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बल्लेबाजी- गेंदबाजी कोच के साथ बीसीसीआई को 'धोनी रिव्यू सिस्टम' के कोच पद के लिए भी मांगने चाहिए आवेदन

इस सीरीज में भारत के कुल 22 रिव्यू गंवाए हैं और जिस समय टीम को हकीकत में रिव्यू की जरूरत थी, वहां पूरी टीम बस एक दूसरे का मुंह की ताकती रही.

Kiran Singh

किसी भी देश की क्रिकेट टीम सबसे बेहतर हो, इसीलिए उनका बोर्ड उनकी कोचिंग के लिए तीनों विभागों बल्लेबाजी, गेंदबाजी और फील्डिंग के लिए सर्वश्रेष्ठ कोच चुनता है, क्योंकि तीनों विभागों में अगर कहीं भी थोड़ी सी कमी रह गई तो वह कई बार पूरी मेहनत पर भी पानी फेर सकती है. बीसीसीआई के पास भी तीनों विभागों के दुनिया के बेहतर कोच है और इन्हीं की कोचिंग के दम पर भारतीय टीम दुनिया की शीर्ष टीम भी बनी, लेकिन इंग्लैंड दौरे को देखने के बाद अब लगता है कि बीसीसीआई को तीन कोच नहीं बल्कि चार कोच रखने चाहिए. बैटिंग, बॉलिंग और फील्डिंग कोच के अलावा चौथे कोच के पद का नाम होना चाहिए डीआरएस कोच,  डिसीजन रिव्यू सिस्टम, जिसे भारत ने काफी लंबे समय तक अपनाया नहीं था. डीआरएस का कोच पद भी उतना ही अहम है, जितना बाकी विभागों के कोच, क्योंकि एक डीआरएस पूरे मैच का रुख बदल सकता है. एक सही रिव्यू कुछ एक मामलों में तो बाकी तीनों विभागों पर हावी हो जाता है.

तो बात कर रहे थे डीआएस कोच की, जब भारतीय टीम इंग्लैंड से वापस लौटे तो उनके सामने एक डीआरएस कोच होना चाहिए, ताकि जो गलती कप्तान सहित पूरी टीम ने इंग्लैंड दौरे पर की है, वह आने वाले आॅस्ट्रेलिया दौरे में न करें. ये तो इंग्लैंड की टीम थी, भारतीय कप्तान की इस गलती पर इतना ध्यान नहीं दिया, लेकिन अब जिनके सामने विराट कोहली की टीम उतरने वाली है, वो आॅस्ट्रेलिया है, लगातार दो रिव्यू गंवाने के बाद तो उनका दूसरा ही खेल शुरू हो जाएगा. दूसरे खेल से मतलब स्लेजिंग से है, जिसमें ऑस्ट्रेलियाई टीम का कोई जवाब नहीं.


कप्तान कोहली बेहतरीन बल्लेबाज है, इसमें कोई शक नहीं है. इंग्लैंड दौरे पर उन्होंने दबाकर रन ठोके भी, लेकिन वह बल्लेबाज होने के साथ कप्तान भी हैं और इंग्लैंड दौरे पर यह साबित हो गया कि उन्हें डीआरएस कोच की कितनी ज्यादा जरूरत है, न सिर्फ उन्हें बल्कि पूरी टीम को, क्योंकि अब यहां महेन्द्र सिंह धोनी नहीं है, जिनका रिव्यू हमेशा ही सही हो.

इंग्लैंड दौरे पर कप्तान कोहली ने ऐसी जगह पर रिव्यू मांगे, जहां साफ तौर पर अंपायर का नॉट आउट था, लेकिन कोहली ने वहां रिव्यू लेकर उसे बर्बाद किया और जिस समय टीम को हकीकत में रिव्यू की जरूरत थी, वहां पूरी टीम बस एक दूसरे का मुंह की ताकती रही.

फिलहाल टेस्ट टीम को इस समय डीआरएस कोच की ज्यादा जरूरत है, क्योंकि वनडे और टी 20 में तो धोनी है ही. धोनी का रिव्यू एकाध बार छोड़ दिया जाए तो आज तक हमेशा ही सही रहा है और इसी लिए डीआरएस को 'धोनी रिव्यू सिस्टम' भी कहा जाता है. इंग्लैंड दौरे में विराट कोहली ने ओवल टेस्ट की पहली पारी के दो ओवर में ही जेनिंग्स और कुक के लिए रिव्यू मांगा और जल्द ही दोनों रिव्यू गंवा भी दिए. ऐसा पहली बार नहीं है, कोहली का रिव्यू लेने के मामले में थोड़े नहीं ज्यादा हाथ तंग हैं.

इस सीरीज में भारत के कुल 22 रिव्यू गंवाए हैं. हालांकि इंग्लैंड ने भी रिव्यू गंवाए हैं, लेकिन भारत से कम. पांचवें टेस्ट की पहली पारी में भारत ने अपने दोनों रिव्यू गंवा दिए थे.

पहला रिव्यू कीटोन जेनिंग्स के खिलाफ था. जडेजा की गेंद पर भारतीय टीम ने अपील की, लेकिन अंपायर ने नॉट आउट दिया. इसपर कोहली ने रिव्यू लिया था और इसके कुछ देर बाद कुक के खिलाफ रिव्यू लिया गया था. वहां भी भारत का फैसला गलत रहा.

सीरीज के पहले मैच में भी कोहली को बेन स्टोक्स ने एलबीडब्ल्यू किया था. यहां भी कोहली ने रिव्यू लिया और गंवाया. साउथ अफ्रीका के खिलाफ भी कोहली इस मामले में बुरी तरह से पिटे थे. अब जब इंग्लैंड में उन्होंने इतने सारे रिव्यू खराब कर दिए हैं तो बीसीसीआई को अब जाकर डीआएस की अहमियत समझ लेनी चाहिए और इसके लिए भी जल्द ही एक अलग से कोच पद के लिए आवेदन मांगने की तैयारी कर लेना चाहिए. वैसे धोनी ने टेस्ट क्रिकेट से संन्यास ले लिया है, शायद वह इस पद के लिए बिल्कुल सही उम्मीदवार हों.