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IND vs WI: जहां लगभग खत्‍म हो गया था क्रिकेट, वहां से है तेंदुलकर के बराबर पहुंचने वाले पृथ्‍वी शॉ

बिहार ने शॉ के दादा की कपड़े की दुकान है

FP Staff

वेस्‍टइंडीज के खिलाफ राजकोट टेस्‍ट से लंबे फॉर्मेट के क्रिकेट में कदम रखने वाले पृथ्‍वी शॉ ने अपने पहलेी ही पारी में शतक जड़कर इतिहास रच दिया. दूसरा सचिन तेंदुलकर माने जा रहे शॉ मास्‍टर ब्‍लास्‍टर के बाद टेस्‍ट मैच में शतक लगाने वाले दूसरे युवा बल्‍लेबाज बन गए हैं. वहीं डेब्‍यू मैच में शतक जड़ने वाला चौथे सबसे युवा खिलाड़ी भी बन गए हैं. हालांकि मुंबई के इस क्रिकेटर पर काफी समय से सभी की नजरें थी. हर कोई यही देखना चाहता था कि 14 साल की उम्र में हैरिस शील्‍ड में 546 रनों की पारी खेलने के बाद 17 साल की उम्र में फर्स्‍ट क्‍लास मैच से डेब्‍यू करते हुए शतक और फिर अपनी कप्‍तानी में भारत को अंडर 19 विश्‍व कप विजेता बनाने वाले शॉ टेस्‍ट क्रिकेट में कैसे शुरुआत करते हैं और उन्‍होंने ताबड़तोड बल्‍लेबाजी करके यह दिखा भी दिया. आज शॉ एक बड़ा नाम चुके है, लेकिन क्‍या आप जानते है कि शॉ कहां से हैं.

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शॉ उस जगह से है जहां लंबे समय तक क्रिकेट का नाम नहीं लिया गया. जिसकी टीम बीसीसीआई की प्रतियोगिता में नहीं खेल सकी, जहां धोनी शायद ही कोई क्रिकेट बनने का सपना देखता हो. शॉ मूलत बिहार से है, जिसका के क्रिकेट बोर्ड को बीसीसीआई से मान्‍यता तक नहीं मिली थी. वहां कई समय में कोई मैच भी नहीं हुए थे. वहां के पृथ्‍वी ने टीम इंडिया तक का सफर तय किया.

पृथ्‍वी का परिवार बिहार के गया के मानपुर का रहने वाला है. इनके दादाजी अशोक शॉ मानपुर में शिवचरण लेन में बालाजी कटपीस नाम के कपड़े की दुकान चलाते हैं. पृथ्‍वी के पिता पंकज शॉ बिजनैस सही न चलने के कारण जॉब की तलाश में मुंबई आ गए और यहीं पर पृथ्‍वी का जन्‍म भी हुआ. जब पृथ्‍वी 3 साल के थे, तब उनके पिता ने उन्‍हें बैट और बॉल खरीदकर दिया था. उस समय भी वह काफी अच्‍छे शॉट लगाते थे और वहीं से इनका टीम इंडिया में जाने तक का सफर शुरू हुआ.