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हर तरफ छाया है भारतीयों का जलवा

क्रिकेट दुनिया में कोई देश नहीं, जहां भारतीय का असर नहीं

Manoj Chaturvedi

भारतीय मूल के क्रिकेटरों के जलवे हम जमाने से देखते-सुनते आ रहे हैं। वेस्ट इंडीज के भारतीय मूल के खिलाड़ी रोहन कन्हाई के खेल का दीवाना कौन क्रिकेटप्रेमी नहीं होगा। वह महान क्रिकेटर गैरी सोबर्स के समय में भी कभी किसी की छाया में दबे नजर नहीं आए और उन्होंने सारी क्रिकेट जमात को अपना मुरीद बना लिया था। इसी तरह सीनियर पटौदी के नाम से मशहूर इफ्तिखार अली खां पटौदी भारत से टेस्ट खेलने से पहले इंग्लैंड के लिए टेस्ट खेले थे। इसी तरह वेस्ट इंडीज के एल्विन कालीचरण के आपको तमाम मुरीद मिल जाएंगे। वेस्ट इंडीज और इंग्लैंड में भारतीय मूल के खिलाड़ी लंबे समय से खेलते रहे हैं। लेकिन पिछले कुछ दशकों में भारतीय मूल के खिलाड़ी इन दोनों देशों के अलावा न्यूजीलैंड, दक्षिण अफ्रीका और आस्ट्रेलिया जैसी टीमों में खेलते नजर आ रहे हैं। मौजूदा समय में विभिन्न टीमों में अपने प्रदर्शन की धूम मचाने वाले प्रमुख खिलाड़ियों में हसीब हमीद (इंग्लैंड),  ईश सोढी (न्यूजीलैंड), गुरिंदर संधु (आस्ट्रेलिया), हाशिम अमला और केशव महाराज (दोनों दक्षिण अफ्रीका) शामिल हैं।

हसीब  हमीद


इस नाम से भारतीय क्रिकेटर अच्छे से वाकिफ हैं क्योंकि वह उंगली में फ्रैक्चर होने से पहले इंग्लैंड के लिए मौजूदा टेस्ट सीरीज के पहले तीनों टेस्ट खेले हैं। वह अपनी विकेट पर टिकने की क्षमता और खेल कौशल से लोगों को प्रभावित करने में सफल रहे। इस खिलाड़ी को बेबी बॉयकॉट कहा जाता है। किसी खिलाड़ी के साथ महान बायकाट का नाम चस्पां करना कम बड़ी बात नहीं है। वह तीन टेस्ट में 219 रन बनाने में सफल रहे हैं। इसमें उनके सर्वाधिक 82 रनों के साथ दो अर्धशतक शामिल हैं। हसीब के पिता इस्माइल 1960 के दशक में गुजरात के भरूच से इंग्लैंड गए थे। वह खुद क्रिकेट खेलते थे पर अपने सपने पूरे करने में कामयाब नहीं होने पर उन्होंने हसीब के चलना शुरू करते ही क्रिकेटर बनाने के प्रयास शुरू कर दिए। वह आठ साल की उम्र में दो बड़े भाइयों के साथ खेलने लगे थे। इस खिलाड़ी के टैलेंट का आप इसी से अंदाज लगा सकते हैं कि वह 9 साल की उम्र में जब लंकाशर अकादमी में शामिल हुए तो वूस्टरशर ने मेलवर्न कॉलेज में पढ़ाने के लिए उनकी शिक्षा पर एक लाख पाउंड खर्च करने का प्रस्ताव किया। पर वह लंकाशर के साथ ही जुड़े रहे। हसीब ओपनर हैं और इंग्लैंड के लिए सबसे कम उम्र में टेस्ट खेलने वाले क्रिकेटर हैं। उन्होंने 19 साल की उम्र में नौ नवम्बर को राजकोट से अपने टेस्ट कॅरियर की शुरुआत की है। यह संयोग ही है कि वह अपने राज्य गुजरात में पहला टेस्ट खेले हैं।

ईश सोढी

न्यूजीलैंड का यह टेस्ट स्पिनर ऐसा खिलाड़ी है, जो कि एक देश में पैदा हुआ है और दूसरे देश से खेल रहा है। वह  21 अक्टूबर 1992 को लुधियाना में पैदा हुए और 2013 में बांग्लादेश दौरे पर गई न्यूजीलैंड टीम में स्थान बनाने में सफल हो गए पर इस दौरे पर टेस्ट खेलने का मौका नहीं पा सके। अगले ही साल पाकिस्तान के साथ हुई सीरीज में उन्हें खेलने का मौका मिला और उन्होंने पदार्पण टेस्ट में 63 रन बनाए, यह उनके कॅरियर का सर्वाधिक स्कोर है।

ईश सोढी.

उन्होंने अब तक खेले 14 टेस्ट में रन भले ही 365 बनाए हैं पर 38 विकेट हासिल किए हैं। ईश के पिता राजबीर सिंह पेशे से डॉक्टर हैं। वह भारत से आकर दक्षिण ऑकलैंड में बस गए थे। ईश पहली बार अभी कुछ माह पहले न्यूजीलैंड के साथ पहली बार भारतीय दौरे पर आए थे। मोहाली टेस्ट के दौरान पंजाब के खन्ना शहर में रहने वाली उनकी दादी  मिलने आई थीं। ईश इस दौरे पर अपनी गेंदबाजी का प्रभाव छोड़ने में सफल रहे। उनके पसंदीदा खिलाड़ी डेनियल विटोरी और अनिल कुंबले हैं।

हाशिम अमला

दक्षिण अफ्रीका का यह बल्लेबाज टीम की जान है और उन्होंने एक नहीं कई बार अपनी टीम की जीत की कहानी लिखी है। उनकी क्षमता का अंदाजा  इसी से लगाया जा सकता है कि वह टेस्ट और वनडे दोनों में नंबर एक खिलाड़ी रह चुके हैं, वह इस समय इन दोनों प्रारूपों में क्रमश: पांचवें और छठे स्थान पर हैं। वह तिहरा शतक जमाने वाले दुनिया के गिने-चुने खिलाड़ियों में शुमार रखते हैं। उनके नाम नाबाद 311 रन दर्ज हैं।

हाशिम अमला.

अमला के पूर्वज सूरत के रहने वाले थे। वह भारत कई बार आ चुके हैं और वह इस दौरान सूरत भी गए हैं। भारत के लिए यह गौरव की बात है कि उसकी मूल का खिलाड़ी दक्षिण अफ्रीका का 2014 जून से लेकर  जनवरी 2016 तक कप्तान रहा है। यह गौरव पाने वाले पहले भारतीय मूल के खिलाड़ी नहीं हैं। इससे पहले नासिर हुसैन भी इंग्लैंड की कप्तानी कर चुके हैं। भारतीय मूल के क्रिकेटरों में अमला को मौजूदा समय का सर्वश्रेष्ठ क्रिकेटर माना जा सकता है। अमला ने अब तक खेले 93 टेस्ट में 50.47 के औसत से 7471 रन बनाए हैं। इसमें 25 शतक और 31 अर्धशतक शामिल हैं।

गुरिंदर संधु

यह आस्ट्रेलिया टीम का नियमित पेस गेंदबाज है। गुरिंदर के पिता इकबाल 1980 के दशक में  पंजाब के फरीदकोट से आस्ट्रेलिया चले गए और न्यू साउथ वेल्स के ब्लैक टाउन में रहकर टेक्सी चलाने लगे।

गुरिंदर संधू.

मिचेल जानसन के चोटिल होने पर गुरिंदर को वनडे में  खेलने का मौका मिला और वह अब तक खेले दो मैचों में तीन विकेट लेकर अपना प्रभाव छोड़ने में सफल रहे हैं। गुरिंदर कहते हैं कि वह महान क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर को देखकर बड़े हुए हैं। पर उनके आदर्श आस्ट्रेलिया के महान पेस गेंदबाज ग्लेन मैक्ग्राहैं। इस क्रिकेटर की सबसे बड़ी खूबी गुड लेंथ स्पॉट से गेंद को ऊंची उछाल दे देना है। उन्होंने अपने पहले ही मैच में अजिंक्य रहाणो को इसी तरह की गेंद पर कैच कराया था।

केशव  महाराज

इस क्रिकेटर ने इस साल नवम्बर माह में ही दक्षिण अफ्रीका के लिए टेस्ट टीम में स्थान बनाया है। लेफ्ट आर्म स्पिनर केशव का 7 फरवरी 1990 को डरबन में जन्म हुआ था। उन्होंने शुरुआती क्रिकेट शॉन पोलाक के नार्थवुड स्थित स्कूल में खेली है। वह खाने के शौकीन होने की वजह से अक्सर अपने वजन और फिटनेस को लेकर लापरवाह हो जाते हैं। इसकी वजह से ही वह 2008 के अंडर-19 वि कप में नहीं खेल सके थे। यह कहा जा सकता है कि केशव को क्रिकेट पिता से मिली है। पिता रंगभेद के दिनों में नटाल टीम में विकेटकीपर की भूमिका निभाते थे। पर इस रंगभेद की वजह से वह टेस्ट क्रिकेट को नहीं खेल सके। पहले वह फुटबाल के शौकीन थे पर 13 साल की उम्र में उनका क्रिकेट की तरफ रुझान बढ़ा और उन्होंने पर्थ में आस्ट्रेलिया के खिलाफ अपने टेस्ट कॅरियर की शुरुआत की है। उन्होंने अब तक खेले दो टेस्ट में चार विकेट निकाले हैं।