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नागपुर और दिल्ली को भी कोलकाता बनाना टीम इंडिया की जरूरत

ईडन गार्डन्स में टीम इंडिया के पेसर सभी 17 श्रीलंकाई बल्लेबाजों के विकेट ले गए

Jasvinder Sidhu

कोलकाता टेस्ट में जो कुछ भी हुआ, वह किसी क्रिकेट प्रेमी को रोमांचित करने के लिए काफी था. भारतीय पिचों पर कब चार स्लिप, दो गली के साथ तेज गेंदबाजों को बॉलिंग करते देखने का मौका मिलता है!

पिछले कई दशकों में ऐसा भी नहीं हुआ कि टीम को तीन-चार दिन में ही टेस्ट जिताने वाले स्पिनरों के स्कोरशीट में विकेट वाले खाने में जीरो रहा हो. यह 262 टेस्ट मैचों में पहली बार हुआ है कि घरेलू सीरीज में स्पिनर को किसी टेस्ट मैच में एक भी विकेट हासिल नहीं हुआ. मैच के रुख को समझाने के यह आंकड़ा ही काफी है कि आर अश्विन (8) और रवींद्र जडेजा(2) ने सिर्फ दस ही ओवर फेंके.


ईडन गार्डन्स में टीम इंडिया के पेसर सभी 17 श्रीलंकाई बल्लेबाजों के विकेट ले गए. दोनों ओर से गेंद कुछ बल्लेबाजों के हेलमेट को भी हिला कर गई और अच्छे बाउंस के कारण विकेटकीपर के सिर के ऊपर से टीमों के चंद एक्स्ट्रा रन भी मिले.

कुल मिला कर ईडन गार्डन्स की पिच पर पिछले कुछ सालों में पहली बार भारत में एक बिलकुल नए तरह की क्रिकेट देखने का मौका मिला है और बीसीसीआई को इस मौके को नागपुर और दिल्ली में भी भुनाना चाहिए.

श्रीलंका के खिलाफ तीन मैचों की सीरीज खत्म होने के साथ ही टीम इंडिया को साउथ अफ्रीका का दौरा करना है. वहां पूरी तरह के अलग क्रिकेट होती है जो भारतीय क्रिकेटरों के हमेशा हैरान परेशान करती नजर आई है.

टीम को साउथ अफ्रीका के खिलाफ केप टाउन में पांच जनवरी से पहला मैच खेलना है. भारत ने 1997 से लेकर 2011 तक इस मैदान पर चार मैच खेले हैं. जिसमें वह दो हारा और दो ड्रॉ करवाने में सफल रहा.

आठ पारियों में सिर्फ चार शतक बने हैं. इनमें सचिन तेंदुलकर के दो और मोहम्मद अजहरुद्दीन व वसीम जाफर का एक-एक शतक है. साथ ही आठ पारियों में महज एक बार ही 2007 के दौरे में चार सौ से अधिक स्कोर कर सकी है.

इसके बाद सेंचुरियन में दूसरा टेस्ट मैच खेला जाना है. यहां पर भारत 2010 में एकमात्र मैच हार चुका है. हालांकि दूसरी पारी में सचिन ने 111 रन की जबरदस्त पारी खेली थी. तीसरा मैच जोहनिसबर्ग में खेला जाएगा.

कोलकाता में जिस तरह की पिच तैयार की गई, नागपुर व दिल्ली में भी वैसी 22 गज विराट कोहली की टीम को दक्षिण अफ्रीका के मुश्किल दौरे पर बेहतरीन करने के लिए तैयार कर सकती है.

इसलिए बाकी दो मैचों पर हरी घास व बाउंस से टीम इंडिया के लिए केपटाउन और सेंचुरियन जैसा माहौल दिया ही जाना चाहिए क्योंकि साउथ अफ्रीका के सामने श्रीलंका के खिलाफ हार-जीत के कोई बहुत ज्यादा मायने नहीं हैं.

इस समय टीम इंडिया के पास सबसे युवा व फिट बॉलिंग लाइन-अप है. मोहम्मद शमी, भुवनेश्वर कुमार, उमेश यादव हैं. रणजी में बेहद की खराब पिचों पर बेहतरीन गेंदबाजी कर रहे इशांत शर्मा से साउथ अफ्रीका में इस बार हैरान कर देने वाली गेंदबाजी करने की उम्मीद बेमानी नहीं है. बशर्ते, इन सभी को कोलकाता जैसी पिचें दी जाएं.

टीम प्रबंधन और बीसीसीआई के पास ऐसा न करने का कोई कारण नहीं है. टीम के कई बल्लेबाज कोलकाता में नाकाम रहे. लेकिन चेतेश्वर पुजारा और कप्तान विराट कोहली ने हालात को अपने काबू में किया.

ऐसे में जो राहणे जैसे बल्लेबाज नाकाम रहे  हैं, उन्हें साउथ अफ्रीका के दौरे से पहले एक बार फिर अच्छी घास वाली बाउंसी पिच पर उतारना न केवल उनके लिए बल्कि पूरी टीम के हित में होगा.