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भारत-ऑस्ट्रेलिया, धर्मशाला टेस्ट: तेज गेंदबाजों के चेहरे पर क्यों है मुस्कान

क्यूरेटर ने कहा- पिच में होगा उछाल, तेज गेंदबाजों को मिलेगी मदद

FP Staff

पुणे, फिर बेंगलुरु, रांची.. और अब धर्मशाला. भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच सीरीज आखिरी पड़ाव पर पहुंच गई है. लेकिन चर्चा पिच के इर्द-गिर्द सिमटी हुई है. पिछले तीन टेस्ट मैचों की तरह चौथा भी अलग नहीं है. अब फोकस धर्मशाला की पिच पर है. अगर पिच क्यूरेटर की मानें तो यहां सभी पांच दिन अच्छा उछाल मिलेगा.

चीफ क्यूरेटर सुनील चौहान एचपीसीए स्टेडियम में पिच के इंचार्ज हैं. उनके मुताबिक पांचों दिन तेज गेंदबाजों को मदद मिलेगी, ‘यहां की पिच ऐसी ही है. मैंने पिच पर थोड़ी घास छोड़ी है. इसलिए तेज गेंदबाजों को मदद मिलेगी. पिच तेज होगी, इसलिए तेज गेंदबाज मैच में अहम भूमिका निभाएंगे.’


धर्मशाला में अधिकतम तापमान 19 डिग्री है. पिच में थोड़ी नमी है. ऐसे में संभव है कि टप्पा खाने के बाद भी गेंद मूव करे. जहां तक स्पिनर्स का सवाल है, चौहान का कहना है कि उन्हें भी थोड़ी मदद मिलेगी. क्यूरेटर के मुताबिक पिच में बाउंस होने की वजह से स्पिनर को भी अच्छी उछाल मिलेगी. ऐसे में पिच के नजदीकी फील्डर्स का रोल बढ़ जाएगा.

चौहान के मुताबिक मैच के पहले दिन पहले सत्र में बल्लेबाजों का कड़ा  इम्तिहान होगा. लेकिन ऐसा नहीं है कि पिच खेलने लायक न हो. उन्होंने कहा, ‘बल्लेबाज का स्तर पता चलेगा, जब वे इस पिच पर खेलेंगे. आउटफील्ड तेज है. ऐसे मे अच्छे शॉट पर अच्छे रन भी मिलेंगे.’

धर्मशाला की आउटफील्ड हरी-भरी है. पिच से बाउंड्री की दूरी दोनों तरफ करीब 75 गज है. मैच से पहले सात पिच तैयार की गई हैं. सेंटर पिच को मैच में इस्तेमाल किया जाएगा. दोनों टीम के कप्तान और कोच पिच देखने गए और ऐसा लगा कि वे संतुष्ट हैं.

रांची में धीमी और नीची उछाल वाली पिच से उलट होगी धर्मशाला की पिच. धर्मशाला में करीब 65 फीसदी क्ले कंटेंट है. उम्मीद की जा रही है कि मैच की सुबह भी पिच पर हल्का हरा रंग नजर आएगा.

सुनील चौहान ने कहा कि मेरा काम सच्ची और अच्छी विकेट बनाना है. मेरी टीम ने मेरे साथ कड़ी मेहनत की है. मैं किसी एक टीम को मदद देने के नजरिए से पिच नहीं बनाई है. अब तक धर्मशाला में तीन वनडे और आठ टी 20 मैच हुए हैं. उन सभी में बल्ले और गेंद के बीच बराबरी का संघर्ष देखने को मिला है. घरेलू क्रिकेट में जरूर यहां पिच तेज गेंदबाजों की मददगार दिखी है.

सुनील चौहान ने कहा कि उन्हें पिच को लेकर किसी का कोई निर्देश नहीं मिला है. उन्होंने कहा कि कट और पुल खेलने वाले खिलाड़ी यहां हमेशा से अच्छा खेलते हैं. जैसे टी 20 मैच में रोहित शर्मा ने शतक जमाया था. उन्होंने कहा, ‘हम ऐसी पिच बनाने में भरोसा रखते हैं, जहां नतीजा आए. रणजी ट्रॉफी मैच भी चौथे दिन दोपहर के आसपास खत्म हो रहे थे. ईश्वर पांडेय और अशोक डिंडा को घरेलू मैचों में यहां अच्छी कामयाबी मिली थी.’

धर्मशाला में हर साल पिच की ऊपरी सतह को बदला जाता है. चौहान के मुताबिक लुधियाना से मिट्टी आती है. ऊपरी सतह को बदलने की वजह से पिच टूटती नहीं है.