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गलतफहमी में मत रहिए, एजबेस्टन टेस्ट में अपनी क्षमता से धोखा किया है टीम इंडिया ने

भारतीय टीम ने इंग्लैंड के खिलाफ पहले टेस्ट में बहुत सी गलतियां की जिसके कारण वह हार की कगार पर पहुंच गई

Jasvinder Sidhu

सबसे पहले भारतीय क्रिकेट प्रेमियों को खुद को धोखा देना बंद करना चाहिए. एजबेस्टन टेस्ट मैच की हार को एक शानदार बॉलीवुड फिल्म के दुखद अंत की तरह देखना गलत है, क्योंकि यह नाटक दशकों से चल रहा है. पहली बात, इतनी मजबूत बैटिंग लाइनअप की मौजूदगी के बाद भी टीम इंडिया दोनों पारियों में इंग्लैंड के स्कोर को पार करने में नाकाम रही.

हवा में हिलती बॉल बनी बवाल


दूसरी बात, जिस टीम के बारे में दावा है कि इसमें नए दौर के जबरदस्त खिलाड़ी हैं, इस मैच में यह साबित हो गया कि पूर्व के स्टार क्रिकेटरों की तरह ये भी हवा में हिलती बॉल के सामने खुद हिलने लगते हैं. चार स्लिप की फील्डिंग के साथ बॉलिंग के सामने अगर एक टीम के 90 फीसदी बल्लेबाज विकेट के पीछे पहली, दूसरी या तीसरी स्लिप या विकेटकीपर के हाथों आउट होते हैं, तो मान लेना चाहिए कि गेंदबाजों ने अपनी विकेट बनाई और कमाई है. साफ है कि इस मैच में टीम इंडिया के गेंदबाजों की मेहनत की कमाई को उसके ही बल्लेबाजों ने लुटवा दिया.

कप्तान कोहली पर निर्भरता खतरनाक

इस मैच से यह भी दिखता है कि घर से बाहर इस टीम की निर्भरता अपने कप्तान पर इतनी ज्यादा है कि उसके आउट होने के साथ ही वह भी मुकाबले से बाहर हो जाती है. अब बॉलीवुड फिल्म के नायक की तरह विराट कोहली अकेले ही हर बार अपने परिवार और देश के दुश्मनों से तो नहीं निपट सकते.

विराट एजबेस्टन में इंग्लैंड में किसी टेस्ट मैच में 200 रन पूरे करने वाले दूसरे भारतीय बल्लेबाज बने. इससे पहले 1967-68 में मंसूर अली खान पटौदी ने लीड्स टेस्ट में 212 रन बनाए थे. विराट की दोनों पारियों के खेल ने भारत को इस मैच में इंग्लैंड के खिलाफ ला कर खड़ा किया. लेकिन इससे भी अहम था पहली पारी में कोहली का जोंटी रोड्स की तरह अफलातूनी स्टाइल में जो रूट को रन आउट करना. रूट रन आउट न होते तो भारत के लिए शायद ही कोई उम्मीद बचती. विराट ने एक बार फिर साबित किया है कि वह दबाव और मुश्किल हालात में किसी अड़ियल की तरह किसी भी परिस्थिति को खुद पर हावी होने नहीं देते.

लेकिन यह याद रखना होगा कि पहली पारी में उन्हें दो मौके मिले और उनके कई इनसाइड-आउटसाइड एज स्लिप के आगे गिरे. क्या ऐसी किस्मत हर बार उनके साथ रहेगी, यह देखना रोचक होगा. टीम के कई अन्य स्टार खिलाड़ी इस मैच में अपनी क्षमता के साथ न्याय करने में नाकाम रहे हैं.

हार्दिक पांड्या पर फिर उठे सवाल

बेन स्टोक्स बतौर ऑलराउंडर आर अश्विन के खेल की बराबरी कर गए, लेकिन भविष्य के कपिल देव का लेबल लिए हुए हार्दिक पांड्या 20 साल के सैम करन के सामने बौने नजर आते हैं. बतौर ऑलराउंडर पांड्या को कम रन वाले फंसे हुए मैच में खुद सेना के कंमाडर की तरह मोर्चा संभालना चाहिए था. लेकिन इसके बजाय उन्होंने इशांत को मैच के अहम हिस्से में इजराइल में चलने वाले रॉकेटों जैसी गेंदबाजी के सामने झोंक दिया.

जिस समय बेन स्टोक्स मिसाइलें चला रहे थे, इशांत के साथ अपनी पार्टनरशिप में पांड्या सिंगल लेकर दूसरे एंड पर जा खुद का बचाते रहे. इशांत से साथ पार्टनरशिप में पांड्या ने सिर्फ तीन गेंद का सामना किया जबकि इस पेस बॉलर को 15 बॉल झेलनी पड़ी. अंत में वह दबाव के सामने हार गए.

महानायकों की भीड़ में एक बाल कलाकार

इस मैच में कोहली, रूट और जॉनी बेयरस्‍टो जैसे महानायकों की बात हो रही है लेकिन अपना दूसरा टेस्ट खेल रहे करन ने दोनों ही पारियों में बेहद विषम परिस्थितियों में विकेट लेकर और रन बना कर मैच के नतीजे पर जबरदस्त असर डाला है. असल में मैच के हीरो वही हैं.

पहली पारी में करन टीम इंडिया की जबरदस्त गेंदबाजी के सामने 71 बॉल और 90 मिनट की पारी में 24 रन बना कर गए थे. बतौर गेंदबाज पहली पारी में करन ने टीम इंडिया के टॉप ऑर्डर को निपटा दिया. दूसरी पारी में 65 बॉल पर 63 रन ने इंग्लैंड को मैच को जीतने की स्थिति में ला खड़ा किया. महानायकों से भरी किसी फिल्म में यह एक बाल कलाकार का बेस्ट एक्टर का अवॉर्ड जीत लेने जैसा है. टीम इंडिया के कई स्टार इससे प्रेरणा ले सकते हैं.