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IND vs ENG: सीरीज को बुरे सपने की तरह जरूर भूल जाएं, लेकिन इन तीन जगहों पर याद रखें

हार के कारण एक- दो नहीं कई हैं, लेकिन इनमें से एक समस्या ने तो भारत को जकड़ लिया है

Kiran Singh

आखिरकार पांच टेस्ट मैचों की सीरीज के आखिरी मैच में भी भारत को हार के साथ ही अपना दौरा खत्म करना पड़ा. भारत अपने इस इंग्लैंड दौरे को शायद ही याद करना चाहेगी, लेकिन टीम और टीम मैनेजमेंट को यहां मिली हार को जरूर याद रखना चाहिए और उन्हें अपनी उन कमियों में सुधार पर अब ध्यान देना होगा, जो इंग्लैंड में उजागार हो गई. वैसे भारत की हार के कारण कई है. सही टीम चयन न हो, गलत डीआरएस, ओपनर्स को खराब प्रदर्शन, स्पिनर्स का फ्लॉप प्रदर्शन, लेकिन कुछ ऐसे कारण भी है, जिसमें सुधार करना काफी जरूरी है और जो यहां हार के कारण भी रहे.

स्पिनर्स का न चलना


टेस्ट सीरीज में स्पिनर्स ने निराश किया. अश्विन अपना प्रभाव नहीं छोड़ पाए. वनडे और टी 20 में अपनी गेंदबाजी से सबके मन में खौफ पैदा करने वाले कुलदीप यादव को उस पिच पर मौका दिया गया, जो स्पिनर्स के अनुसार थी ही नहीं और वहां पर सफल न होने पर उन्हें वापस घर भेज दिया गया. लॉडर्स टेस्ट में कुलदीप को टीम में शामिल किया गया, जो बारिश के बाधित रहा था. वहीं इंग्लैंड ने मोईन अली ने चल गए. बात अगर अश्विन की करे तो पहले टेस्ट मैच में अश्विन ने अपनी जिम्मेदारी निभाई थी और पहली पारी में 62 पर 4 और दूसरी पारी में 59 रन पर तीन विकेट लिए थे, लेकिन इसके बाद बाकी तीन मैच में वह विकेट के लिए तरसते रहे. दूसरे मैच् में वह अपना खाता तक नहीं खोल पाए थे. तीसरे मैच में सिर्फ एक विकट और चौथे मैच में दोनों पारियों को मिलाकर कुल तीन विकेट ही मिले थे.

ठोस शुरुआत न मिलना

हालांकि भारत की यह समस्या काफी समय से बनी हुई है. ओपनर्स की समस्या से भारत जूझ भी रहा है. ठोस शुरुआत न मिलने के कारण बाद के बल्लेबाजों पर दबाव आ जाता है और इसी दवाब में टीम दबती चली गई. हालांकि पहले टेस्ट मैच में भारत को 50 रन पर पहला झटका लगा था, लेकिन इसके बाद 59 रन पर मुरली विजय, केएल राहुल और शिखर धवन के रूप में तीन विकेट गंवा दिए थे. दूसरे मैच की दोनों पारियों में भारत का पहला झटका बिना खाता खोल ही लग गया था. मुरली विजय दोनों पारियों में फेल रहे. तीसरे टेस्ट में भारत को थोड़ी अच्छी शुरुआत मिली और दोनों ही पारियों में 60 रन पर पहला विकेट गिरा. हालांकि इस मैच भी ओपनर्स 70 रन से पहले ही आउट हो गए थे. इस मैच को भातर ने जीता था. चौथे मैच की दोनों पारियों में ओपनर्स फिर फेल हुए. पांचवें और आखिरी मैच की दोनों पारियों 6 रन और 1 रन पर शिखर आउट हो गए.

पंत की खराब विकेटकीपिंग

भले ही आखिरी मैच की दूसरी पारी में विकेटकीपर बल्लेबाज ऋषभ पंत के शतक जड़ दिया हो, लेकिन उनकी उस गलती को भुलाया नहीं जा सकता, जो उन्होंने इस सीरीज में की. इस पारी को छोड़कर वो पूरी सीरीज में ही फेल रहे. यहीं नही उनको विकेटकीपिंग पर ध्यान देने की जरूरत है. दिनेश कार्तिक की जगह दिए गए मौके को वह विकेटकीपिंग में तो भुना नहीं पाए. तेज गेंदबाजों की आती गेंदों को वह सहीं से पढ़ने में भी असफल रहे और जितनी देर में उन्हें गेंद समझ आती तब तक तो गेंद बाउंड्री तक पहुंच जाती. पंत ने बाई के रूप में 50 रन से काफी अधिक रन विपक्षी टीम को उपहार स्वरूप दिए हैं और ऐसे रन गिफ्ट में देने का तो उन्होंने रिकॉर्ड तक बना डाला है, अगर उन्होंने जल्द ही अपनी इस कमी को दूर नहीं किया तो कहीं उन्हें ही टीम से दूर ना होना पड़े.