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जानिए आखिर क्यों 'घर के शेर बाहर ढेर' की सबसे उम्दा मिसाल हैं रोहित शर्मा

आंकड़े बताते हैं कि रोहित शर्मा घर और बाहर के प्रदर्शन में अंतर के मामले में दुनिया के सबसे फ्लॉप बल्लेबाज हैं

FP Staff

टीम इंडिया के साउथ अफ्रीका दौरे पर जिस बल्लेबाज के खराब प्रदर्शन की सबसे ज्यादा चर्चा हो रही है वह बल्लेबाज हैं रोहित शर्मा. इस सीरीज में अब तक खेली तीन पारियों में रोहित पूरी तरह से नाकाम साबित हुए हैं. टीम इंडिया के प्लेइंग इलेवन में उनकी मौजूदगी पर लगा सवालिया निशान उस वक्त और ज्यादा बड़ा हो जाता है जब उनकी कीमत पर कप्तान कोहली, अजिंक्य रहाणे जैसे बल्लेबाज को बाहर बिठा देते हैं.

सेंचुरियन टेस्ट की पहली पारी में रोहित की नाकामी ने एक बार फिर से उनको ओलोचनाओं के घेरे में ला दिया है. अभी ज्यादा वक्त नहीं बीता है जब श्रीलंका के खिलाफ भारत में रोहित का बल्ला जबरदस्त आग उगल रहा था. रोहित ने टेस्ट,वनडे और टी20 सीरीज में श्रीलंका के खिलाफ शतक लगाकर खूब वाहवाही बटोरी थी.


वनडे में तो अपने करियर का तीसरा दोहरा शतक और टी 20 में महज 35 गेंदों में सेंचुरी जड़कर रोहित ने सबित किया कि वह कितनी बेहतरीन फॉर्म में हैं. लेकिन साउथ अफ्रीका पहुंचते है उनका बल्ला जैसे रन बनाना ही भूल गया हो.

विदेश में रन बनाना भूल जाता है रोहित का बल्ला

लेकिन ऐसा पहली बार नहीं हो रहा है. आंकड़े बताते हैं कि कि घर पर रोहित शर्मा जहां शेर की तरह खेलते हैं तो विदेश में उन्हें ढेर होने में देर नहीं लगती. इस मामले में वह दुनिया के सबसे फिसड्डी बल्लेबाज हैं.

अगर मिनिमम 10 पारियों को आधार बनाकर रोहित के घरेलू और विदेशी प्रदर्शन की तुलना की जाए तो इसमें अंतर के मामले में दुनिया से सबसे कमजोर बल्लेबाज साबित होते हैं.

घरेलू धरती पर टेस्ट क्रिकेट में रोहित  का औसत 85.44 रन प्रति पारी का है. जबकि विदेशी धरती पर यह औसत गिर कर 24.55 रन प्रति पारी का हो जाता है. देश और विदेश में रोहित के औसत का अंतर 60.89 रन का है. इस मामले में वह दुनिया के नंबर वन बल्लेबाज हैं. उनके बाद दूसरे नंबर पर इंग्लैंड के पूर्व बल्लेबाज डगलस जार्डिन हैं जिनका अंतर 43.29 का है.

इस शर्मनाक रिकॉर्ड के मामले में रोहित टॉप पांच क्रिकेटर्स में से इकलौते भारतीय बल्लेबाज हैं.

यह आंकड़े बताते हैं कि रोहित विदेशे में कितने बड़े फ्लॉप बल्लेबाज हैं. बहरहाल रोहित के पास अब भी सेंचुरियन में दूसरी पारी में खुद को साबित करने का एक और मौका होगा. अगर उसमें भी वह नाकाम रहे तो मुमकिन है उन्हें तीसरे टेस्ट में मौका ना मिले.