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भारत-ऑस्ट्रेलिया टेस्ट: परीकथाओं जैसा रहा पहला दिन

एक युवा गेंदबाज की जादुई गेंदबाजी हमेशा इस दिन की याद दिलाएगी

Prem Panicker

भारत-ऑस्ट्रेलिया सीरीज के करीब एक दर्जन दिनों में तमाम परीकथाएं सामने आई हैं. इसमें ताजातरीन नाम है बाएं हाथ के चाइनामैन/गुगली गेंदबाज कुलदीप यादव का. उनकी कहानी तमाम संभावनाओं की बाउंड्री से गुजरती है. किसने सोचा था कि कप्तान और टीम में नंबर चार पर खेलने वाले विराट कोहली नहीं खेलेंगे. किसने सोचा था कि उनकी जगह लेने वाला कोई गेंदबाज होगा. वो भी बाएं हाथ का स्पिनर!

उनका टीम में आना थोड़ा हैरत में डालने वाला था. उतनी ही हैरत वाली बात थी वो बेहतरीन गेंद करना, जिन पर उन्हें विकेट मिले. ऑस्ट्रेलियन टीम पहले सत्र के बाद 31 ओवर में एक विकेट पर 131 रन बनाकर तेजी से आगे बढ़ रही थी. उसे उन्होंने बिखेर कर रख दिया.


लंच से पहले कुलदीप ने सिर्फ एक ओवर किया था. ब्रेक के बाद शुरुआत की. दूसरे ओवर की पहली ही गेंद जैसे जादू भरी थी. बाएं हाथ के डेविड वॉर्नर को उन्होंने फ्लाइट, लूप और बाउंस के जरिए पीछे धकेला. वॉर्नर के बल्ले का किनारा लगा. टीम इंडिया के 33वें कप्तान अजिंक्य रहाणे ने स्लिप में कैच किया.

दूसरे छोर पर उमेश यादव ने रांची मे ऑस्ट्रेलियाई टीम के हीरो रहे शॉन मार्श को बांधकर रख दिया. बाउंसर ने उनके ग्लव को चूमा और उमेश को विकेट मिल गया. उसके बाद कुलदीप ने वो गेंद की, जिसे बॉल ऑफ द मैच कहा जा सकता है. पीटर हैंड्सकॉम्ब को फ्लोटर की. फ्लाइट से बल्लेबाज को छकाया. ऐसी जगह पिच हुई, जो दाएं हाथ के बल्लेबाज के लिए ड्राइविंग जोन कहा जा सकता है. टर्न हुई. गैप से निकलते हुए ऑफ स्टंप के टॉप पर लगी.

मैक्सवेल उनका अगला शिकार थे. परफेक्ट गुगली या रॉन्ग-वन का शिकार बने. बैक ऑफ द हैंड से गेंद आई. बल्लेबाज को वेरायटी से छकाया. पैड से फ्लिक होती हुई गेंद मिडिल स्टंप पर लगी.

ऑस्ट्रेलिया का स्कोर एक विकेट पर 143 था, जब कुलदीप ने अपनी लाइन और लेंथ को थोड़ा बदला. इससे पहले कि पलक झपकती, मेहमानों का स्कोर पांच विकेट पर 178 रन हो गया. पहले ही इंटरनेशनल मैच में इस युवा ने किसी वेटरन जैसे गेंदबाजी की.

हैरत की बात थी कि बाएं हाथ के इस गेंदबाज ने लगातार जमकर फ्लाइट दी. फिर भी लेंथ परफेक्ट थी. उन्होंने चाइनामैन की, गुगली की. दोनों के बीच सीधी गेंद की. सीम को सीधा और अक्रॉस रखा. बीच में फ्लिपर थी. ये वाकई किसी मास्टर क्लास की तरह था.

कहा जाता है कि वो बाएं हाथ के तेज गेंदबाज थे. फिर उन्होंने जो पहली धीमी गेंद की, वो चाइनामैन थी. उन्हें पता नहीं था कि ये क्या है. उन्हें 16 साल की उम्र में मुंबई इंडियंस के लिए चुना गया. फिर वो कोलकाता नाइटराइडर्स का हिस्सा हो गए. यहां बॉलिंग कोच वसीम अकरम थे. वही वसीम अकरम, जिनकी वजह से कुलदीप यादव ने क्रिकेट खेलना शुरू किया.

अकरम और अपने आदर्श शेन वॉर्न की सलाह पर उन्होंने गेंदबाजी करनी जारी रखी. परीकथा जारी रही और एक दिन उन्होंने सचिन तेंदुलकर का विकेट लिया. एक वीडियो इंटरव्यू में कुलदीप ने कहा कि उस रात वो सो नहीं पाए थे.

इस रात यानी शनिवार की रात वो जरूर आराम से सोएंगे. ये ऐसा दिन था, जब सुबह मैच हाथ से निकलता लग रहा था. इसे वो वापस अपनी टीम की पकड़ में ले आए.

भारत इस टेस्ट में ड्रीम स्टार्ट पा सकता था. इशांत शर्मा की जगह आए भुवनेश्वर कुमार की पहली ही गेंद ने डेविड वॉर्नर के बल्ले के बाहरी किनारे को छुआ. तीसरी स्लिप में गेंद गई, जहां करुण नायर ने कैच टपका दिया. वॉर्नर फिर अपनी नर्वसनेस से बाहर निकले. दूसरी तरफ, रेनशॉ के आउट होने के बाद आए स्मिथ जबरदस्त फॉर्म में थे. पहला सेशन ऑस्ट्रेलिया के नाम रहा.

वॉर्नर 79 गेंदों में 54 पर नॉट आउट रहते हुए लंच के लिए गए. इसमें आठ चौके और अश्विन की गेंद पर लगाया एक छक्का था. 54 में से 24 रन पॉइंट-कवर क्षेत्र से आए. इससे उनकी ताकत का अंदाजा होता है. 16 रन थर्ड मैन पर बने.

दूसरी तरफ स्टीव स्मिथ ने डोनाल्ड ब्रैडमैन जैसी औसत पाने की इच्छआ बरकरार रखी. इस सीरीज में वो किसी साधक की तरह तन्मयता पाने में कामयाब रहे हैं. उन्होंने आक्रामक अंदाज अपनाया, जो देखने में सुखद था.

स्मिथ की पारियां उनके क्रीज का बेहद शानदार इस्तेमाल करने की कहानी हैं. क्रीज की गहराई का इस्तेमाल करके वो गेंदबाजों को लेंथ में बदलाव पर मजबूर करते हैं. पहले सेशन में उन्होंने 72 रन बनाए. स्ट्राइक रेट 71.2 थी. 28 रन कवर एरिया से आए. 21 रन स्क्वायर लेग और मिड विकेट के बीच से आए. इससे विकेट के दोनों तरफ, बैक या फ्रंट फुट पर ड्राइव करने की उनकी क्षमता का पता लगता है.

इसके बाद कुलदीप ने एक सपने की स्क्रिप्ट शुरू की. हर ओवर के बाद बाउंड्री पर उन्हें ड्रिंक देने के लिए कोच अनिल कुंबले या विराट कोहली आ रहे थे. उनसे बात कर रहे थे. उन्हें सलाह दे रहे थे. वाकई ये देखना कमाल का अनुभव था.

कुलदीप ने लगातार स्मिथ को मुश्किल में डाला. इस बीच मैथ्यू वेड ने अश्विन को किसी सीम गेंदबाज की तरह खेलना शुरू किया. वजह थी कि उन्हें टर्न नहीं मिल रहा था. लेकिन इसी बीच स्मिथ स्ट्राइक पर आए. अश्विन ने उन्हें सीधी गेंद की. स्मिथ लाइन के अंदर खेल गए. उन्हें टर्न की उम्मीद थी. बल्ले का किनारा लगा. रहाणे ने बहुत अच्छा कैच पकड़ा.

जादुई दूसरे सेशन में 29 ओवर गेंदबाजी हुई. 77 रन पर भारत को पांच विकेट मिले. इसने मैच पूरी तरह बदल दिया. रहाणे ने टॉस के समय कहा था कि हमें तीन-चार विकेट की जरूरत है. उनकी टीम को दस विकेट मिले. इसके लिए उनकी अच्छी कप्तानी का भी रोल है.

दूसरे सेशन में रहाणे ने कुलदीप यादव से लंबा स्पैल कराया. दूसरे छोर से उमेश, अश्विन और जडेजा ने बदल-बदलकर गेंदबाजी करवाई. तीसरे सेशन में गेंद थोड़ी नरम हो गई. उस समय उन्होंने गेंदबाजों को जल्दी-जल्दी बदला.

पांच गेंदबाज हमेशा एक तरह की लक्जरी समझे जाते हैं. लेकिन यहां हर गेंदबाज ने अपना रोल निभाया. उमेश ने रेनशॉ को जल्दी आउट किया. वापस आए तो मार्श को आउट किया. अश्विन ने ऑस्ट्रेलियाई कप्तान को आउट किया. हालांकि वो तब तक अपना 20वां टेस्ट शतक जमा चुके थे. भारत के खिलाफ उनका सातवां शतक था. जडेजा ने कमाल की गेंद पर वेड को आउट किया. भुवनेश्वर ने नई गेंद से विकेट लेते हुई पारी खत्म करने का काम किया.

ये दिन टेस्ट क्रिकेट के लिए बहुत अच्छा था. बेहतरीन बल्लेबाजी, कमाल की गेंदबाजी. कंट्रोल एक तरफ से दूसरी तरफ गया. लेकिन जो इमेज बनेगी, वो एक युवा गेंदबाज की होगी, जो पहला टेस्ट खेल रहा था. हिमालय की पहाड़ियों में दूर बादल उमड़ रहे थे, इधर शांत भाव से कुलदीप अपनी फील्ड सजा रहे थे. कई बार कप्तान की पसंद से अलग. सीनियर्स को इशारा करते हुए कि वो अपनी जगह से थोड़ा इधर या उधर सरकें. उन्हें वो सब मिला, जो  इस दिन वो चाहते होंगे. हवा में वाकई जादू तैर रहा था.