view all

भारत-साउथ अफ्रीका सीरीज : केपटाउन में टीम इंडिया को नहाने के लिए मिलेंगे सिर्फ दो मिनट....

पानी के संकट से जूझ रहा है दक्षिण अफ्रीका का शहर केपटाउन, एक दिन में 87 लीटर पानी से ज्यादा नहीं किया जा सकता इस्तेमाल

FP Staff

भारत के किसी भी शहर में जाइए, आपको टैंकर और उसके सामने लगी कतारें दिखाई देंगी. पानी भरने के लिए बाल्टियां लिए लोग कतारों में लगे होंगे. ये नजारे बहुत आम हैं. इसी तरह के नजारे भारतीयों को दक्षिण अफ्रीका के शहर केपटाउन में देखने को मिल रहे हैं, जहां भारत और दक्षिण अफ्रीका के बीच पांच जनवरी से पहला टेस्ट खेला जाना है.

केपटाउन पानी की सख्त कमी से जूझ रहा है. लोग पानी भरने के लिए लाइनों में लगे हैं. यहां तक कि दोनों टीमों के लिए भी साफ आदेश है कि वे दो मिनट से ज्यादा शावर का इस्तेमाल न करें. अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक भारतीय टीम से ऐसा कहा गया है. यानी आपको नहाने के लिए मिलेंगे महज दो मिनट.


केपटाउन दक्षिण अफ्रीका के खूबसूरत शहरों में गिना जाता है. लेकिन इस वक्त वो पानी के गहरे संकट से जूझ रहा है. कुछ-कुछ वैसे ही हालात हैं, जैसे महाराष्ट्र में हुए थे. स्थानीय म्यूनिसिपल कॉरपोरेशन का आदेश है कि 60 फीसदी पानी की कटौती की जाए.

पिछले साल बरसात नहीं हुई है. इसलिए लेवल 6 वॉटर क्राइसिस अलर्ट घोषित किया गया है. हम इस रिपोर्ट के साथ जो तस्वीर इस्तेमाल कर रहे हैं, वो टेबल माउंटेन से आ रहे पानी को भरने के लिए लगी लाइन की है. यह तस्वीर क्रिकेट रिपोर्टर अमित शाह के फेसबुक वीडियो से ली गई है.

इस वक्त शहर में तय कर दिया गया है कि हर व्यक्ति को प्रति दिन सिर्फ 87 लीटर या हर महीने दस हजार लीटर पानी मिलेगा. इसकी दिल्ली से तुलना करें. भारत की राजधानी में हर महीने 20 हजार लीटर पानी मुफ्त मिलता है. यानी दिल्ली के मुफ्त पानी का आधा केपटाउन में हर व्यक्ति को मिलेगा. दिलचस्प बात यह है कि केपटाउन दोनों तरफ से समुद्र से घिरा हुआ है. यानी हर तरफ पानी दिखने के बावजूद यहां लोगों के पास इस्तेमाल करने के लिए या पीने के लिए पानी नहीं है.

लेवल 6 वॉटर क्राइसिस का मतलब यह है कि पीने के पानी को पूल, पौधे वगैरह के लिए इस्तेमाल नहीं किया जा सकता. इस नियम को तोड़ने पर जुर्माना करीब दस हजार रैंड यानी करीब 51 हजार रुपए है. अंग्रेजी अखबार द टेलीग्राफ के मुताबिक प्रति व्यक्ति प्रति दिन अधिकतम 87 लीटर का नियम पिछले साल से लागू है.