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सीरीज में 28 घंटे 22 मिनट की बैटिंग भी विराट की तारीफ का एक सेकेंड ना दिला सकी पुजारा को

india vs australia: 23 मिनट 38 सेकंड की इस प्रेस कान्फ्रेंस के दौरान सीरीज में 1702 मिनट या 28 घंटे 22 मिनट तक बल्लेबाजी करने के बाद भी पुजारा कप्तान से तारीफ के चंद सेकंड कमाने में नाकाम रहे

Jasvinder Sidhu

देश आजाद होने के बाद पहली बार ऑस्ट्रेलिया में सीरीज जीतने के बाद प्रजेंटेशन सेरेमनी में कप्तान विराट कोहली ने पुजारा के लिए खास शब्द कहे. कप्तान ने कहा, ‘पुजारा पूरी सीरीज में आउटस्टैंडिंग थे. वह अपने खेल पर काम करते हैं और वह टीम में नाइसेस्ट मैन (अच्छा बंदा) हैं.’ बस.

पुजारा को आउटस्टैंडिंग बताने के आधे घंटे बाद कप्तान मीडिया से सामने थे. कप्तान से पहला ही सवाल पूछा गया कि सीरीज की किसी एक पारी या एक स्पैल के बारे में वह बात कर सकते हैं, जिसने सीरीज के नतीजे पर असर डाला हो. कप्तान ने इंग्लिश में जवाब दिया, ‘नन’ यानी कोई नहीं.


सीरीज में सबसे ज्यादा रन वाले बल्लेबाज है पुजारा

कप्तान ने कहा कि यह किसी एक खिलाड़ी को योगदान की नतीजा नहीं है, बल्कि पूरी टीम की कोशिशों का नतीजा है. संभव है कि कप्तान किसी एक खिलाड़ी का नाम लेने से बच रहे हों. स्कोर बोर्ड पर बल्लेबाजी की हालत साफ है. पूरी सीरीज में सिर्फ पुजारा और पंत ही हैं, जो तीन सौ से ऊपर स्कोर बना पाए हैं. पांच शतक बने हैं, जिनमें तीन पुजारा के हैं.

यकीनन पुजारा सीरीज में आउटस्टैंडिंग थे, वह चारों मैचों का स्कोर बोर्ड मुनादी कर रहा है. ऐसे में अगर कप्तान कहे कि कोई ऐसी पारी वह नहीं बता सकते जिसने सीरीज पर असर डाला हो, यह पुजारा के साथ ज्यादती होगी. सौराष्ट्र का यह बल्लेबाज भला इंसान है, इसमें किसी को शक नहीं.

असल में विराट का पहले सवाल का जवाब किसी फिल्म को ऑस्कर मिलने जैसा है. हाथ में ट्रॉफी आने के बाद फिल्म का डायरेक्टर अपनी फिल्म के बारे में हर बात करता है. बताता है कि किन दिक्कतों से उबर कर यह ट्रॉफी उनके हाथ में आई है. लेकिन अपने लंबे भाषण में फिल्म को उस मुकाम तक पहुंचाने वाले सबसे अहम किरदार के बारे में एक भी शब्द बोलना जरूरी नहीं समझता.

ऑस्ट्रेलिया में 2-1 से एतिहासिक जीत के बाद चेतेश्वर पुजारा के साथ यही हुआ है. सिडनी टेस्ट ड्रॉ होने के सीरीज पर कब्जा करने के बाद भारतीय कप्तान विराट कोहली अपने कोच रवि शास्त्री के साथ प्रेस कान्फ्रेंस में थे. 23 मिनट 38 सेकंड की इस प्रेस कान्फ्रेंस के दौरान सीरीज में 1702 मिनट या 28 घंटे 22 मिनट तक बल्लेबाजी करने के बाद भी पुजारा कप्तान से तारीफ के चंद सेकंड कमाने में नाकाम रहे.

पहला ही सवाल पुजारा और जसप्रीत बुमराह के लिए किया गया था. यह सही है कि विराट के तेज गेंदबाजों ने इस सीरीज पर जबरदस्त असर डाला है लेकिन उन्हें संकट में स्कोर बोर्ड पर मैच बचाने लायक रन किसने दिए!

इस सवाल के जवाब में सीरीज के पहले एडिलेड टेस्ट चलते हैं. एडिलेड में पहले टेस्ट की पहली पारी में भारत के पहले पांच विकेट सिर्फ 86 रन पर गिरे गए थे. लेकिन चेतेश्वर धैर्य से भरी अपनी बल्लेबाजी की बदौलत ना केवल शतक ठोक गए बल्कि दूसरी पारी में 71 रन और विराट के साथ इतनी ही रन की पार्टनरशिप खड़ी कर गेंदबाजों को वह स्कोर दिया जिसकी वे रक्षा करने में सफल रहे. मेलबर्न की जीत भी एडिलेड की फोटोकॉपी थी. पुजारा के शतक से बड़ी उनकी मयंक के साथ 83 और विराट और उनके बीच बनी 170 की पार्टनरशिप टीम को चार सौ के स्कोर के ऊपर ले गई, जो टीम के लिए मैच जीतने लायक स्कोर साबित हुआ.

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सिडनी टेस्ट में पुजारा महज सात रन से दोहरा शतक पूरा करने चूके. सीरीज में तीन शतकों और एक फिफ्टी के साथ दोनों टीमों में सबसे अधिक 521 हैं. इस सीरीज में उनका स्ट्राइक रेट (41.44) 282 रन बना कर उनके पीछे चल रहे विराट (41.22) से बेहतर है.

इस सीरीज में पुजारा का खेल आमिर खान, सलमान खान, शाहरुख खान, संजय दत्त जैसी स्टारों की मौजूदगी में नसीरुद्दीन शाह या ओमपुरी जैसे नायाब मगर पिछली पंक्ति के अदाकार का फिल्म को ऑस्कर अवार्ड दिलाने जैसा था.

वैसे कोच रवि शास्त्री ने प्रेस कान्फ्रेंस के आखिरी हिस्से में पुजारा की एक तारीफ में एक लाइन जरूर कही. लेकिन इसके बाद उन्होंने एक सवाल के जवाब में कहा कि इस सीरीज में टीम ने अहम मोमेंट्स पर सीख कर खुद को संभाला. उन्होंने एडिलेड टेस्ट मैच की पहली पारी का उदहारण दिया, जिसमें 70 पर चार बल्लेबाज आउट हो गए थे. लेकिन फिर भी टीम 250 का स्कोर बनाने में सफल रही.

पुजारा के साथ पहली बार ऐसा नहीं हुआ है. कल्पना कीजिए एक ऐसे बल्लेबाज की जो लगातार रन बना रहा हो. ऐसे बल्लेबाज के टेस्ट में 5000 रन पूरे करने के बाद टीम को लगना ही चाहिए कि उनसे कुछ सीखा जा सकता है.

यकीनन पुजारा को शायद ही कभी हीरो का दर्जा मिले. भारतीय टीम आजादी के साल से ही ऑस्ट्रेलिया का दौरा कर रही है और कभी नहीं जीती. आज कप्तान विराट कोहली के हाथ में 70 साल बाद जो ट्रॉफी है उसकी पटकथा के ज्यादातर पन्ने पुजारा ने ही लिखे हैं. इसके लिए उन्हें श्रेय मिलना ही चाहिए.