view all

भारत इंग्‍लैंड दूसरा टेस्‍ट: वो वजहें, जिन्होंने भारत को दिलाई जीत

भारतीय पिचों के लिए माना जाता है कि अगर आपने टॉस जीता, तो आधी जंग जीत ली

Shailesh Chaturvedi

राजकोट में भारतीय टीम ने जिस तरह का खेल दिखाया था, उसने तमाम सवाल खड़े किए थे. एक सवाल यह था कि वहां ड्रॉ का मतलब इंग्लैंड की जीत तो नहीं? और क्या वह ड्रॉ इंग्लैंड के लिए जीत की तरह नहीं है? इस लिहाज से विशाखापत्तनम में हुआ दूसरा टेस्ट बेहद अहम था.

इस टेस्ट से सीरीज का मिजाज तय होना था. खासतौर पर यह देखते हुए कि पिछली तीन सीरीज में इंग्लैंड के खिलाफ भारत को जीत नहीं मिली थी. उसमें भी एक सीरीज भारतीय सरजमीं पर थी. लेकिन विशाखापत्तनम मैच ने सारी आशंकाएं खत्म कर दीं.


246 रन से जीत के साथ अब टीम मोहाली रवाना होगी, जहां शनिवार से टेस्ट होना है. वैसे तो टीम में हर किसी ने अपना रोल निभाया, लेकिन कुछ वजहें उभरकर सामने आईं

विराट का टॉस जीतना

भारतीय पिचों के लिए माना जाता है कि अगर आपने टॉस जीता, तो आधी जंग जीत ली. राजकोट में विराट टॉस हार गए थे. लेकिन विशाखापत्तनम में ऐसा नहीं हुआ. पहले टॉस जीतकर बड़ा स्कोर बनाना मैच जीतने के लिए जरूरी था, जो भारत ने किया.

मैच पर विराट का असर

पहले टॉस, फिर पहली पारी में शतक. दूसरी पारी में 81 रन की पारी. इससे ज्यादा कप्तान से क्या उम्मीद करेंगे. इसीलिए उन्हें मैन ऑफ द मैच भी चुना गया. विराट जब पहली पारी में खेलने आए थे तो स्कोर 22 पर दो था. पुजारा के साथ उन्होंने 226 रन जोड़े.

दूसरी पारी में भी जब वह बल्लेबाजी करने आए, तो स्कोर 17 पर दो था. यहां से उन्होंने 81 रन की लाजवाब पारी खेली. कप्तानी में भी उनका असर साफ दिखाई दिया.

जयंत यादव को प्रोत्साहित करने से लेकर सही तरीके से गेंदबाजी में बदलाव. हर जगह उनकी मुहर साफ नजर आई. टीम धोनी से टीम विराट का सफर बड़ी आसानी से तय हो रहा है.

अश्विन की गेंदबाजी

राजकोट टेस्ट में कामयाबी न मिलने के बाद उम्मीद थी कि अश्विन जबरदस्त तरीके से वापसी करेंगे. उन्होंने वापसी की भी और मैच में आठ विकेट झटक लिए. पहली पारी में पांच विकेट लिए.

अश्विन का यह 41वां टेस्ट था. 231 विकेट ले चुके हैं. इतने टेस्ट में ये सबसे ज्यादा विकेट हैं. 2016 में उन्होंने 55 विकेट लिए हैं.

इसमें भी वह सबसे आगे हैं. बल्लेबाजी में भी उन्होंने कमाल किया और पहली पारी में अर्ध शतक जमाया

इंग्लैंड की बैटिंग में इच्छाशक्ति की कमी

पहली पारी में, जब पिच काफी अच्छी थी, 80 रन पर पांच विकेट निकल जाना ही मैच का नतीजा तय कर देने वाला था.

निचले क्रम ने उस मैच में जैसी बल्लेबाजी की, उससे समझा जा सकता है कि अगर ऊपरी क्रम ने वैसी इच्छाशक्ति दिखाई होती, तो शायद यह मैच इंग्लैंड इस तरह तो नहीं हारता.

दूसरी पारी में भी बगैर नुकसान 75 से 158 पर ऑल आउट हो गई टीम यानी 83 रन पर दस विकेट निकल गए.