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इस क्रिकेटर ने पिता को रात ढाई बजे जगाया और कहा, आपका और मेरा सपना पूरा हो गया है डैडी

जिंदगी का मकसद पूरा होने की खबर मिल गई थी, अब पिता लखविंदर सिंह की आंखों में नींद दूर दूर तक नहीं थी. उन्होंने बाकी की रात बेटे तो उस सुबह का इंतजार काट दी, जो उनके बेटे की जिंदगी में आने वाली थी

Jasvinder Sidhu

'डैडी जी, मैंनू वनडे वास्ते ऑस्ट्रेलिया भेज रए आ. मैंनू पक्का यकीन सी कि मैं इंडिया वास्ते खेडूंगा. आज ओ दिन आ गया आ. सब थवाडि मेहर ते मेहनत का नतीजा है. ,' (डैडी जी, मुझे वनडे सीरीज के लिए ऑस्ट्रेलिया भेज रहे हैं. मुझे यकीन था कि मैं इंडिया के लिए खेलूंगा. आज वह दिन आ गया. यह सब आपकी मेहर और मेहनत का नतीजा है).

13 जनवरी की रात ढाई बजे शुभमन गिल का दरवाजा खटखटाना उनके पिता लखविंदर सिंह के लिए जिंदगी का मकसद पूरा कर गया. जाहिर है कि इसके बाद पिता को नींद कहां आनी थी. लखविंदर ने बाकी के घंटे अपने बेटे के करियर की नई सुबह के इंतजार में काट दिए.


किसी भी मां-बाप के लिए सबसे बड़ा सपना होता है कि उसकी औलाद सबसे ऊंचा मुकाम हासिल करे. कुछ ऐसे भी होते हैं जो अपने बचपन के  टूटे हुए सपनों को अपनी संतान में पूरा होते देखने के लिए अपना सब कुछ झोंक देते हैं. लखविंदर सिंह उनमें से एक हैं.

शुभमन गिल के पिता लखविंदर ने जवानी की उम्र में पेशेवर क्रिकेटर बनने का सपना देखा था.  हालातों को यह गंवारा नहीं गुजरा. फजिल्लका जिले के जलालाबाद हल्के के जयमल सिंहवाला गांव के इस अमीर किसान ने बेटे का क्रिकेट करियर ठीक उसी तरह से सींचा जैसे किसान अपनी फसलों को बड़ा करता है.

शुभमन गिल पंजाब के लिए घरेलू क्रिकेट में और इंडिया ए के लिए लगातार रन बना रहे हैं. हार्दिक पांडया और केएल राहुल के टीवी शो में शर्मनाक बकवास की कीमत टीम से बाहर हो कर चुकानी पड़ी है. टीम इंडिया के लिए शुभमन और विजय शंकर का रास्ता इसी विवाद के बीच से निकला है.

शुभमन खुश हैं. वह उत्साहित हैं कि उनके पिता का सपना पूरा हो गया. बकौल लखविंदर सिंह  'बहुत खुश था वो. उसमें आत्मविश्वास भरा हुआ था. कहा, डैडी मैं रन बनाउंगा. आप देखना. यह मेरे लिए बड़ा मौका है. मैं अपनी खुशी बयां नहीं कर सकता.'

इंडिया ए और पंजाब रणजी टीम के इस राइट आर्म ओपनर व ऑफ स्पिनर शुभमन को जब भी मौका मिला, उसे गंवाया नहीं. नवंबर 2017 में पंजाब के लिए अपने पहले रणजी मैच में शुभमन के बंगाल के खिलाफ पहली पारी में नई गेंद के सामने 63 रन थे. जब शुभमन को भारत की अंडर-19 टीम में लिया गया तो इंग्लैंड में खेली उन्होंने चार पारियों में टीम को 351 रन दे दिए.

पंजाब के लिए अंडर-16 टीम में पहली बार खेल रहे शुभमन के नाम विजय मर्चेंट ट्रॉफी में डबल सेंचुरी  है. 2013-14 और 2014-15 में वह बीसीसीआई के बेस्ट जूनियर प्लेयर चुने गए थे. बतौर ओपनर शुभमन के पास गेंद को देर तक देखने वाली आंखें और पिच पर गिरने के बाद उसे अपनी मर्जी से खेलने वाली टायमिंग हैं.

जाहिर है कि सीरीज में शुभमन को मैच मिलना तय है और वह उसके लिए अपने पिता की कुर्बानियों के साथ न्याय करने का दिन होगा. अंडर-19 विश्व कप में भारतीय टीम में पाकिस्तान के खिलाफ शतक के अलावा तीन अर्धशतकों के साथ सबसे अधिक 372 रन बनाने के बाद से सेलेक्शन कमेटी की निगाह उन पर थी.

विश्व कप के बाद इस लेख से बातचीत में शुभमन ने कहा था, 'मेरे डैडी ने बहुत कुर्बानियां दी हैं मेरे लिए. मेरा क्रिकेट और यह वर्ल्ड कप उनके लिए हैं.,' बचपन में खिलौनों की जगह बैट-बॉल के लिए जिद करने वाले बेटे ने क्रिकेटर बनने का सपना देखा था. लिहाजा गांव छोड़कर मोहाली में बसने के फैसला किया. वह साल में तीन चार फसलों के लिए सैंकड़ों बार पिता मोहाली से 320 किलोमीटर दूर फजिल्लका जाते, काम करते और फिर अपने अकेले बेटे के क्रिकेट के शौक को बड़ा करने में जुट जाते.

बेटे की इस यात्रा में व्यस्तता के कारण पिता अपने परिवार की कई शादियों में ही नहीं गए और बहुत ऐसा कुछ करना पड़ा जो रिश्तेदारी में बदनामी का सबब हो सकता था. लेकिन उनके सामने बेटे का सपना था जो वह तीन साल की उम्र से देख रहा था. लखविंदर सिंह आज खुश हैं क्योंकि उन्होंने अपने छोटे से शुभमन को अपने तकिए के नीचे बैट रख कर सोते देखा है.