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अंपायर महोदय, नो बॉल भी नहीं देख सकते तो मैदान पर क्या कर रहे हैं

एक बार फिर नो बॉल नहीं देख सके अंपायर, राहुल ने भुगता खामियाजा

Shailesh Chaturvedi

पिछले कितने मैचों में आपने देखा है कि कोई बल्लेबाज आउट हुआ, तब तीसरे अंपायर ने नो बॉल चेक की? लगातार देखते होंगे, क्योंकि इसका चलन बढ़ता जा रहा है. और इसका भी चलन बढ़ता जा रहा है कि अंपायर कई बार गलत होता है. बल्लेबाज को वापस बुला लिया जाता है. क्या नो बॉल का पता लगाना इतना ही मुश्किल है?

भारत और इंग्लैंड के बीच तीसरे टी 20 मुकाबले में भी ऐसा ही हुआ. अंपायर अनिल चौधरी नो बॉल पता करने में चूके. नतीजा ये हुआ कि केएल राहुल को पवेलियन जाना पड़ा. कुछ देर के बाद एक्शन रीप्ले से पता चला कि बेन स्टोक्स ने नो बॉल की थी. यानी एक तो राहुल को आउट नहीं दिया जाना चाहिए था. दूसरा, उन्हें फ्री हिट मिलती. उस वक्त राहुल जबरदस्त शॉट खेल रहे थे.


ऐसे पहली बार नहीं हुआ है. इन दोनों टीमों के बीच तीसरे वनडे में भी यही हुआ था. अभी अंपायर अनिल चौधरी थे, तो तब कुमार धर्मसेना की बारी थी. धर्मसेना की अंपायरिंग पर वैसे भी लगातार सवाल उठते रहे हैं. तब बुमराह की गेंद पर बेयरस्टो ने थर्ड मैन की दिशा में शॉट खेला, वहां खड़े अश्विन ने आसानी से कैच पकड़ा. लेकिन कैच पकड़ने के बाद अंपायर धर्मसेना ने थर्ड अंपायर से पूछा कि कहीं गेंद नो बॉल तो नहीं है. रिप्ले में साफ दिखा कि बुमराह का पैर क्रीज के बाहर था.

थर्ड अंपायर ने गेंद को नो बॉल देकर बेयरस्टो नॉट आउट करार दिया. उस गेंद पर बेयरस्टो कैच आउट नहीं होते तो अंपायर नो बॉल चेक करवाते, शायद नहीं. अब सवाल ये है कि अगर अंपायर को पता है कि गेंद नो बॉल है तो उसी समय उन्होंने नो बॉल क्यों नहीं दी. अगर सारी जिम्मेदारी तकनीक के सहारे निभानी है तो फील्ड अंपायर का क्या काम है.

पिछले टी 20 मैच में अंपायर शमसुद्दीन के फैसलों ने काफी बवाल करवाया था. शमसुद्दीन ने पहले विराट कोहली को आउट नहीं दिया था. जबकि वो साफ एलबीडबल्यू दिखाई दे रहे थे. खैर, इस तरह की गलती हो जाती है. लेकिन बुमराह के आखिरी ओवर में उन्होंने जो गलती की, उसका बड़ा खामियाजा इंग्लैंड ने भुगता. रूट को उन्होंने आउट दिया, जबकि गेंद बल्ले का किनारा लेकर पैड पर लगी थी.

इंग्लैंड ने इसकी शिकायत मैच रेफरी से की थी. दिलचस्प है कि उसके बाद अंपायर शमसुद्दीन ने तीसरे टी 20 मैच से तबीयत खराब होने की बात कहते हुए हटने का फैसला किया. ये साफ नहीं है कि शमसुद्दीन के हटने में उनकी खराब अंपायरिंग का योगदान है या नहीं.

एलबीडबल्यू तो अलग बात है. हर मैच में, हर बार अंपायर नो बॉल, रन आउट के लिए तीसरे अंपायर का सहारा लेते हैं. सवाल यही है कि अगर तकनीक का होना फायदा पहुंचाने के लिए होता है. यहां तो तकनीक की वजह से मैदानी अंपायर स्तरहीन दिखने लगे हैं. भारत को इस लिहाज से ज्यादा गंभीरता से मामला लेने की जरूरत है. दुनिया में सम्मानित अंपायरों की लिस्ट देखी जाए, तो पिछले एक दशक में कोई भारतीय अंपायर नहीं मिलेगा.