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भारत-ऑस्ट्रेलिया, दूसरा टेस्ट: ट्विस्ट और टर्न से भरे दिन भारत टॉप पर

चौथे दिन की सुबह तय कर सकती है भारत की जीत

Prem Panicker

भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच मुकाबला एक के बाद एक मोड़ ले रहा है. करवटें बदल रहा है. ट्विस्ट और टर्न हैं. अब तक का आखिरी टर्न तीसरे दिन के आखिरी सेशन में आया, जो मैच का नतीजा बदल सकता है.

भारतीय टीम जब टी के लिए गई, तो स्कोर चार विकेट पर 122 रन था. टॉप के चार विकेट 29 ओवर्स में 84 रन के भीतर निकल गए थे. ऐसा लग रहा था कि घरेलू टीम के लिए अंत की शुरुआत है. इसलिए भी कि बचे हुए दोनों बल्लेबाज चेतेश्वर पुजारा और अजिंक्य रहाणे इतनी देर में किस्मत के सहारे ज्यादा टिके रहे.


आखिरी सत्र में सब बदल गया. ऑस्ट्रेलिया ने कोशिश की. स्टीव स्मिथ ने तेजी से गेंदबाजी में बदला किया. यहां तक कि मिचेल मार्श को भी तीन ओवर के स्पैल में लेकर आए. लेकिन दोनों बल्लेबाजों को आउट नहीं किया जा सका. दोनों ने विकेट के दोनों तरफ बहुत अच्छी तरह सिंगल्स लिए. जब भी मौका आया, अपने अलग-अलग स्टाइल में चौके लगाए.

सीरीज की ये बेस्ट साझेदारी है, जो अब 93 रन पर पहुंच गई है. सीरीज में ऐसा भी पहली बार हुआ, जब पूरे सेशन में कोई विकेट नहीं गिरा. दिन खत्म होने पर भारत भले ही मैच पर पकड़ न बना पाया हो. लेकिन 126 रन की बढ़त के साथ आगे जरूर दिखाई दे रहा है.

पिच में अब भी उछाल और टर्न है. खासतौर पर पैवेलियन छोर से स्पिनर्स के लिए. अब भी असमान उछाल है. खासतौर पर जब तेज गेंदबाज बीईएमएल छोर से गेंदबाजी कर रहे हैं. दिलचस्प है कि ओ’कीफ को कुछ गेंदों पर बीईएमएल छोर से उछाल और टर्न मिला है. ऐसा दोपहर तक नहीं था. इन सारी बातों का मतलब यह है कि अगर बढ़त 200 या उसके आसपास है, तो मैच जीता जा सकता है. भारत इस बढ़त तक रहाणे और पुजारा की साझेदारी की बदौलत पहुंच सकता है.

इससे भी ज्यादा अहम है कि सीरीज में पहली बार भारतीय बल्लेबाजों ने स्पिन को ऑस्ट्रेलियाई दृढ़ता के साथ खेला है. उन गेंदों को भुला दिया, जो टर्न और बाउंस की वजह से बल्ले को छकाते हुए या किनारा लेकर फील्डर की पहुंच से दूर गिरीं. उन्होंने कदमों का इस्तेमाल किया, ताकि गेंदबाज सहजता से कोई रिदम न पा सके.

वे क्रीज में पीछे गए, ताकि टर्न को पूरी तरह देखा जा सके और उसके साथ विकेट के स्क्वायर रन बनाए जा सकें. वे आगे बढ़े, ताकि टर्न होने से पहले गेंद को खेला जाए. गेंद को एक रन के लिए खेला. ये इस तरह की बैटिंग थी, जिसमें इच्छाशक्ति और दृढ़ता का मिलन था. इसकी वजह से भारत को सीरीज में पहली बार आगे आने का मौका मिला.

सीरीज में अब तक हो रही बातों से अलग पुजारा और रहाणे ने बहुत अच्छी तरह सिंगल्स लिए. दोनों ने 53 रन सिंगल्स से लिए हैं. यही अकेली बात ऐसी है, जो तय करती है कि दोनों ऑस्ट्रेलियाई स्पिनर्स किसी एक बल्लेबाज को ज्यादा देर तक लगातार गेंदबाजी नहीं कर पाए. ये संकेत है कि भारतीयों ने पिछली गलतियों से काफी कुछ सीखा है.

एक बार फिर मैच उस जगह है, जहां लगता है कि अगली सुबह का पहला सत्र नतीजा तय करेगा. तीसरे दिन की सुबह जडेजा की वजह से ऑस्ट्रेलियाई टीम ज्यादा नुकसान पहुंचाए बिना ढेर हो गई. बढ़त 100 रन से कम रही. कल ऑस्ट्रेलिया के पास मौका होगा कि इस तरह का काम भारतीयों के साथ करे. इसी तरह, अगर दोनों बल्लेबाज चौथे दिन की सुबह अपने फॉर्म को बरकरार रखते हैं, तो भारत उस जगह पहुंच जाएगा, जहां पहुंचने की उम्मीद एक दिन पहले किसी को नहीं थी. भारतीय टीम सीरीज बराबर करने वाली जीत हासिल कर सकती है.

यकीनन चौथे दिन की सुबह बेहद रोचक होगी.