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इन कमजोरियों को दूर कीजिए, वरना चैंपियंस ट्रॉफी में हारेंगे

सीरीज जीतने के बाद भी टीम मैनेजमेंट के माथे पर फिक्र की लकीरें

Lakshya Sharma

इंग्लैंड के खिलाफ भारतीय टीम ने वनडे सीरीज पर तो कब्जा जमा लिया. दो बार कमजोर हालत से जीतने में कामयाबी पाई. एक बार हारे हुए मैच को लगभग जीत लिया था.

जाहिर है, टीम जिस तरह खेली, उसमें खुशियां मनाने की जगह काफी हैं. लेकिन इसके बावजूद कप्तान और टीम मैनेजमेंट के माथे पर फिक्र की लकीरें होनी चाहिए. फिक्र इसलिए, क्योंकि कुछ कमजोरियां हैं, जिन्हें ठीक करने की जरूरत है. परेशानी इसलिए भी है क्योंकि भारतीय टीम को वनडे फॉर्मेट में अब सीधे इंग्लैंड में चैपिंयस ट्रॉफी में उतरना है.


जीत की खुमारी के बीच देख लेत हैं कि वो कौन सी परेशानियां हैं, जो भारतीय टीम ने नहीं सुधारी तो भारी पड़ सकती हैं. ये समस्याएं गेंदबाजी और ओपनिंग से जुड़ी हुई है

ओपनिंग बनी सबसे बड़ी सिरदर्द

इस समय भारतीय टीम की सबसे बड़ी समस्या ही ओपनिंग जोड़ी है. इस सीरीज में भारतीय टीम ने तीन ओपनर्स को मौका दिया, शिखर धवन, लोकेश राहुल और अजिंक्य रहाणे. पहले दो वनडे में भारतीय टीम ने राहुल और शिखर की जोड़ी को मैदान में उतारा, लेकिन पुणे वनडे में भारत के ओपनर केवल 13 रन ही जोड़ सके थे.

उस मैच में शिखर धवन केवल 1 रन ही बना सके. लोकेश राहुल  ने 8 रन बनाए थे. कटक वनडे में शिखर धवन और लोकेश राहुल ने भारतीय पारी की शुरुआत की. लेकिन 14 रन के स्कोर पर लोकेश राहुल आउट हो गए. उन्होंने केवल 5 रन बनाए. वहीं शिखर अपनी पारी 11 रन से आगे नहीं बढ़ा पाए.

तीसरे वनडे में भारतीय मैनेजमेंट में शिखर की जगह अजिंक्य रहाणे को मौका दिया, लेकिन इस बार भी भारतीय खेमे को निराशा ही हाथ लगी. सलामी बल्लेबाज अजिंक्य रहाणे सस्ते में आउट हो गए. रहाणे ने महज 1 रन का योगदान दे सके. लोकेश राहुल भी सीरीज में तीसरी बार फेल रहे और केवल 11 रन ही बना पाए. भारत को पहला झटका 13 रन पर ही लग गया. यह इस सीरीज में तीसरा मौका है जब भारत की सलामी जोड़ी ठोस शुरुआत देने में नाकाम रही और 15 रन के भीतर टूट गई.

भारतीय टीम की लचर गेंदबाजी

इंग्लैंड के खिलाफ तीनों मैचों में भारतीय गेंदबाजों ने 300 से ज्यादा रन लुटाए. पुणे वनडे में भारतीय गेंदबाजों ने 50 ओवर में 350 रन दिए. कटक वनडे में भी भारत के गेंदबाजों का प्रदर्शन उम्मीद के मुताबिक नहीं रहा. इस मैच में भी इंग्लैंड के बल्लेबाज 366 रन बनाने में कामयाब रहे थे.

कोलकाता वनडे में भी इंग्लैंड के बल्लेबाजों ने भारतीय गेंदबाजी की जमकर खबर ली और स्कोरबोर्ड पर 321 रन टांग दिए. हालांकि यह तर्क दिया जा सकता है कि अगर भारतीय गेंदबाजों ने रन खाए, तो ऐसा नहीं कि विपक्षी गेंदबाजों को मार नहीं पड़ी.

टेस्ट क्रिकेट में हर दिन कोई ना कोई रिकॉर्ड बनाने वाले आर अश्विन का प्रदर्शन भी वनडे सीरीज में अच्छा नहीं कहा जा सकता. कटक वनडे में हालांकि उन्होंने 3 विकेट लेकर भारतीय टीम की जीत में अहम भूमिका निभाई, लेकिन पूरी वनडे सीरीज में उन्होंने करीब 7 रन की इकॉनमी से रन दिए. इस लिहाज से इसे किफायती गेंदबाजी नहीं कहा जा सकता. पुणे वनडे में उमेश यादव का प्रदर्शन इतना लचर रहा कि कप्तान कोहली ने उन्हें कटक और कोलकाता मैच में अंतिम 11 में मौका तक नहीं दिया.

यॉर्कर किंग बुमराह का फीका प्रदर्शन

पिछले कुछ समय से धारदार और यॉर्कर गेंदबाजी से विरोधी खेमे में हलचल मचाने वाले भारत के गेंदबाजी आक्रमण की अगुवाई करने वाले जसप्रीत बुमरा पूरी सीरीज के दौरान कोई खास प्रभाव छोड़ने में कामयाब नहीं रहे. पुणे वनडे में उन्होंने 10 ओवर में 79 रन लुटाकर 2 विकेट लिए. कटक वनडे में तो बुमराह की इंग्लैंड के गेंदबाजों ने जमकर पिटाई की.

इस मैच में उन्होंने 9 ओवर में 81 रन दे डाले. कोलकाता वनडे में बुमराह का निराशाजनक प्रदर्शन जारी रहा. ईडन गार्डन्स में उन्होंने 10 ओवर में  68 रन खर्च किए और महज एक विकेट लेने में कामयाब हो सके. इस वनडे सीरीज में ना तो उनकी सटीक यॉर्कर दिखी और न ही धीमी गेंदबाजी.

बुमराह को भी अपनी गेंदबाजी पर काम करने की जरूरत है क्योंकि अब विरोधी भी उनकी हर चाल को समझने लगे हैं.

अब भारतीय टीम को अगर वनडे सीरीज में अच्छा प्रदर्शन करना है तो अपनी ही कमियों को जल्द से जल्द से सुधारना होगा, क्योंकि चैंपियंस ट्रॉफी में एक गलती भारतीय टीम को टूर्नामेंट से बाहर भी कर सकती है.