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टॉप ऑर्डर से विराट-पुजारा को हटा दें, तो क्या बचेगा

इंग्लैंड के खिलाफ सीरीज में फेल हुए हैं बाकी टॉप ऑर्डर बल्लेबाज

Shailesh Chaturvedi

तीन टेस्ट हो चुके हैं. पांच पारियां खेली जा चुकी हैं. कम से कम भारतीय टॉप ऑर्डर पांच पारियां खेल चुका है. इनमें से जरा विराट कोहली और चेतेश्वर पुजारा के रन निकाल दें. क्या वाकई टीम इंडिया के पास ज्यादा कुछ बच रहा है?

भारत ने इंग्लैंड के खिलाफ सीरीज में पांच विशेषज्ञ बल्लेबाजों के साथ उतरने का फैसला किया था. इसका मतलब है कि टॉप के बल्लेबाजों को चलना चाहिए. विराट ने लगातार रन बनाए हैं. औसत 100 के करीब है. पुजारा के बल्ले से भी 300 से ज्यादा रन 60 से ज्यादा की औसत से आए हैं. लेकिन इनके अलावा क्या?


बगैर खाता खोले आउट हुए अजिंक्य रहाणे

बाकी टॉप ऑर्डर को देख लीजिए. अजिंक्य रहाणे मोहाली में बगैर खाता खोले आउट हुए. उनके नाम सीरीज की पांच पारियों में 63 रन हैं. 26 उनकी सबसे बड़ी पारी रही है. अगर वो 26 रन भी हटा दें, तो चार पारियों में 37 रन होते हैं. मुरली विजय एक शतक की वजह से अच्छी पोजीशन में नजर आते हैं. उनके नाम 192 रन हैं. लेकिन उस शतक के अलावा सीरीज में उनके नाम कुछ नहीं है. बाकी चार पारियों में उनके बल्ले से 66 रन निकले हैं.

दूसरे ओपनर के लिए तो संघर्ष जारी है ही. गंभीर ने पहला टेस्ट खेला था. दो पारियों में उनके नाम 29 रन थे. इसकी वजह से उन्हें टीम से हटाया गया और लोकेश राहुल की वापसी हो गई. राहुल के बल्ले से दो पारियों में दस रन आए हैं. मोहाली में पार्थिव पटेल ओपनर के तौर पर उतरे थे. लेकिन सबको पता है कि उन्हें अगले टेस्ट में शायद ही मौका मिले. ऐसे में उन्हें टॉप ऑर्डर के तौर पर नहीं जोड़ना चाहिए.

केएल राहुल सीरीज का एक टेस्ट खेले, जिसमें उनका बल्ला नहीं चला.

मुरली विजय, गौतम गंभीर, केएल राहुल और अजिंक्य रहाणे के रन जोड़े जाएं. चारों ने मिलकर सीरीज में 14 बार बल्लेबाजी करते हुए 294 रन बनाए हैं. यानी औसत 21 का है. इसी से समझा जा सकता है कि अगर कोहली और पुजारा के रन निकाल दिए जाएं, तो भारत के हिस्से टॉप ऑर्डर में कुछ नहीं लगेगा.

खासतौर पर अजिंक्य रहाणे की फॉर्म को लेकर बड़ा सवाल है. रहाणे ने न्यूजीलैंड के खिलाफ सीरीज में अच्छी बल्लेबाजी की थी. राजकोट टेस्ट में उनके बल्ले से 13 और एक रन यानी 14 रन बने थे. विशाखापत्तनम टेस्ट में शुरुआत मिली. पहली पारी में 23 और दूसरी में 26 रन बनाए. लेकिन दोनों बार अच्छी शुरुआत को बड़े स्कोर में तब्दील कर पाने में कामयाब नहीं हुए. मोहाली की पहली पारी में तो वो खाता खोले बगैर आउट हुए ही हैं.

यह सही है कि एक सीरीज की विफलता उनके स्तर पर सवाल नहीं खड़े करती. लेकिन दिक्कत यही है कि पहले पांच बल्लेबाजों में तीन को कामयाबी नहीं मिली है. निचले क्रम में रविचंद्रन  अश्विन की बल्लेबाजी ने भारत को चिंता से बचाया है. अगर निचला क्रम भी साथ नहीं देता, तो टीम इंडिया दो बल्लेबाजों की टीम बनकर रह जाती.

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