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क्या टीम इंडिया के ड्रेसिंग रूम में कोई गड़बड़ है! बदले राग कह रहे हैं, हां…

भारतीय टीम की ओर से खेलने वाले क्रिकेटरों टीम या बीसीसीआई के खिलाफ चूं तक नहीं करते.

Jasvinder Sidhu

पिछले कुछ दिनों में भारतीय क्रिकेट में ऐसा कुछ हुआ है जो कई दशकों में सुनने को नहीं मिला. इस अक्टूबर माह के घटनाक्रम के आकलन से अंदाजा होता है कि टीम इंडिया के ड्रेसिंग रूम में कुछ तो गड़बड़ है.

भारतीय टीम की ओर से खेलने वाले क्रिकेटरों का इतिहास रहा है कि उन्हें कितने भी बुरे हालात का सामना करना पड़े, वे टीम या बीसीसीआई के खिलाफ चूं तक नहीं करते.अपने करियर को खतरे में डालने की हिम्मत सिर्फ उन ही चंद क्रिकेटरों ने की, जो पहले से ही कई साल खेल चुके थे.


तूफान से पहले विरोध का झोंका

ताजा घटनाक्रम में भारतीय क्रिकेट में नवजात शिशु करुण नायर और बुजुर्ग ओपनर मुरली विजय ने टीम प्रबंधन के फैसलों के खिलाफ खुल कर अपनी राय मीडिया में रखी दी है. रोचक पहलू यह है कि हर बार ऐसी किसी भी बगावत के खिलाफ उग्र रूप दिखाने वाला भारतीय बोर्ड सफाई दे रहा है. शायद बोर्ड को अंदाजा है कि करुण नायर और मुरली विजय के सवालों का जवाब देने की कोशिश में उसे कई और बातों को खुलासा करना पड़ेगा. जो सिर्फ सेलेक्टर्स को ही नहीं, बल्कि टीम प्रबंधन को कटघरे में खड़ा कर देगा. जाहिर है, बोर्ड में इस तूफान से पहले की संभावित आंधी को विरोध के हल्के झोंके के तौर पर ही लिया है. करुण नायर साउथ अफ्रीका के बाद इंग्लैंड़ के दौरे से भी बिना कोई मैच खेले वेस्टइंडीज के खिलाफ सीरीज से बाहर कर दिए गए. नायर ने साफ कहा कि सिलेक्टरों ने उन्हें नहीं बताया कि वह क्यों ड्रॉप किए गए हैं. लेकिन सिलेक्टर दावा कर रहे हैं कि नायर को विश्वास में लेकर ही फैसला हुआ. कप्तान विराट कोहली ने खुद को सिलेक्शन के विवाद से दूर कर लिया.

क्या कप्तान कभी बॉस था ही नहीं !

इस पर विश्वास करना थोड़ा मुश्किल भरा है कि विराट और शास्त्री के होते हुए एमएसके प्रसाद, हेमांग बदानी या अन्य सेलेक्टर अपने व्यक्तिगत रिकॉर्डों के मद्देनजर इन दोनों के सामने खुद ही फैसले लेते हों. क्या कप्तान की सिलेक्शन में किसी तरह की हां नहीं है! सच कहा जाए तो यह एक खबर है.मुरली विजय ने भी मुंबई मिरर अखबार के दिए इंटरव्यू में कहा कि सेलेक्टर या टीम प्रबंधन में से किसी ने उन्हें इंग्लैंड में नहीं बताया कि वे तीसरे टेस्ट मैच में ड्रॉप क्यों किए गए? यह सारी स्थिति रोचक है, क्योंकि हर बार इंटरव्यू की गुजारिश करने पर क्रिकेटर बीसीसीआई के साथ करार का हवाला देते हैं और ऐसी किसी रिक्वेस्ट के लिए बोर्ड की मंजूरी जरूरी है.

यहां एक सबसे जूनियर और एक सीनियर क्रिकेटर टीम प्रबंधन से सवाल कर रहे है. उनके सवाल सेलेक्टर्स के उन दावों के लिए भी चुनौती है, जिसमें जोर देकर कहा जा रहा है कि टीम के बाहर किए जाने से पहले इन क्रिकेटरों के बात की गई.यह शोध का विषय है कि इन दोनों क्रिकेटरों में इतनी हिम्मत आई कैसे या फिर उन्हें अंदाजा है कि कोई भी उनके दावों को चुनौती नहीं देगा! जैसा कि कप्तान करुण नायर के मामले में हाथ झाड़ चुके हैं.

हेड कोच का बदला राग

इंग्लैंड के दौरे के बाद से हेड कोच रवि शास्त्री के स्वर में भी अब थोड़ा बदला हुआ राग सुनाई दे रहा है. एशिया कप के बाद जिस तरह से शास्त्री ने कप्तान रोहित शर्मा की तारीफ की, उस पर भी गौर किए जाने की जरूरत है.कोच ने कहा कि रोहित का ठहरावपन उनकी कप्तानी को बहुत मजबूती से प्रभावित करता है. बांग्लादेश के खिलाफ फाइनल में उनका बॉलिंग में बदलाव के फैसले उम्दा थे. कुल मिला कर उनकी कप्तानी बेहतरीन रही. कप्तान विराट की मैदान पर रणनीति पर शास्त्री कभी इस तरह से खुल कर नहीं बोले हैं. कोच से इतनी तारीफ मिलने के बाद भी रोहित शर्मा वेस्टइंड़ीज के खिलाफ टेस्ट टीम में जगह नहीं बना पाए. शास्त्री ने इंग्लैंड में टेस्ट सीरीज 1-4 से हारने के बाद ऑस्ट्रेलिया के आगामी दौरे ज्यादा अभ्यास मैचों की मांग की है. वह भी ऐसे में जब इंग्लैंड में टेस्ट सीरीज शुरू होने से ठीक पहले कप्तान ने अभ्यास मैचों को समय की बर्बादी करार दिया था. यह सारा घटनाक्रम काफी रोचक लग रहा है. संभवत: अगर जल्द ही कई अनकही कहानियों बाहर निकलती हैं और वे इस रोचकता को ओर बढ़ाती हैं तो किसी को हैरानी नहीं होनी चाहिए.