एडिलेड टेस्ट मैच में भारतीय टीम काफी अच्छी स्थिति में है, लेकिन आखिरी दिन के नतीजे के बारे में कोई भी दावा करना जल्दबाजी होगी. क्रिकेट में कभी कुछ भी हो सकता है.
यकीनन ऑस्ट्रेलियाई टीम संकट में है और उससे भी बड़ा संकट क्रीज पर डटे शॉन मार्श के लिए है, जिनका खेल जीवन अपने सबसे बुरे दौर में है और एक और नाकामी उनके करियर पर सवालिया निशान लगा सकती है.
मार्श और ऑस्ट्रेलिया के लिए अहम है दिन
जाहिर है कि आखिरी दिन मार्श के लिए ना केवल टीम को बल्कि खुद को बचाने वाला है और इसके लिए एक यादगार पारी उनकी सबसे बड़ी जरुरत है. वैसे वह पहले भी ऑस्ट्रेलिया को ऐसे संकट से निकाल कर उसे बचाने का कारनामा कर चुके हैं और उनके साथ दूसरे छोर पर मौजूद ट्रेविस हेड भी.
इस साल मार्श ने आठ मैच खेले हैं और उनकी 15 पारियों में सिडनी टेस्ट में इंग्लैंड के खिलाफ शतक के बाद कोई अर्धशतक नहीं है. आठ बार वह दस रन से पहले आउट हुए हैं. दो बार जीरो पर भी. एडिलेड टेस्ट की 31 रन की नाबाद पारी से पहले सात में वह दोहरे अंक पर पहुंचने में नाकाम रहे .अक्तूबर में मार्श साउथ अफ्रीका के खिलाफ नाकामी से साथ संयुक्त अरब अमीरात में पाकिस्तान के खिलाफ खेलने उतरे थे. दो मैचों में उनका स्कोर 7,0, 3 और 4 रन था.
मार्श परिणाम को बदलने का रखते हैं दम
उस सीरीज के बाद सवाल किया गया कि क्या मार्श अपनी आखिरी सीरीज खेल चुके हैं. एडिलेड में उनके पास इस सवाल का जवाब देने का मौका है.वैसे मार्श पहली बार ऐसी स्थिति का सामना नहीं कर रहे हैं जब टीम के हालात खराब थे और उन्होंने एकाएक मैच के परिणाम को प्रभावित करने वाली खेल कर टीम को संकट से बाहर निकाला हो.
2017 में ऑस्ट्रेलियाई टीम भारत में थी. पहले दो टेस्ट मैचों में मार्श के बल्ले से 16,0,66 ,9 रन ही निकले. रांची टेस्ट मैच की पहली पारी में उनके नाम के आगे सिर्फ दो रन थे. दूसरी पारी में मैच बचाने की कवायद में ऑस्ट्रेलिया ने 63 रन पर चार विकेट गंवा दिए थे. मार्श उस मैच में टीम को बचाने में सफल रहे, क्योंकि वह 197 बॉल तक डटे रहे. पीटर हैंड्सकॉंब के साथ 124 रन की उनकी पार्टनरशिप ने मैच भारत की पहुंच से बाहर कर दिया.
दूसरे छोर पर हेड मौजूद हैं. पहली पारी में वह टीम को अपने 72 रन से बचा चुके हैं. ऑस्ट्रेलियन टीम उनसे भी उम्मीद कर सकती है. अक्तूबर में पाकिस्तान के खिलाफ ऑस्ट्रेलिया को मैच जीतने के लिए 462 रन का लक्ष्य मिला था. ऑस्ट्रेलिया ने 87 रन पर अपने तीन टॉप के बल्लेबाज गंवा दिए.
उस मैच के पहली पारी में जीरो पर आउट हुए हेड करीब साढ़े तीन घंटे बल्लेबाज करने 72 रन बना गए और उस्मान खवाजा से साथ उनकी 132 रन की सांझेदारी मैच को ड्रॉ करवाने में सफल रही.
भारत के पक्ष में मैच न होने पर बल्लेबाज जिम्मेदार
टीम इंडिया का पेस और स्पिन अटैक मैच में जबरदस्त गेंदबाजी कर रहा है और इनका सामना मार्श और हेड के अलावा बाकी बल्लेबाजों के लिए आसान नहीं होगा. लेकिन अगर मैच का नतीजा भारत के पक्ष में नहीं गया तो उसकी सारी जिम्मेदारी बल्लेबाजों पर होगी. क्योंकि पहली पारी में खुद कप्तान सहित स्टार बल्लेबाज गैरजिम्मेदारी भरे शॉट्स मार कर आउट हुए और दूसरी में जब लगा कि ऑस्ट्रेलिया को चार सौ से उपर का लक्ष्य मिलेगा, टीम के 25 रन के भीतर पांच बल्लेबाज लपेट लिए गए.
248 पर पांच से स्कोर से 307 पर ऑलआउट होना अपराध है और इसके लिए किसे सजा मिलनी चाहिए, शायद मैच खत्म होने के बाद इस पर कोई बात करे.