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भारत-ऑस्ट्रेलिया टेस्ट: क्या स्मिथ पर एक मैच का बैन लगना चाहिए?

ऑस्ट्रेलिया के 'रिव्यूगेट' कांड पर भड़के कोहली, अब मैच रेफरी के फैसले का इंतजार

Shailesh Chaturvedi

क्या ऑस्ट्रेलियाई टीम बेईमानी कर रही है? क्या वे डीआरए के लिए ड्रेसिंग रूम में मदद लेते हैं? क्या इसके लिए स्टीव स्मिथ को सजा मिलनी चाहिए? कपिल देव और वीवीएस लक्ष्मण जैसे खिलाड़ी तो मान रहे हैं कि सजा मिलनी चाहिए. सजा के तौर पर ऑस्ट्रेलियाई कप्तान को एक मैच के लिए निलंबित किया जा सकता है. सजा क्या मिलेगी, ये तो बात की बात है. लेकिन स्टीव स्मिथ ने नौ साल पहले की याद दिला दी.

नौ साल पहले भी खेल भावना पर उठा था सवाल


वो 6 जनवरी 2008 का दिन था. अनिल कुंबले कप्तान थे. सिडनी में मैच का पांचवां दिन खत्म हुआ था. अंपायर ने जिस तरह के फैसले किए थे, उसे बेहूदा कहना शायद गलत नहीं. ऑस्ट्रेलियाई कप्तान रिकी पॉन्टिंग का व्यवहार ऐसा था, जिसे बदतमीजी कहा जा सकता है. कुंबले ने प्रेस कांफ्रेंस में आकर कहा था, ‘मैं सिर्फ इतना ही कह सकता हूं कि सिर्फ एक टीम खेल भावना के साथ खेल रही है.’

नौ साल बीत गए हैं. कुंबले कोच हैं. विराट कोहली कप्तान हैं. उन्हें कुंबले के मुकाबला अपनी भावनाएं ज्यादा खुलकर जताने के लिए जाना जाता है. उन्होंने भी नाखुशी जताई. कुछ बातें कहीं, जो बेहद गंभीर हैं. जिनसे संकेत जाता है कि ऑस्ट्रेलिया की पूरी टीम खेल भावना के साथ नहीं खेल रही. पूरी टीम बेईमानी में शामिल है.

जानिए, पूरा मामला क्या है

अब पूरा मामला जान लेते हैं. स्टीव स्मिथ को अंपायर नाइजल लॉन्ग ने एलबीडब्ल्यू आउट दिया था. स्मिथ ने साथी बल्लेबाज पीटर हैंड्सकॉम्ब से जानना चाहा कि क्या रिव्यू लेना चाहिए. फिर वो मुड़े. ड्रेसिंग रूम की तरफ इशारा किया. इशारा करते ही नाइजल लॉन्ग उनकी तरफ बढ़े. ये बताने के लिए कि नियमों के मुताबिक आप मैदान के बाहर किसी से सलाह नहीं ले सकते.

इसी बीच नाखुश विराट कोहली बीच में आए. उन्होंने स्मिथ से कुछ कहा और फिर अंपायर की तरफ गए. दिलचस्प ये रहा कि जिस वक्त स्टीव स्मिथ ड्रेसिंग रूम की तरफ मुड़े थे, तभी चेतेश्वर पुजारा उनके सामने आकर खड़े हो गए थे. शायद इस सोच के साथ कि स्मिथ को ड्रेसिंग रूम में इशारे के लिए थोड़ी मेहनत करनी पड़े.

क्या स्मिथ ने जो किया वो बेईमानी है?

दो सवाल हैं- पहला, क्या स्टीव स्मिथ को नियमों का पता नहीं था? ये बात कमेंटरी टीम में मौजूद ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ियों ने कही. हालांकि अगर ऐसा है, तो भी सही नहीं है, क्योंकि नियम बनाए जाते हैं, तो उम्मीद की जाती है कि टीमों को पता हों. उनमें भी कप्तान को पता होना तो वैसे भी जरूरी हैं.

दूसरा सवाल- क्या ऑस्ट्रेलियाई टीम को सब पता था? बल्कि उन्होंने जानबूझकर तय तरीके से ये बेईमानी की! कम से कम प्रेस कांफ्रेंस में विराट कोहली ने जो कुछ कहा, उससे तो ऐसा ही संकेत मिलता है.

विराट ने पूरे मामले पर क्या कहा

विराट ने कहा, ‘जब मैं बैटिंग कर रहा था, तो दो बार ऐसा देखा.’ विराट कहना चाह रहे थे कि तब भी ऑस्ट्रेलियन खिलाड़ी ड्रेसिंग रूम की मदद चाह रहे थे. उन्हें कहा, ‘मैंने अंपायर्स को इस बारे में बताया कि उनके खिलाड़ी ऐसा कर रहे हैं. इसीलिए मुझे शक था. जब वो मुड़े तो अंपायर को इस बात का अंदेशा था. हमने अंपायर से कहा कि पिछले तीन दिन से ऐसा चल रहा है. इसे रोका जाना चाहिए.’

विराट से पूछा गया कि आपने मैदान पर क्या शब्द इस्तेमाल किया. उन्होंने कहा कि मैं उस शब्द का इस्तेमाल नहीं करूंगा. लेकिन पूरा वाकया इसी दायरे में आता है. उनसे पूछा गया कि क्या वो शब्द चीटिंग यानी बेईमानी है? इस पर विराट का जवाब था कि मैंने ऐसा नहीं कहा.

विराट ने एक और काम ऐसा किया, जो ऑस्ट्रेलियाई टीम और मीडिया को भड़काने का काम कर सकता है. उनसे डीआरएस लेने में गलती पर सवाल किया गया. इस पर विराट ने कहा कि कम से कम हम बाहर से मदद तो नहीं लेते. हम जो करते हैं, मैदान पर करते हैं.

कहीं ये माइंड गेम तो नहीं

विराट और उनके साथ कमेंटरी टीम में मौजूद भारतीय खिलाड़ियों ने जो किया है, वो सही है या माइंड गेम का हिस्सा है? एक सवाल तो ये है ही कि स्टीव स्मिथ को ड्रेसिंग रूम में इशारा करके क्या हासिल हुआ?  आखिर एक्शन रीप्ले तो स्टार स्पोर्ट्स ही दिखाएगा. ऐसे में अगर ड्रेसिंग रूम से इशारा आया होगा, तो बगैर रीप्ले देखे ही आ सकता है.

अब सवाल उठता है कि ये मामला कितना आगे जाएगा. क्या 2008 की तरह जाएगा? वहां मंकीगेट हुआ था. हरभजन सिंह पर आरोप लगा था कि उन्होंने एंड्रयू सायमंड्स को मंकी कहा है. इस विवाद में ऐसा समय आ गया था, जब दौरा रद्द होता नजर आने लगा था. अब आरोपों के घेरे में ऑस्ट्रेलियाई कप्तान हैं. क्या उन्होंने बेईमानी की? अगर की, तो मैच रेफरी क्या करते हैं. मैच रेफरी के फैसले के बाद भी सवाल उठेगा. क्या ये मुद्दा 2008 जितना गंभीर हो जाएगा?