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India vs England, क्या खोया क्या पाया: बल्लेबाज कोहली ने तो दाग धो दिए लेकिन कप्तान कोहली मात खा गए...

इंग्लैंड के खिलाफ पांच टेस्ट मैचों की सीरीज ने साबित कर दिया कि कोहली को कप्तानी के गुर सीखने में और वक्त लगेगा

Bhasha

टीम इंडिया के इंग्लैंड दौरे से पहले जिस बात की सबसे ज्यादा चर्चा थी वह था कोहली का इंग्लैंड में प्रदर्शन. इससे पिछले दौरे पर कोहली इंग्लैंड की धरती पर बुरी तरह नाकाम रहे थे और इसी दाग को धोने के लिए कोहली ने काउंटी क्रिकेट खेलने का भी फैसला किया था. बहरहाल चोट के चलते कोहली काउंटी क्रिकेट तो नहीं खेल सके लेकिन फिर भी बतौर बल्लेबाज उन्होंने इंग्लैंड में भी अपनी बल्लेबाजी का परचम लहरा दिया.

बतौर बल्लेबाज तो कोहली के लिए पांच टेस्ट मैचों की यह सीरीज बेहद कामयाब रही लेकिन बतौर कप्तान कोहली पूरी तरह से फ्लॉप साबित हुए


कोहली का यह आकलन सही है कि 1-4 की हार के दौरान लॉर्ड्स टेस्ट के अलावा बाकी टेस्ट में इंग्लैंड की टीम पूरी तरह से उन पर दबदबा नहीं बना पाई लेकिन मेजबान टीम ने अहम मौकों पर बेहतर क्रिकेट खेला.

इस सीरीज से साबित हुआ कि बल्लेबाज के तौर पर कोहली सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि विश्व क्रिकेट में अपने समकक्षों से कहीं आगे हैं.

कोहली ने सीरीज के दौरान दो शतक और दो अर्धशतक की मदद से 593 रन बनाए और इस दौरान प्रतिद्वंद्वी गेंदबाज जेम्स एंडरसन के साथ उनका संघर्ष लोगों के लिए दर्शनीय रहा.

सीरीज के भारत के दूसरे सर्वोच्च स्कोर लोकेश राहुल रहे जिन्होंने 299 रन बनाए लेकिन इसमें से 149 रन उन्होंने महज औपचारिकता के अंतिम मुकाबले में बनाए जिसमें दबाव नहीं था.

कहां चूक गए कप्तान कोहली

कोहली ने हालांकि यह परखने में गलती की कि उनके साथी खिलाड़ी इंग्लैंड के मुश्किल हालात के लिए उतने तैयार नहीं हैं जितने वह स्वयं हैं. भारत ने काउंटी चैंपियन एसेक्स के खिलाफ एकमात्र अभ्यास मैच के समय को भी कम कर दिया जिसकी सुनील गावस्कर जैसे महान खिलाड़ी ने भी आलोचना की.

भारत के लिए हालांकि सबसे बड़ी समस्या टीम के चयन में कुछ खामियां भी रहीं.

ट्रेंटब्रिज टेस्ट में भारत की जीत में अहम भूमिका निभाने वाले चेतेश्वर पुजारा ने एक शतक भी जड़ा लेकिन इससे पहले उन्हें काउंटी क्रिकेट में खराब फॉर्म में कारण पहले टेस्ट से बाहर कर दिया गया. इस टेस्ट विशेषज्ञ बल्लेबाज ने सीरीज में 278 रन बनाए.

भारी पड़ा हार्दिक पांड्या पर अतिविश्वास

टेस्ट क्रिकेट में हार्दिक पांड्या की आलराउंड क्षमता में कोहली के अति विश्वास पर भी सवाल उठाए जा सकते हैं. उन्होंने 164 रन बनाए जिसमें ट्रेंटब्रिज में अर्धशतकीय पारी उन्हें उस समय खेली जब भारत पारी घोषित करने की ओर बढ़ रहा था. इसके अलावा चार टेस्ट में वह बल्ले से प्रभावी प्रदर्शन करने में नाकाम रहे.

पांड्या के पास छठे नंबर पर बल्लेबाजी करने का रक्षात्मक कौशल नहीं है और स्विंग लेती गेंदों के खिलाफ उन्हें काफी परेशानी का सामना करना पड़ा.

दूसरी तरफ इंग्लैंड टीम के उनके समकक्ष सैम कुरेन का प्रदर्शन मेजबान टीम के लिए निर्णायक साबित हुआ और उन्होंने एजबेस्टन में पहले टेस्ट और साउथम्पटन में चौथे टेस्ट में अपने आलराउंड प्रदर्शन से टीम की जीत में अहम भूमिका निभाई.

धवन की नकामी का सिलसिला बरकरार रहा

कप्तान ने शिखर धवन को सलामी बल्लेबाज के रूप में लगातार मौके दिए और वह विफल होते रहे. साउथ अफ्रीका के 2013 दौरे से ही धवन को टेस्ट खेलने वाले टॉप देशों के खिलाफ जूझना पड़ा है.

आठ पारियों में वह सिर्फ 162 रन बना पाए जो संभवत: उनके टेस्ट करियर को नुकसान पहुंचा सकता है क्योंकि पृथ्वी शॉ और मयंक अग्रवाल मौके के इंतजार में तैयार बैठे हैं.

कोहली दुर्भाग्यशाली रहे कि उन्होंने पांचों टेस्ट में टॉस गंवाए लेकिन पिच को पढ़ने की उनकी क्षमता और टीम संयोजन को लेकर काफी सुधार की गुंजाइश है.

प्लेइंग इलेवन चुनने में हुई गलतियां

एजबेस्टन में दूसरा स्पिनर नहीं चुनना गलती थी जबकि पिच से टर्न और उछाल मिल रहा था. परेशानी उस समय बढ़ गई जब लॉर्ड्स में दो स्पिनरों के साथ उतरा गया जबकि हालात तेज गेंदबाजी के अनुकूल थे.

भारत संभवत: तेज गेंदबाजों के अपने बेस्ट ग्रुप के साथ उतरा जिन्होंने हालात का फायदा उठाया लेकिन वे कई मौकों पर इंग्लैंड के निचले क्रम को समेटने में नाकाम रहे जिसने जज्बा दिखाया.

इशांत शर्मा 18 विकेट के साथ भारत के सबसे सफल गेंदबाज रहे जबकि जसप्रीत बुमराह ने 16 और मोहम्मद शमी ने 14 विकेट चटकाए.

रविचंद्रन अश्विन साउथम्पटन में अपने लिए सबसे अनुकूल पिच पर भी कोई कारनामा नहीं कर पाए जो पिच संभवत: रविंद्र जडेजा जैसे खिलाड़ी के लिए आदर्श होती.

करूण नायर पूरे दौरे के दौरान बेंच पर रहे जबकि हनुमा विहारी को अंतिम टेस्ट की अंतिम एकादश में मौका मिला गया.

विहारी ने 56 रन बनाए लेकिन अगर स्टुअर्ट ब्रॉड पहली पारी में पगबाधा की अपील के लिए डीआरएस का सहारा लेते तो यह बल्लेबाज दोनों पारियों में शून्य पर आउट होता.

भारत के लिए अच्छी बात अंतिम टेस्ट की चौथी पारी में लक्ष्य का पीछा करते हुए राहुल और ऋषभ पंत के शतक रहे. पंत की विकेटकीपिंग ठीक-ठाक है जबकि राहुल लगातार नौ विफलता के बाद बड़ी पारी खेलने में सफल रहे.

अगर इसका नतीजा निकालें तो भारत ने इस साल विदेशी सरजमीं पर छह टेस्ट गंवाए हैं जबकि मुख्य कोच रवि शास्त्री कह रहे हैं कि यह विदेशी दौरा करने वाली भारत की सर्वश्रेष्ठ टीम है.

भारतीय टीम अब दिसंबर में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ खेलेगी जिसे डेविड वार्नर और स्टीव स्मिथ की सेवाएं उनके निलंबन के कारण नहीं मिला पाएंगी और कोहली की अगुआई में टीम वहां अपने प्रदर्शन को सुधारने की कोशिश करेगी.