view all

क्रिकेट डिप्लोमेसी में कुछ यूं पाकिस्तान इतिहास हुआ और दोस्त अफगानिस्तान भविष्य

टेस्ट दर्जा मिलने के बाद अफगानिस्तान अपना पहला टेस्ट भारत के खिलाफ खेलेगा, जिसमें भारत का हाथ माना जा रहा है

Jasvinder Sidhu

क्रिकेट डिप्लोमेसी की बात चलती है तो हमेशा ही भारत और पाकिस्तान का नाम आता है. यकीनन कोशिशें भी हुई हैं दोनों मुल्कों के बीच क्रिकेट खेल कर संबंध सामान्य बनाने के लिए. लेकिन अभी पाकिस्तान के साथ बतौर पड़ोसी संबंध ऐसे नहीं हैं कि उसके साथ क्रिकेट खेला जाए.

क्षेत्रीय स्तर पर भी पाकिस्तान भारत के लिए चुनौती है. पाक समर्थित तालिबानों के हाथों तबाह हुए अफगानिस्तान को फिर से एक देश की शक्ल देने में भारत पिछले एक दशक से वहां विकास की कमान संभाले हुऐ है.


पाकिस्तान के साथ खराब संबंधों के कारण अफगानिस्तान से मजबूत रिश्ते भारत सरकार के लिए जरूरी हैं. इसमें कोई दोराय नहीं है कि अफगानिस्तान भारत के साथ हमेशा मजबूती से खड़ा है. लेकिन अफगानिस्तान की नई पीढ़ी को भी इस दोस्ती में शामिल करने के लिए क्रिकेट एक बड़ा जरिया हो सकता है.

फर्स्ट पोस्ट हिंदी को मिली जानकारी के अनुसार अफगानिस्तान सरकार लंबे अरसे से उसके क्रिकेट को उठाने में मदद करने के लिए भारत सरकार से कई बार गुजारिश कर चुकी है.

बताया जा रहा है कि अफगानिस्तान के साथ जो पहला टेस्ट मैच खेलने का फैसला हुआ है, उसके पीछे भारत सरकार की सहमति है. भारत सरकार चाहती है कि अफगानिस्तान को एक बड़ा मैच दिया. क्योंकि अफगानिस्तान के क्रिकेट को इसकी जरूरत है. साथ ही सीधे प्रसारण व मीडिया के माध्यम से विश्व स्तर पर भारत के उस देश में किए जा रहे विकास के कामों के उजागर करने के अलावा यह पाकिस्तान के भ्रामक प्रचार को निरस्त करने में भी मददगार होगा.

नए कैलेंडर के मुताबिक 2018 के बाद ही अफगानिस्तान के साथ टेस्ट मैच होगा. हालांकि सरकार की रुचि को देखते हुए यह मौका पहले भी बनाया जा सकता है.

यह पहली बार नहीं हुआ है जब भारत सरकार ने बतौर दोस्त अफगानिस्तान में अपनी मौजूदगी को और मजबूत करने के लिए क्रिकेट को माध्यम बनाया है. अफगानिस्तान के कांधार शहर का नाम यकीनन अधिकतर भारतीयों ने सुना होगा.

यह वही शहर है, जहां पाकिस्तान आतंकवादी दिसंबर 1999 में इंडियन एयरलाइंस की फ्लाइट आईसी 814 को हाईजैक करके ले गए थे. 160 यात्रियों के छुड़ाने के लिए सरकार को काश्मीरी आतंकवादियों को छोड़ना पड़ा था.

दो साल पहले भारत सरकार ने कांधार में एक अंतरराष्ट्रीय स्टेडियम बनाने के लिए दस लाख अमेरिकी डॉलर दिए थे. उस समय अफगानिस्तान क्रिकेट बोर्ड ने महज भारतीय दूतावास को एक पत्र लिख कर गुजारिश की थी जिसे एंबेसी ने विदेश मंत्रालय को भेज दिया .

सरकार ने इस प्रस्ताव को पारित करने में ज्यादा समय नहीं लिया और स्माल डेवेलपमेंट फंड  के तहत 20 हजार क्षमता वाले अंतरराष्ट्रीय स्टेडियम के लिए पैसा देने का फैसला किया गया.

रोचक तथ्य यह है कि इस स्टेडियम के लिए पूर्व राष्ट्रपति के भाई महमूद करजई ने बिना कोई पैसा लिए जमीन दी थी जो कि कांधार के सबसे मंहगे इलाके आइनो-मीना  इलाके में हैं.

तालिबानों के हाथों तबाह हुआ अफगानिस्तान अपने पैरों पर खड़ा होने की कोशिश कर रहा है और फुटबॉल व क्रिकेट में युवाओं को व्यस्त रखने में बड़ी भूमिका निभाई है.

अफगानिस्तान की टीम 2015 के विश्व कप के लिए क्वालीफाई करने में भी सफल हुई थी. एशियन क्रिकेट काउंसिल के अनुसार इस समय अफगानिस्तान में 700 से ज्यादा क्लब और 88 क्रिकेट मैदान हैं.

जाहिर है कि भारत जैसी मजबूत टीम के खिलाफ एक अदद टेस्ट मैच सालों से टूट रहे इस देश को सुकून देने और इस खेल को और मजबूत करने का काम करेगा.