अगर मुंबई में हुई मीटिंग को एक इशारा समझा जाए, तो इस साल के आईपीएल पर गंभीर खतरा है. दसवें संस्करण में चंद सप्ताह ही बाकी हैं. इसकी आशंकाएं बढ़ती जा रही है कि पैसों की कमी की वजह से तमाम संघ मैच कराने में अपनी लाचारी जता दें.
मंगलवार को आईपीएल कमेटी और मैच का आयोजन कराने वाले संघों के बीच बातचीत हुई. इसमें एक बात साफतौर पर निकल के आई. संघों के पास पैसे नहीं हैं. अगर बीसीसीआई तुरंत फंड रिलीज नहीं करता, तो वे इस साल आईपीएल मैच आयोजित करा पाने में नाकामी जता देंगे.
हर आईपीएल मैच के आयोजन के लिए 60 लाख रुपये संघ को दिए जाते हैं. इसमें से 30 लाख रुपये आईपीएल फ्रेंचाइजी की तरफ से होते हैं और बाकी 30 लाख बीसीसीआई की तरफ से. यह रकम मैच और प्रैक्टिस को लेकर होने वाले खर्चों में इस्तेमाल की जाती है. इसमें फ्लडलाइट, मैदान की तैयारी, ग्राउंड स्टाफ वगैरह शामिल हैं.
राज्य संघों को नहीं मिल पा रहा है फंड
पहले होता यह था कि संघों को बीसीसीआई की तरफ से एडवांस मिल जाता था. बाकी रकम इवेंट के दौरान और कुछ बाद में दी जाती थी. अब सुप्रीम कोर्ट ने साफ तौर पर आदेश दिया है कि बीसीसीआई फंड रिलीज न किए जाएं. ऐसा तब तक हो, जब तक राज्य संघ लोढ़ा कमेटी की सिफारिशों को लागू न कर दे.
राज्य संघों ने अपनी लाचारगी जताई थी. उन्होंने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट अगर तमाम अधिनियमों के तहत बने संघों को नियम से निकलने के लिए कोई आदेश नहीं देता, तब तक उनके लिए अपने आप सदस्यों के अधिकार खत्म कर पाना संभव नहीं. अदालत ने उनकी अपील पर अभी तक कोई फैसला नहीं सुनाया है.
सारी दिक्कतें पिछले कुछ महीनों में हुई अंतरराष्ट्रीय सीरीज में भी आईं. राज्य संघों ने तब कहा कि उनके पास पैसे नहीं हैं. सुप्रीम कोर्ट ने राहत देते हुए फंड रिलीज करने के लिए कहा. इसके बाद भी बहुत बड़ी रकम अब भी बाकी है. इसकी वजह से राज्य संघों को बड़ा असर पड़ा है.
कर्नाटक क्रिकेट संघ (केएससीए) के सूत्रों ने बताया कि बीसीसीआई को उन्हें करोड़ों रुपये देने हैं. इसकी वजह से उन्हें पैसों की कमी से जूझना पड़ रहा है. सूत्र ने बताया, ‘जल्दी ही हम उस जगह पहुंच जाएंगे, जहां जूनियर स्तर के घरेलू मैच भी आयोजित नहीं करवा पाएंगे.’ पैसों की समस्या ने हर स्तर की क्रिकेट पर असर डाला है.
अंडर 19 टीम को रेलवे कैंटीन में करना पड़ा था नाश्ता
पिछले महीने भारतीय अंडर 19 टीम इंग्लैंड के खिलाफ खेल रही थी. उसे ब्रेकफास्ट के लिए मुंबई रेलवे कैंटीन में जाना पड़ा था. उनके पास पैसे नहीं थे. ऐसे में वे टीम होटल में खाना नहीं खा सकते थे.
केएससीए अधिकारियों के अनुसार संघ लगातार एनसीए में होने वाले मैचों पर भी बड़ा खर्चा कर रहा है. अगर बोर्ड इसका भुगतान नहीं करता, तो अगले दिनों यानी गर्मियों में वो एनसीए की मदद नहीं कर पाएंगे.
इस बार गर्मियों में क्या ट्रेनिंग नहीं होगी?
गर्मियों के महीने युवाओं की ट्रेनिंग के लिए अहम होते हैं. इन महीनों में एकेडमी में कामकाज अपने चरम पर होता है. इस दौरान बच्चों की छुट्टियां होती हैं. क्रिकेट का ऑफ सीजन होता है. बेंगलुरू का मौसम बहुत अच्छा होता है, जिसकी वजह से एनसीए में क्रिकेट गतिविधियां जोर-शोर से होती है. लेकिन इस साल इन पर असर पड़ने की आशंका है.
बोर्ड अधिकारियों के अनुसार, ‘हमने तमाम खर्चे कर दिए. इसमें अपने फंड से रणजी खिलाड़ियों को भुगतान करना शामिल है. आमतौर पर बोर्ड हमें ये पैसा वापस देता है. लेकिन इस सीजन में ऐसा नहीं हुआ है.’
केएससीए और बाकी संघों को टीवी राजस्व का हिस्सा नहीं मिला है. इनफ्रास्ट्रक्चर सब्सिडी में मिलने वाला 50 फीसदी हिस्सा भी उन्हें नहीं मिला है. ये सब मिलाकर 30 से 40 करोड़ रुपये होते हैं.
ये सारी चीजें आईपीएल के लिए मुश्किलें खड़ी करती दिखाई दे रही हैं. जब तक राज्य संघों को तुरंत आर्थिक मदद नहीं मिले, आईपीएल पर संकट दिखाई देता रहेगा. भले ही उसे रद्द न किया जाए.