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आखिरकार 17 साल बाद आते ही श्रीलंका के ‘गॉल’ पर मार दिया टीम इंडिया ने

304 रन से दी श्रीलंका को मात

Jasvinder Sidhu

श्रीलंका दोस्तों को मुल्क है. आप सड़क पर चल रहे हैं तो सामने से आने वाले शख्स से मुस्कुराहट मिलेगी. किसी दुकान में गए हैं और वहां पता लगता है कि आप भारतीय हैं, आप सेंकड में वीआईपी हो जाते हैं. यह बाहर से आए लोगों को सम्मान देने और जेबरा क्रासिंग पर पहले पैदल जाने वालों के गुजरने तक गाड़ियां रोक कर इंतजार करने वाले लोगों का प्यारा देश है.

लेकिन क्रिकेट पर यह सब लागू नहीं होता.


पहला टेस्ट मैच शुरु होने के एक दिन पहले क्रिकेट श्रीलंका के चीफ क्यूरेटर ज्योफरी डावरेरा ने इस लेखक से कहा था, 'गॉल हमारी टीम के लिए लकी ग्राउंड है.'

इससे अंदाजा हो जाना चाहिए कि गॉल के लेकर श्रीलंका क्रिकेट कितना संजीदा है.

गॉल में बहुत बुरा था भारत का रिकॉर्ड

2001 से लेकर 2015 तक और भारत के इस टेस्ट मैच तक जितनी भी सीरीज हुई हैं, एक को छोड़कर सभी में पहला मैच गॉल में ही रखा गया.

2008 की सीरीज का पहला मैच गॉल में नहीं हो पाया था क्योंकि 2004 में सुनामी के कारण यह मैदान अंतरराष्ट्रीय मैचौं के लिए तैयार नहीं था.

इस सीरीज से पहले गॉल में भारत ने चार टेस्ट मैच खेले थे और तीन में वह बुरी तरह हारा. 2008 में जो मैच 170 रन से जीता था, वह सीरीज का दूसरा मैच था.

तकनीकी तौर पर कहा जाए तो भारत को गॉल में सीरीज का पहला मैच जीतने 17 साल लगे हैं.

हालांकि अच्छी बात यह भी रही कि गॉल में पहले टेस्ट मैच में विराट कोहली की टीम ने मेहमानों को 304 रनों से हरा कर बड़ी जीत हासिल की है. वरना इससे पहले भारत हमेशा इस मैदान पर सीरीज के पहले मैच में बुरी तरह हारता रहा है.

2015 में भी मिली थी हार

2001 और 2010 में सीरीज का पहला  मैच मेजबानों ने दस-दस विकेट से जीता था. 2015 में विराट कोहली की कप्तानी में टीम 63 रन से हारी थी. उस मैच में विराट 176 रनों के लक्ष्य को हासिल करने की कोशिश में तीन रन बना कर आउट हो गए और पूरी टीम 112 पर निपट कर गॉल के ड्रेसिंग रूम में बैठी थी.

हालांकि इस हार के बाद टीम ने जबरदस्त वापसी की और सीरीज 2-1 से जीती थी. बतौर फुलटाइम कप्तान कोहली की वह दूसरी सीरीज थी.

लेकिन इस मैच में जबरदस्त जीत के साथ टीम इंडिया ने अपना काला अध्याय धो दिया है.

कोई भी टीम कभी स्पिनरों के आगे बल्लेबाजों की कब्रगाह रहे इस मैदान पर इससे श्रेष्ठ प्रदर्शन नहीं कर सकती.इसका अंदाजा स्कोर बोर्ड देख कर लगाया जा सकता है.

बल्लेबाजों में दोनों पारियों में तीन शतक बने हैं और पहली पारी में शिखर धवन दस रन से अपना दोहरा शतक बनाने से चूके. चेतेश्वर पुजारा के भी 153 रन स्कोर बोर्ड पर हैं. इसके अलावा तीन अर्धशतक भी बने हैं. यानि कि ऊपर से लेकर मध्य और फिर निचले क्रम तक सभी ने कुछ न कुछ योगदान दिया है.

गॉल की पिच स्पिनरों की मददगार की जाती है लेकिन इस पर तेज गेंदबाजों मोहम्मद शमी, उमेश यादव और हार्दिक पांडया ने भी रविदंर जडेजा व आर अश्विन के साथ  विकेट साझा किए हैं जो कि कोलंबों में अगले टेस्ट मैच से पहले अच्छा संकेत है.

ऐसा भी नहीं कि पहला मैच खत्म हो जाने के बाद मेहमान टीम के लिए सब कुछ खत्म हो गया.

भारत के दोनों पारियों के 840 रन के मुकाबले श्रीलंका ने 536 रन बनाए हैं.

पहली पारी में उसकी तरफ से तीन हाफ सेंचुरी बनी हैं और नंबर सात पर दिलरुबान परेरा 92 रन बनाने के बाद बिना आउट हुए लौटे थे.

दूसरी पारी में ओपनर धिमुत करुणारत्ने 208 गेंदों पर 288 मिनट तक बल्लेबाजी कर  97 बना कर गए हैं.

अगर कोलंबो में उनकी यह फॉर्म बरकरार रहती है और उनके साथी ओपनर उपल थरंगा अपनी पहली पारी (64) जैसा खेल दिखा पाते हैं तो श्रीलंका कोलंबो में अच्छी शुरुआत की उम्मीद कर सकता हैं.