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India vs Australia : महाराज कोहली के आने की मुनादी के बाद क्या ‘चिन म्यूजिक’ भी बजाएगा ऑस्ट्रेलिया!

ऑस्ट्रेलिया में इस साल खेले आठ वनडे मैचों की 16 पारियों में सिर्फ चार बार ही स्कोर तीन सौ से उपर पहुंचा है. इन आठ मैचों में दोनों ओर के 124 विकेट गिरे जिसमें से पेसरों के खाते में 106 पेसरों के खाते में हैं

Jasvinder Sidhu

2015 में रेयान हैरिस ने एक बयान दिया था. हैरिस ने कहा था कि युवा मिचेल जॉनसन के रिटारमेंट लेने के पीछे ऑस्ट्रेलिया की पिचों में लगातार आ रहा धीमापन एक बड़ा कारण था. उसके बाद से ऑस्ट्रेलिया की पिचों में गायब परंपरागत बाउंस और तेजी को वापस लाने पर बहस चल रही है.

जिस तरह की फॉर्म में भारतीय कप्तान विराट कोहली हैं और भारतीय टीम उनके मैदानों पर वनडे और टेस्ट सीरीज खेलने की तैयारी कर रही है, ऑस्ट्रेलिया में पिचों के मिजाज को लेकर बहस तेज हो रही है.


पूर्व दिग्गज ग्लेन मैक्ग्रा लगातार इस सुस्त पड़ती पिचों और नदारद होम एडवांटेज की आलोचना करते आ रहे हैं. हाल ही में उन्होंने कहा कि भारतीय टीम जब पिछले दौरे पर आई थी तो ऑस्ट्रेलिया की पिचें सपाट थीं. उन्होंने भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच सीरीज में ड्रॉप इन पिचों की वकालत की.

मैक्ग्रा ने कहा कि बल्लेबाजी भारत की मजबूती है और यह देखना है कि ऑस्ट्रेलिया की गेंदबाजी विराट कोहली पर कैसे अंकुश लगाने में कामयाब रहती है.

बॉल से छेड़छाड़ के कारण कारण पूर्व कप्तान स्टीव स्मिथ और डेविड वॉर्नर पर प्रतिबंध के बाद से ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट में उथल-पुथल है और भारत के खिलाफ बड़ी सीरीज ही उसे इस सब से बाहर निकाल सकती है.

ऐसे में अगर भारतीय बल्लेबाजों को इस बार पिचों पर सामने की ओर से छाती और हेलमेट की ऊंचाई तक टेनिस बॉल जैसे बाउंस के साथ बॉलिंग और तेजी के लिए ऑस्ट्रेलियाई तेज गेंदबाजों का सबसे कारगर हथियार ‘शॉर्ट बॉल’ का सामना करना पड़ता है तो किसी को हैरानी नहीं होनी चाहिए.

पिचों को लेकर बहस का असर इस साल ऑस्ट्रेलिया में खेले गए वनडे मैचों में दिखता है. ऑस्ट्रेलिया में इस साल खेले आठ वनडे मैचों की 16 पारियों में सिर्फ चार बार ही स्कोर तीन सौ से ऊपर पहुंचा है. इन आठ मैचों में दोनों ओर के 124 विकेट गिरे जिसमें से पेसरों के खाते में 106 विकेट हैं. दो मैचों में ऐसा हुई कि एक पारी के दसों विकेट तेज गेंदबाजों ने आपस में बांटे.

स्कोर का पैटर्न भी बदला हुआ दिखाई देता है. कई मैचों में स्कोर दो सौ के स्कोर पर भी नहीं पहुंचा. इसी महीने पर्थ की पिच पर ऑस्ट्रेलियाई टीम 152 पर सिमट गई. साउथ अफ्रीका वह मैच 6 विकेट से जीती. कुल 14 में से 10 विकेट पेसरों ने लिए.

इसमें कोई दोराय नहीं है कि ऑस्ट्रेलिया में वनडे और टेस्ट सीरीज में जीत का या उसे बचाने का दारोमदार इस समय जबरदस्त फॉर्म में चल रही भारतीय तेज गेंदबाजी पर रहेगा. लेकिन अपनी योजनाओं को अमली जामा पहनाने के लिए उनके पास स्कोर बोर्ड पर रन भी तो होने चाहिए.

इंग्लैंड में भारतीय बल्लेबाजी की हालत सभी ने देखी. मसलन अगर विराट ने वनडे और टेस्ट में कुछ बड़ी पारियां ने खेली होतीं तो मैचों के आंकड़े जिक्र करने लायक भी न रहते.

इस टीम का प्रसारण करने वाली कंपनी स्काई ने सीरीज का प्रोमो तैयार किया है. प्रोमो में विराट कोहली को गेंदबाजों की कुटाई करने वाली फुटेज है और घोषणा है कि, किंग इज कमिंग. यानी क्रिकेट का किंग आने वाला है.

जाहिर है कि ऑस्ट्रेलिया का सारा फोकस इस इन-फॉर्म बल्लेबाज पर है. इसलिए उसके पास अपनी परंपरागत ताकत पेस बॉलिंग को और मजबूत करने के सिवाय कोई चारा नहीं है. इसके लिए यकीनी तौर पर वह खासकर टेस्ट सीरीज में तेज पिचों पर खेलना पसंद करेगा.

इस साल हुए वनडे मैचों को देखने के बाद समझ आता है कि क्रिकेट आस्ट्रेलिया के जेहन में भारत का यह दौरा कब से हैं.

ऐसे में लंबे समय बाद ऑस्ट्रेलिया में होने वाली सीरीज में अनुशासन, खेल भावना, आक्रामकता और स्लेजिंग जैसे शब्दों में ‘चिन म्यूजिक’ भी इस बार जुड़ जाए तो समझ लेना चाहिए कि यह सीरीज भी भारतीयों की कड़ी परीक्षा लेने वाली है.

वैसे गूगल महाराज के अनुसार अगर गेंदबाज बल्लेबाज के टेटुए और ठोड़ी को निशाना बनाता है तो उसे चिन म्यूजिक कहते हैं.