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भारत-ऑस्ट्रेलिया टेस्ट: 'योगी' पुजारा ने रखा भारत को मुकाबले में कायम

तीसरे टेस्ट के तीसरे दिन दोनों तरफ जाने के बाद पेंडुलम अब भी बीचोंबीच है

Prem Panicker

ये कुछ ऐसा दिन था, जब मुकाबले का पेंडुलम एक तरफ से दूसरी तरफ गया. उस तरह नहीं, जैसे पुणे या बेंगलुरु में गया था. काफी धीमी रफ्तार से. इस धीमी रफ्तार से कि उसने हैरत में ही डाला.

सुबह भारतीय टीम पूरे नियंत्रण में दिख रही थी. मुरली विजय और चेतेश्वर पुजारा आराम से खेल रहे थे. पहले घंटे का इस्तेमाल उन्होंने अपनी नजरें जमाने के लिए किया. दूसरे में रन की रफ्तार बढ़ाई. वो भी बगैर जोखिम लिए, ताकि मैच पर नियंत्रण बना रहे. जब ऐसा लग रहा था कि भारत मैच पर पकड़ बना रहा है, विजय को जैसे ‘ब्रेन फेड’ हुआ. लंच से पहले आखिरी ओवर में वो आगे बढ़कर शॉट मारने गए. मीलों दूर रह गए और स्टंप आउट हुए.


विराट के विकेट ने मुकाबला मेहमानों की तरफ झुकाया

दूसरे सेशन में मुकाबला बैलेंस था. इस दौरान ‘ब्रेन फेड’ की बारी विराट कोहली की थी. कमिंस को ड्राइव करने गए. शरीर से दूर ऐसी गेंद को खेला, जो बाहर निकलकर छठे स्टंप की लाइन में थी. सीरीज के शुरुआत मे उम्मीद नहीं करते कि ऐसे वो आउट होंगे. लेकिन वो आउट हुए और ऐसा लगा कि इस विकेट से ऑस्ट्रेलिया का मैच पर नियंत्रण हो रहा है.

रहाणे और पुजारा ने उस सोच को हटाने का काम किया कि मैच दूसरे पक्ष की तरफ झुक रहा है. खासतौर पर पुजारा ने, जिन्होंने बिना किसी चेतावनी के गीयर बदला. लंच के बाद पहले 50 रन बनाने के लिए सिर्फ 59 गेंदें खेलीं. इससे पहले उन्होंने 120 गेंदों में 40 रन बनाए थे.

एक बार फिर ऐसा लगा कि भारत के पक्ष में मैच झुक रहा है. इसी समय रहाणे ने विकेट गंवा दिया. गैर जरूरी शॉट खेला उन्होंने. शॉर्ट और ऑफ स्टंप के बाहर की गेंद थी कमिंस की. इतनी बाहर कि अगर रहाणे के बल्ले से न लगती, तो कम से कम वनडे में वाइड करार दी जाती. लेकिन रहाणे ने वेड को कैच थमा दिया. भारत ने इस समय तक ऑस्ट्रेलिया को तीन ऐसे विकेट दे दिए, जो गेंदबाजों ने नहीं लिए. उन्हें गिफ्ट किए गए.

नायर-पुजारा की साझेदारी के बाद फिर भटकी टीम इंडिया

करुण नायर और पुजारा के बीच 44 रन की ठोस साझेदारी ने भारत को मुकाबले में वापस लाया. इसके बाद एक रोचक ओवर अचानक आया. जोश हेजलवुड ने पूरी दोपहर ज्यादा कुछ नहीं किया था. रफ्तार कोई खास नहीं थी. ऐसा लग रहा था कि जैसे वो बस, अपने ओवर कर लेना चाहते हैं. इसी दौरान पारी का 92वां ओवर आया. हेजलवुड गेंद करने आए. करुण नायर आखिरी लम्हे में हट गए. वजह थी कि एडवरटाइजिंग बोर्ड पर सफेद कवर उड़ रहा था.

हेजलवुड पिच पर आगे आए और नायर से कुछ बात की. इसके बाद शॉर्ट पिच गेंद की. गेंद नायर की तरफ तेजी से आई,. रफ्तार थी. उन्होंने गुड लेंथ गेंद की. बल्लेबाज का डिफेंस इस गेंद ने भेद दिया. क्लासिक फास्ट बॉलर की गेंद थी ये.

ऐसा कभी नहीं लगा कि अश्विन पूरी तरह नियंत्रण में हैं. इस सीरीज में वो अपनी पुरानी छवि की छाया ही दिखाई दिए हैं, जहां उन्हें स्तरीय बल्लेबाज समझा जाता रहा है. कमिंस के अच्छे बाउंसर पर ऑस्ट्रेलिया ने कॉट बिहाइंड के लिए समझदारी भरा रिव्यू लिया. इसमें अश्विन पकड़े गए. भारत ने इसके बाद साहा और पुजारा के जरिए 32 नॉट आउट रन की साझेदारी की. दोनों ही बल्लेबाज पेस और स्पिन के सामने कोई परेशानी में नहीं दिखाई दे रहे थे.

कमिंस ने की बेहद प्रभावशाली गेंदबाजी

दिन में एक बार फिर कमिंस की बात करनी पड़ेगी. 64 टेस्ट और साढ़े पांच साल के बाद उन्होंने वापसी की है. दिन का अंत चार विकेट के साथ किया. पिछली बार जब टॉप लेवल की क्रिकेट खेले थे, तब उनके नाम छह विकेट थे. दो विकेट पूरी तरह गिफ्ट थे, ये बात सही है. लेकिन ये भी सही है कि कमिंस ने रफ्तार के साथ बड़ी अक्लमंदी से गेंदबाजी की. लाइन और लेंथ के साथ उन्होंने रफ्तार में भी आजमाइश की. धीमी गेंद और धीमी बाउंसर का इस्तेमाल किया. तेज यॉर्कर और इस बीच तमाम वेरायटी आजमाई. उनके सामने कोई बल्लेबाज पूरी तरह सेट नहीं दिखा.

पुजारा किसी योगी की तरह दिखाई दिए

अगर कमिंस की वापसी परीकथा जैसी है, तो पुजारा... क्या कहा जाए उनके बारे में? वो उस दौर में ले जाते हैं, जहां सीमित ओवर्स क्रिकेट ने टेस्ट क्रिकेट को हल्का नहीं किया है. सात घंटे में वो 328 गेंद खेल चुके हैं. पूरे समय वो अपना गेम खेले. ऐसी कोई भी गेंद जो कमजोर नहीं थी, उस पर डिफेंसिव शॉट खेला. कोई कमजोर गेंद मिली, तो उस पर रन बनाया. सिंगल्स बनाए. कुछ बड़े शॉट खेले. 17 बाउंड्री के साथ उन्होंने गेंदबाज को दिखाया कि उनके सामने मौका नहीं ले सकते. योगमुद्रा एक शब्द है, जिसे काफी इस्तेमाल किया जाता है. लेकिन पुजारा के लिए ये बात सही है.

उम्मीद थी कि तीसरा दिन मैच का रुख तय करेगा. लेकिन ऐसा नहीं हुआ. गेम अब भी बैलेंस्ड है. ऑस्ट्रेलियाई टीम 91 रन आगे हैं. भारतीय निचला क्रम उनके सामने है. रात भर आराम के बाद वे सुबह तरो-ताजा होकर वापसी कर सकते हैं और जल्दी चार विकेट निकाल सकते हैं. अगर 50 से ज्यादा की बढ़त रही, तो वे अपने लिए मौके की तरह मान सकते हैं.

इसके दूसरी तरफ, अगर भारतीय टीम अच्छी बैटिंग करती है और वक्त के साथ ऑस्ट्रेलियाई बढ़त कम होती है, तो मेहमान टीम के लिए दरवाजे बंद होते जाएंगे. दूसरी पारी में तेजी से रन बनाकर भारत को चुनौती देने की उम्मीदें कम होती जाएंगी. वहां से मैच ड्रॉ की तरफ जा सकता है और अगर तेजी से ऑस्ट्रेलियन विकेट मिले, तो जीत भी मिल सकती है.

जिस हालात में मुकाबला है, उसमें एक बार फिर वही बात, जो टेस्ट क्रिकेट के लिए सही है. सुबह का पहला घंटा तय करेगा कि मुकाबला किस तरफ जाएगा.