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IND vs AUS: ऑस्ट्रेलिया को दौड़ा-दौड़ा कर मारने का मौका गंवा दिया विराट ने

विदेशी दौरे पर साउथ अफ्रीका और इंग्लैंड के बाद पहली बार टीम इंडिया 150 से ज्यादा ओवर बल्लेबाजी करके गई है. मेलबर्न क्रिकेट ग्राउंड पर पिछले दस साल में ऑस्ट्रेलियाई पेसरों को कभी किसी पारी में 170 ओवर गेंदबाजी करने की जरूरत नहीं पड़ी

Jasvinder Sidhu

मेलबर्न टेस्ट मैच में 443 रन के स्कोर पर पारी समाप्त करने का बहादुरी भरा आक्रामक फैसला सही है या गलत, इसका पता अगले तीन दिन के खेल के बाद ही पता लगेगा. रवींद्र जडेजा की टीम में मौजूदगी और पिच का रुख यह फैसला वाह-वाह भी करा सकता है लेकिन अगर पासा उलटा पड़ा तो कप्तान और कोच को कई जवाब देने होंगे.

वैसे कुछ और ओवर की बल्लेबाजी ऑस्ट्रेलिया को जिस्मानी और जहनी तौर पर तोड़ने में कारगर साबित होती. 172.9 मीटर लंबे और 147.8 मीटर चौड़े प्लेइंग एरिया वाला मेलबर्न क्रिकेट ग्राउंड कितना बड़ा है, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि 15 बार भारतीय बल्लेबाज एक साथ तीन रन लेने में कामयाब रहे.


बल्लेबाजी में औसत ऑस्ट्रेलियाई टीम की मजबूती उसकी तेज गेंदबाजी है और दो दिन से ज्यादा पेसरों व फील्डरों को मैदान पर दौड़ाने का फायदा टीम इंडिया को मिल सकता था.

विदेशी दौरे पर साउथ अफ्रीका और इंग्लैंड के बाद पहली बार टीम इंडिया 150 से ज्यादा ओवर बल्लेबाजी करके गई है. मेलबर्न क्रिकेट ग्राउंड पर पिछले दस साल में ऑस्ट्रेलियाई पेसरों को कभी किसी पारी में 170 ओवर गेंदबाजी करने की जरूरत नहीं पड़ी.

पिछली बार सबसे ज्यादा 159.1 ओवर इंग्लैंड ने 2010 में खेले थे और वह मैच पारी और 157 से जीत कर गया था. इस टेस्ट मैच में 170 में से 120 ओवर ऑस्ट्रेलियाई पेसर डाल चुके थे. मेलबर्न की गरमी के बीच इस बड़े ग्राउंड मैदान पर फील्डर्स का गेंद का पीछा करना जिस्म और जहन को तोड़ देने वाला साबित होता है. पिछले कई टेस्ट मैचों के नतीजों में देखा गया है कि लागातार दो दिन या उससे अधिक फील्डिंग करने वाली टीम एकाएक मैच में टूट गई और मैच भी उसकी पकड़ से बाहर हो गया.

ऑस्ट्रेलियाई टीम में कई खिलाड़ी ऐसे भी हैं, जिनका कैरियर अभी परवान चढ़ रहा है और उनमें अनुभव की कमी है. साथ ही उनके लिए टेस्ट क्रिकेट का यह रूप नया है, जिसमें विकेट गिरने का इंतजार खत्म होने का नाम ही नहीं लेता.

क्रीज पर रोहित शर्मा जैसा आक्रामक बल्लेबाज मौजूद था. उसका इस्तेमाल ऑस्ट्रेलिया को दिमागी तौर पर और तोड़ने के लिए किया जा सकता था. ऑस्ट्रेलिया के दौरे पर भारतीय टीम कभी इतनी मजबूत स्थिति में नहीं दिखाई दी है. यकीनन उसे अपने पक्ष में बने हालात को भुनाना चाहिए.

विराट की टीम के ऑस्ट्रेलिया पहुंचने से पहले ही कहा जा रहा  था कि यह ऑस्ट्रेलिया की सबसे कमजोर टीम है. कहा जा रहा था कि भारतीयों के पास ऑस्ट्रेलिया में सीरीज जीतने का सबसे मजबूत मौका है. एडिलेड में अच्छी शुरुआत हुई भी, लेकिन पर्थ में उल्टा हो गया. मेलबर्न फिर टीम इंडिया के लिए एक और चांस होना चाहिए.

टीम इंडिया के साथ अच्छी बात रवींद्र जडेजा की मौजूदगी है. टीम के साथ दौरे पर रहने के बावजूद मैच खेलने का मौका ना मिलना मजबूत आत्मविश्वास वाले क्रिकेटर को भी तोड़ देता है. साथ ही उम्र के जिस पड़ाव पर वह हैं, टीम में कुछ साल और बने रहने के लिए अपना सबसे बेहतर दिखाना भी उनके लिए मजबूरी है.

बेशक इस पिच में काफी अच्छा बाउंस है लेकिन कई बॉल एकाएक नीचे भी रही हैं. ऐसे में जडेजा के स्पैल रोचक रहेंगे. वैसे इस मैदान पर फील्डिंग करना भारतीयों के लिए भी चुनौती रहेगा.