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आखिर टीम इंडिया से अपनी जमीं बचाने को ‘ग्रीन बम’ क्यों है इंग्लैंड की मजबूरी!

इंग्लैंड के तेज गेंदबाज हरी पिचों पर टीम को जीत दिला रहे हैं, ऐसे में भारत के खिलाफ वह चाह कर भी इसे नजरअंदाज नहीं कर सकते

Jasvinder Sidhu

इंग्लैंड का मौसम हमेशा अपनी मनमर्जी करता है. इसलिए वहां कहा जाता है कि अगर आप बार निकलें तो छाता, सन क्रीम और जैकेट सब साथ होनी चाहिए. अच्छी फॉर्म को इन्जॉय कर रही भारतीय टीम इन दिनों वहां है और इंतजार हो रहा है कि पहली अगस्त से बर्मिघंम में शुरू होने वाले पहले टेस्ट मैच का.

वहां का मौसम इस समय ऐसा है कि लोग टी-शर्ट में भी घूमते दिखाई दे रहे हैं. इसलिए यह कयास भी लगाए जा रहे हैं कि इस बार भारतीय बल्लेबाजों को थोड़ी सूखी पिचों पर खेलने को मिलेगा.


सूखी पिचों पर मिलेगा भारत को फायदा

अनुमान यह भी लग रहे हैं कि इस बार चेरी ड्यूक बॉल भारतीय बल्लेबाजों के कान के पास उन्हें आगाह करते हुए विकेटकीपर या तीन स्लिप में से किसी के हाथों में शायद ही जाए. तो क्या इंग्लैंड इन-फॉर्म कप्तान विराट कोहली जैसे बल्लेबाज की मौजूदगी में यह सीरीज ऐसी पिचों पर खेलने का जोखिम उठाएगा?

बड़ा सवाल यह है कि क्या इंग्लैंड एंड वेल्स क्रिकेट बोर्ड  भारतीय क्रिकेट की कमजोरियों के शब्दकोश के सबसे पहले शब्द ‘हरी घास’ की अनदेखी करने की स्थिति में है? इंग्लैंड के पिछले दो साल के क्रिकेट पर निगाह डालने से अंदाजा होता है कि वह ऐसा जोखिम शायद ही उठाए क्योंकि उसके तेज गेंदबाज टेस्ट मैच जिता कर दे रहे हैं.

2017 से लेकर जून 2018 तक इंग्लैंड ने अपनी पिचों पर साउथ अफ्रीका, वेस्ट इंडीज और पाकिस्तान के खिलाफ 9 टेस्ट खेले हैं जिसमें से वह 6 जीता और 3 हारा है. यह याद रखना जरूरी है कि इस मई में मेजबान क्रिकेट की चिरपरिचित परिस्थितियों में पाकिस्तान के खिलाफ सीजन का पहला मैच बुरी तरह से हारे थे.

नई बॉल के ओपनर मोहम्मद आमिर और मोहम्मद अब्बास सीम और स्विंग को भुनाने में कामयाब हुए और 20 में से 13 विकेट इस दोनों के नाम थे. लेकिन लीड्स में जेम्स एंडरसन और स्टुअर्ट ब्रॉड तेज गेंजबाजी के लिए उपयुक्त पिच पर दोनों पारियों में 11 पाकिस्तानी विकेट ले गए और इंग्लैंड एक पारी और 55 रन से मैच जीता.

एंडरसन और ब्रॉड होंगे जीत की चाबी

यह सही है कि काउंटी क्रिकेट और इंग्लैंड में खेले जाने वाले अंतरराष्ट्रीय मैचों में काफी बड़े स्कोर बने हैं. लेकिन लगता नहीं कि भारतीय टीम को ऐसे हालात मिलेंगे. इसका बड़ा कारण है एंडरसन और ब्रॉड की फॉर्म.

पिछले दो साल के नौ टेस्ट मैचों के स्कोरबोर्ड पर निगाह डालने से दिखता है कि इन दोनों बॉलर्स ने पहले दस ओवर में औसतन दो विकेट अपनी टीम के लिए हासिल किए हैं. ये दोनों गेंदबाज नई गेंद के अलावा चमक खोने के करीब की बॉल से भी विकेट हासिल करने में सफल रहे हैं.

लीड्स में ब्रॉड ने पहली पारी में इमाम उल हक और अजहर अली को अपने पहले और पांचवें ओवर में निपटाया तो एंडरसन ने 29वें और 39वें ओवर के बीच कप्तान सरफराज अहमद, फहीम अशरफ और मोहम्मद आमिर का विकेट निकाल दिया. पहली पारी में 171 रन पर सिमटी पाकिस्तान उसके बाद संभल ही नहीं पाई.

2017 के बाद अब तक के मैचों में इंग्लैंड के गेंदबाज छह मैचों में सामने वाली टीम के सभी 20 विकेट हासिल कर चुके हैं और एक बार वेस्टइंडीज को फॉलोआन भी खेलने पर मजबूर होना पड़ा.

साथ ही करीब सात बार ऐसा हुआ है कि मौसम से मिलने  वाली स्विंग और पिच की मदद से इंग्लैंड सात बार विपक्षी टीम को 28 से लेकर 60 ओवर के बीच ऑलआउट करने में सफल रहा.

इंग्लैंड को अंदाजा है कि हरी घास वाली पिचों की चर्चा होते ही भारतीय बल्लेबाजों पर मनोवैज्ञानिक दबाव बढ़ जाता है. भारतीयों की कमजोरी साफ दिवारों पर लिखी होने के बावजूद इंग्लैंड इसे अपने हक में इस्तेमाल नहीं करेगा, ऐसा लगता नहीं.