'अरे आप वहां देखों न. बॉल की शाइन किधर है. मुझे कुछ पता नहीं लगा रहा. आप देखो उधर से, साउथ अफ्रीका की हिला देने वाली गेंदबाजी के सामने बेखौफ 41 रन बना चुके हार्दिक पांड्या मोर्ने मोर्केल को पीट तो रहे थे लेकिन संकट इस बात का था कि यह पकड़ में नही आ रहा था कि गेंद अंदर आएगी या बाहर निकलेगी.
इसलिए दूसरे छोर पर 25 गेंद खेलने के बाद भी जीरो पर खेल रहे फिर भुवनेश्वर कुमार से मदद मांगी.
'क्या करूं. कैसे पता लगेगा. मुझे नहीं दिख रहा, वो छुपा कर डाल रहा है. स्टंप माइक पर भुवी की लाचारी साफ सुनी जा सकती थी.
इस संकट और ऊहापोह के बीच पांड्या भारत के स्टार बैटिंगआर्डर को हरी और बाउंसी पिच पर ताश के पत्तों की तरह गिराने वाली विश्व की उम्दा तेज गेंदबाजी के सामने 95 गेंद पर 14 चौकों और एक छक्के के साथ 93 रन की यादगार और बड़ी पार खेलकर भुवी के साथ 99 रन की पार्टनरशिप करने में सफल रहे हैं.
पांड्या ने पास की अग्निपरीक्षा
असल में पांड्या की यह पारी पेशेवर क्रिकेटर उनकी शख्सियत है जो बताती है कि उनमें संकट के समय में टीम के लिए काउंटर अटैक करने की क्षमता है.
पूरी टीम में से इस आलराउंडर ने अकेले एशिया से बाहर सीरीज में अपना पहला सबसे मुश्किल टेस्ट पास कर लिया है.
15 रन पर गली पर डीन एल्गर के हाथों टपकाए गए पांड्या के साथ अच्छी बात यह रही कि जब सभी बल्लेबाज ने परिस्थितियों को अपने पर हावी होने दिया, उन्होंने अपना स्वभाविक आक्रामक खेल खेलने का फैसला किया.
वरना मोर्ने मोर्केल या वेरनन फिलेंडर को 138-142 किलोमीटर प्रतिघंटा की स्पीड से विकेट के पीछे दिलस्कूप मारने की हिकामत कौन कर सकता है.
जब पाडंया को टीम में लिया गया तो आशंका थी कि क्या वह इस स्तर का क्रिकेट खेलने को तैयार है लेकिन केपटाउन टेस्ट मैच में उन्होंने क्वालिटी पेस बॉलिंग के खिलाफ कुछ बेहतरीन स्ट्रोक्स, खासकर पुल, से बेखौफ रन बना कर बताने की कोशिश की है कि उनमें निवेश गलत फैसला नहीं है.
वैसे पांड्या को कैगिसो रबाडा ने सबसे ज्यादा परेशान किया.
'इसका मुझे पता नहीं लग रहा. इसका क्या करूं. पता नहीं क्या कर रहा है. आपको वहां से क्या लग रहा है पांड्या ने एक बार फिर भुवी की तरफ रुख किया.
पहले की तरह भुवी फिर से टीम को शर्मिंदगी से बचाने की मुहिम में लगे पांड्या की मदद करने में नाकाम रहे.
52 वें ओवर में पांड्या ने मिडआफ पर मोर्केल को चांटे सा चौका मार कर अपना अर्थशतक पूरा जरूर किया. यहां तक पांड्या की बल्लेबाजी बाहर से तो सहज लग रही थी.
लेकिन यह इतना आसान नहीं था.
'आप देखते रहना किधर डालेगा. अभी कुछ करेगा,' जब पूरी दुनिया पांड्याा की बल्लेबाजी का आनंद ले रही थी, उनका मुस्कुराता हुआ चेहरा रबाडा और मोर्केल के सामने एक अलग तरह के संघर्ष को छुपाने की कोशिश कर रहा था.
भुवनेश्वर को भी जी बेशकीमती सलाह
वैसे 50 रन पूरे होने के बाद पांड्या को समझ आ गया था कि वह साउथ अफ्रीका की बढ़त को कम कर सकते हैं. इसके लिए उन्हें भुवी की जरुरत थी.
रबाडा की आफ स्टंप से बाहर एक गेंद को भुवनेश्वर पीछा करके खेलने गए तो दूसरे छोर पर पांड्या ने उन्हें रोक दिया.
'अपनी आंखे खोलो. बॉल का पीछा मत करो. वो वहीं डाल रहा है. चौका मारने मत जाना. इसी बाल पर वो आप को आउट करेगा. ' पांड्या दूसरे छोर पर भुवनेश्वर के को-ड्राइवर की तरह था.
अपने रनों के अलावा उन्होंने भुवनेश्वर को पिच पर खड़ा रह कर बड़ी पार्टनरशिप बनाने के लिए जेहनी तौर पर भी तैयार किया जो कि एक परिपक्व ऑलराउंडर क्रिकेटर की निशानी है.
पांड्या का यह चौथा टेस्ट मैच है.
गॉल में श्रीलंका के खिलाफ पांडया अपना पहला टेस्ट मैच खेलने उतरे और 49 गेंदों पर 50 रन बना कर लौटे थे.
तीसरे टेस्ट में श्रीलंका के खिलाफ पालिक्कल में उन्होंने नंबर आठ पर 96 ही गेंदों पर 108 रन से अपना पहला शतक पूरा किया था. उस मैच में हार्दिक ने आठ चौके और सात छक्के मारे थे.