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टेस्ट क्रिकेट के भविष्य पर सवाल उठाते हैं ईडन गार्डन्स के खाली स्टैंड

भारत और श्रीलंका के बीच कोलकाता में खेले जा रहे मैच में दर्शकों की संख्या निराशाजनक रही है

Jasvinder Sidhu

वो पंजाबी में एक चर्चित एहसास है कि, ‘जिन्ने लहौर नी वेख्या, ओ जम्याई नई’.(जिस ने लाहौर नहीं देखा, उसने कुछ नहीं देखा) इसी तर्ज पर भारतीय क्रिकेट प्रेमियों के लिए कहा जा सकता है कि जिसने कोलकाता के ईडन गार्डन्स में बैठकर टेस्ट मैच नहीं देखा, उसने क्रिकेट देखा ही नहीं.

लेकिन भारत और श्रीलंका के बीच टेस्ट मैच में इस ऐतिहासिक ईडन गार्डन्स के खाली पड़े स्टैंड कप्तान विराट कोहली के उन सवालों का जवाब देते दिखाई दे रहे हैं जो उन्होंने यह मैच शुरू होने से ठीक पहले उठाए थे.


चंद लोग बने लकमल के एतिहासिक गेंदबाजी के गवाह

यह सही है कि भारत की इस मैच में हालत अभी खराब है.ऐसा भी नहीं है कि इसमें सुधार की कोई गुंजाइश नहीं है. लेकिन बारिश के प्रभावित इस मैच में अभी तक जो भी उम्दा क्रिकेट हुआ है वह किसी भी क्रिकेट प्रेमी को उत्साहित करेगा और यह काफी समय बाद हुआ है.

सिर्फ कल्पना कीजिए कि श्रीलंका के राइट आर्म पेसर सुरंगा लकमल ने ईडन गार्डन्स में बैठे एक लाख क्रिकेट प्रेमियों के सामने 6-6—0-3 का स्पेल फेंका होता तो नजारा क्या होता.

छह ओवरों में बिना कोई रन दिए स्टार बल्लेबाजों से भरी बैटिंग लाइनअप को तहत-नहस करने के अलावा लकमल ने पहले दिन 46 डॉट बाल फेंकीं. इनमें से अधिकतर को बल्लेबाज छू भी नहीं पाए.

सालों बाद बल्लेबाजों की मददगार पिचों पर मेहमान टीम के एक तेज गेंदबाज के सामने भारतीय ओपनर और जबरदस्त फॉर्म में चल रहे कप्तान कोहली लाचारी भरा संघर्ष कर रहे थे लेकिन रिकॉर्ड बुक में अपनी जगह बनाने वाली इस गेंदबाजी को देखने के लिए ईडन गार्डन्स में चंद ही लोग थे.

सवाल लकमल का ही नहीं है

चेतेश्वर पुजारा एक ऐसे बल्लेबाज हैं जो किसी भी परिस्थिति में खुद को ढाल लेते हैं और उन्हें आउट करना दुश्मन से उसका टैंक छीन लाने जैसा है.

पुजारा ने अपनी लड़खड़ाती टीम के लिए 117 गेंदों पर 52 रन बनाए. लेकिन यह उनके खेल जीवन का शायद सबसे मुश्किल फिफ्टी रहा जो कि अगली पीढ़ी के बल्लेबाजों के लिए एजुकेशन की तरह था.

लेकिन जहन और मुश्किल हालात की इस जंग के गवाह चंद लोग ही थे.

जाहिर है कि अगर विराट कोहली दूसरी पारी में शतक मारने में कामयाब होते हैं तो खाली ईडन गार्डन्स में उनका बल्ला उठाना परेशान करने वाला होगा.

उन्होंने मैच शुरु होने से पहले कहा था कि भारत और श्रीलंका के बीच लगातार हो रहे क्रिकेट के कारण फैंस के दूर जाने के मसले पर विचार किया जाना जरूरी है.

ऐसे में जब इस बात को लेकर बहस हो रही है कि टी-20 से टेस्ट क्रिकेट को खतरा है, हमेशा हजारों लोगों की तालियों और शोर से थर्राने के आदी रहे ईडन गार्डन्स के खाली स्टैंड चिंतित करते हैं.

भारत को बड़ी टीमों के साथ खेलने होंगे टेस्ट मैच

एक ऐसी टीम जो लगातार हार रही हो, उसके साथ हर साल टेस्ट या वनडे सीरीज से क्रिकेट प्रेमियों का जोश ठंडा होना लाजिमी है. श्रीलंका के खिलाफ हर फतेह के बाद भारतीय क्रिकेट प्रेमियों की रगों में खून की रफ्तार दोगुनी होती है, इस बात पर थोड़ा शक है.

सुबह सात बजे उठ कर ट्रेन-बस में धक्के खाने के बाद भी क्रिकेट प्रेमियों को कोई शिकायत नहीं होती, बशर्ते उनकी टीम एक ऐसी टीम को पीटे जो बाकी मुल्कों की टीमों को किसी भी मैदान पर धो डालने में सक्षम हो. ऐसा एहसास ऑस्ट्रेलिया या साउथ अफ्रीका के खिलाफ होने वाले मैच ही देते हैं.

समय आ गया है कि टीम इंडिया को अपनी क्षमता और काबिलियत पर भरोसा बनाए रखने के लिए इन टीमों के साथ ज्यादा क्रिकेट खेलना टेस्ट मैच को बचाने की जरुरत है. संभव है कि एक बार फिर से टेस्ट मैचों में स्टेडियमों के बाहर भीड़ को काबू करने के लिए पुलिस को लाठियां चलानी पड़ें.