बने. आखिरी दो ओवर में 29 रन बनाने से आरसीबी का हाल खराब हुआ.
तिवारी ने 11 गेंद में तीन चौके और दो छक्कों के साथ 27 रन बनाए. इसने ऐसी पिच पर आरपीएस में भरोसा भरा, जो बल्लेबाजी के लिए आसान नहीं थी. वॉटसन आईपीएल के पहले सीजन से ही कमाल के खिलाड़ी रहे हैं. हर बार उन्हें बड़ी रकम पर खरीदा गया है. उन्होंने किसी करोड़पति की तरह ही गेंदबाजी की, जिसे रन लुटाने में कोई समस्या नहीं. लेकिन चार मैचों में तीन हार के बाद आरसीबी इस तरह की गेंदबाजी बर्दाश्त नहीं कर सकता.