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इस गुमनाम क्रिकेटर की महानता पर मुहर जैसा है एक कुख्यात डकैत का वह खत

भारत के लिए खेल चुके स्पिनर राजिंदर गोयल को उनके रणजी ट्रॉफी में 600 विकेट हासिल करने के लिए डाकू भूरा सिंह ने पत्र लिखकर शुभकामनाएं दी थी

Jasvinder Sidhu

राजिंदर गोयल आज के दौर के क्रिकेटर होते तो यकीनन टीवी विज्ञापनों का सबसे बड़ा ब्रांड होते. 1960 और 1980 के दशक के हरियाणा के इस लेफ्ट आर्म स्पिनर के नाम प्रथम श्रेणी की 750 विकेट हैं. इनमें से 640 विकेट उन्होंने रणजी ट्रॉफी के 123 मैचों में लिए हैं.

75 साल के गोयल साहब के बारे में जो जानते हैं वे एकमत से स्वीकार करते हैं गोयल एक महान गेंदबाज थे लेकिन वह गलत युग में पैदा हुए और खेले. उन दिनों बिशन सिंह बेदी का युग था. गोयल की काबिलियत बेदी की शोहरत के हाथों मारी गई.


आज के दौर के क्रिकेटरों के पास जमीनें हैं, आलीशान घर हैं, करोड़ों रुपये हैं, महंगी कारें हैं. बेदी और गोयल के दौर में पीतल की ट्रॉफियां या अखबारों, पत्रिकाओं की कटिंग्स ही क्रिकेटरों की धरोहर होती थी.

फर्स्ट पोस्ट हिंदी ने गोयल साहब से बातचीत में सवाल किया कि उनका आखिरकार क्रिकेट कैरियर का सबसे यादगार लम्हा कौन सा है! उन्होंने पुरानी फाइलें निकाली जो अखबारों की कटिंग से पटी पड़ी थीं. पुरानी फोटों में उनकी जवानी जैसे कल की गुजरी हुई शाम की तरह थी. लेकिन उन्होंने इस ढेर से नीले रंग का एक अंतर्देशीय पत्र निकाला और कहा कि यह उनके एक बड़ा क्रिकेटर होने का सुबूत है.

भूरा सिंह ने पत्र लिखकर दी थी शुभकामनाएं

1985 के अप्रैल महीने के दूसरे-तीसरे हफ्ते में डाकिया यह पत्र देकर गया तो परिवार घबरा गया क्योंकि भेजने वाले का नाम डकैत भूरा सिंह यादव लिखा था. भूरा सिंह यादव उस समय का कुख्यात डकैत था जिसका उत्तर प्रदेश और मध्यप्रदेश में खौफ था. लेकिन 8 अप्रैल को ग्वालियर जेल से लिखे इस पत्र को पढ़ने के बाद गोयल रो दिए. उनके भावुक होने की वजह शायद यह थी कि जेल में बैठा कोई शख्स भी इस तरह उनके करियर को फॉलो करता है.

उत्साह से भरे गोयल बताते हैं, “क्रिकेट ने मुझे नाम दिया, पैसा नहीं. लेकिन मेरे पास यह लेटर है, अपने पोतों और अगली पीढ़ी को दिखाने के लिए कि मैं भी अपने समय में एक मशहूर क्रिकेटर था. इतना कि नामी भूरा सिंह जैसे डकैत भी मेरे खेल को फॉलो करते थे.”

भूरा सिंह ने लिखा, “प्रिय राजिंदर, आपको रणजी ट्रॉफी में 600 से अधिक विकेट हासिल करने पर बधाई हो. बधाई स्वीकृत हो. हम बहुत ही प्रसन्नता के साथ यह पत्र व्यवहार कर रहे हैं और भविष्य की कामना करते हैं कि ईश्वर आपको प्रतिदिन सफलता दिलाए.”

भूरा यादव ने खत की समाप्ति में लिखा, “ आत्मसमर्पित दस्यु, भूरा सिंह यादव, केंद्रीय जेल, ग्वालियर.” साफ है कि जिस तरह के गोयल ने यह खत आज भी संभाल कर रखा है, यकीनन यह उनकी सबसे बड़ी धरोहर है.

गोयल कहते हैं,“ यह पत्र मेरी खेल की पहचान है. मैं जब इस दुनिया में नहीं रहूंगा, भूरा सिंह यादव के यह शब्द मुझे हमेशा जिंदा रखेंगे.” सवाल किया गया कि यह पत्र मिलने के बाद क्या उन्होंने भूरा सिंह यादव को जवाब भेजा था!

गोयल अतीत को टटोलते हुए जवाब देते हैं, “मैं यह खत पढ़ने का बाद रो पड़ा था. मैंने खत का जवाब देने का फैसला भी किया. मैंने भूरा सिंह यादव को लिखा कि उनके खत ने मुझे अंदर तक खुशी दी है. मेरे पास बयां करने को शब्द नहीं हैं. फिर मैंने लिखा कि वादा कीजिए कि जब आप जेल से बाहर आओगे तो सब बुरे काम छोड़ दोगे.”

गोयल के सात सौ शिकारों में महान सुनील गावस्कर की विकेट भी शामिल है जो आज भी कहते हैं कि राजिंदर का सामना करना काफी मुश्किल भरा होता था. बकौल गावस्कर गोयल की गेंद पर गिरने का बाद मिलने वाले टर्न को संभाल पाना बड़ी चुनौती रहता था.

हाल ही में इतिहासकार रामचंद्र गुहा ने लिखा कि दो क्रिकेटर ऐसे थे जो भारत के लिए खेलने के काबिल थे लेकिन नहीं खेल पाए. गुहा ने राजिंदर गोयल के बाद पद्माकर शिवालकर का नाम लिखा. गोयल के नाम रणजी ट्रॉफी में  53 बार एक पारी में पांच विकेट लेने का रिकॉर्ड है जबकि 17 बार उन्होंने एक मैच में 10 बल्लेबाजों को आउट किया.