जीत हमेशा खुशियां लेकर आती है. मोहाली भी इससे अलग नहीं है. चार दिन के अंदर जीत. पूरे मैच में ज्यादातर समय विपक्षी पर हावी रहना. इससे बेहतर क्या हो सकता है. इस जीत के साथ पॉजिटिव तो हैं ही, कुछ नेगेटिव चीजें भी हैं.
पहला पॉजिटिव है विराट का रवैया
विराट कोहली का हर मैच उनके लिए पॉजिटिव सोच लेकर आता है. हमेशा मैच में जुड़े रहना. कुछ नया करने की कोशिश. बल्लेबाजी में तो वो कमाल कर ही रहे हैं. मोहाली में भी पहली पारी में 62 रन बनाकर उन्होंने टीम को मुश्किलों में आने से बचाया. उसके बाद उन्होंने कप्तान के तौर पर भी अपना असर छोड़ा. वो विपक्षी की गलतियों का इंतजार नहीं करते. कोशिश करते हैं कि गलतियां करने पर मजबूर करें. खासतौर पर तेज गेंदबाजों का जिस तरह से इस्तेमाल किया है, वो उनकी कप्तानी को अलग तरीके से दिखाता है. आक्रामकता में वो कहीं सौरव गांगुली के आसपास दिखाई देते हैं. बेन स्टोक्स के साथ विवाद के बाद उन्होंने बगैर सीमा पार किए उन्होंने स्टोक्स को जवाब दिया.
टर्निंग पॉइंट
भारत में होने वाले हर मैच में टर्न बहुत बड़ा पॉइंट होता है. मोहाली में भी रहा. टेस्ट में 12 विकेट स्पिनर्स के नाम रहे. दूसरी पारी में सात विकेट स्पिनरों ने लिए. एक रन आउट हुआ. लेकिन इसकी तो उम्मीद गेंदबाजों से की ही जाती है कि वो विकेट लें. असली बात है कि अश्विन, जयंत यादव और रवींद्र जडेजा ने तब रन बनाए, जब उनका जल्दी आउट होना मैच में इंग्लैंड को वापसी के मौके देता. पहली पारी में भारत ने 417 रन बनाए. इनमें 217 रन इन तीनों के बल्ले से आए. 204 रन पर छह विकेट निकल जाने के बाद 417 रन तक पहुंचना तारीफ के काबिल है. उसमें भी रवींद्र जडेजा ने 90 रन की पारी खेली. मैच में उनके नाम दोनों पारियों के दो-दो विकेट भी रहे. इसीलिए उन्हें मैन ऑफ द मैच चुना गया.
पार्थिव पटेल का आना
ऋद्धिमान साहा की चोट पार्थिव पटेल के लिए मौका लेकर आई थी. पार्थिव ने उस मौके को बरबाद नहीं किया. सही है कि उनसे कैच छूटे. लेकिन कुल मिलाकर मैच में उन्होंने दो अच्छी पारियां खेलीं. विकेट कीपिंग में भी ज्यादा मौके ऐसे नहीं आए, जब उन पर उंगली उठाई जा सकती हो. पहली पारी में उन्होंने 42 रन बनाए थे. दूसरी में 54 गेंद में 67 रन की नॉट आउट पारी उन्होंने खेली.
रफ्तार का असर
मैच में एक बार फिर मोहम्मद शमी ने दिखाया कि कैसी भी पिच हो, अगर आपमें काबिलियत है, तो कामयाबी पा सकते हैं. शमी ने पहली पारी में तीन विकेट लिए थे. उमेश यादव को दो विकेट मिले थे. दूसरी पारी में उमेश को ज्यादा गेंदबाजी का मौका नहीं मिला. शमी को मिला. वो भी तब, जब हमीद ने वोक्स के साथ मिलकर पारी को अच्छी तरह आगे बढ़ाया था. लगने लगा था कि कहीं भारत के लिए चुनौती भरा स्कोर दे पाने में जोड़ी सफल न हो. यहां पर शमी आए और बाउंसर से वोक्स को हिला दिया. उसकी अगली ही गेंद पर वो आउट हुए. दो गेंद बाद आदिल रशीद भी बाउंसर का शिकार बने. मैच में शमी को पांच विकेट मिले.
टॉप ऑर्डर का न चलना
अब सबक की बात करते हैं. सबक में जरूरी लग रहा है कि टॉप ऑर्डर अच्छी बल्लेबाजी करे. सीरीज में चेतेश्वर पुजारा और विराट कोहली के अलावा किसी में निरंतरता नहीं दिखाई दे रही है. पार्थिव पटेल ने मोहाली की दोनों पारियों में अच्छे स्कोर जरूर किए, लेकिन वो स्पेशलिस्ट ओपनर नहीं हैं. अगर वो अगला टेस्ट खेले, तो भी शायद उन्हें निचले क्रम में बैटिंग के लिए भेजा जाएगा. ऐसे में टॉप ऑर्डर के लिए सुधार जरूरी है.
कैचिंग अब भी कमजोरी
पूरी सीरीज में दोनों टीमों के लिए कैचिंग बहुत बड़ा सिरदर्द है. खासतौर पर स्लिप में कैचिंग. पहली सुबह ही भारत ने दो आसान कैच टपका दिए. विकेट के पीछे पार्थिव पटेल ने भी कैच छोड़े. अभी तो भारत को फर्क नहीं पड़ रहा, क्योंकि उससे ज्यादा गलतियां मेहमान इंग्लैंड की टीम कर रही है. इसलिए कैच छोड़ना भारी नहीं पड़ रहा. लेकिन जब भी मुकाबला नजदीकी होगा, फील्डिंग और कैचिंग सबसे बड़ा फर्क साबित हो सकते हैं.