क्या आप जानते हैं कि चौके या बाउंड्री के लिए संस्कृत में क्या शब्द है? क्या आपको यह पता है कि टॉस, बल्लेबाज और रन के लिए क्या कहा जा सकता है? हम आपको बताते हैं. संस्कृत में चौके को कहा जाता है चतुर्धावनांक, छक्के के लिए षष्ठाधावनांक, ओवर के लिए षडावधि:, बल्लेबाज के लिए फलत धारक, टॉस के लिए मुद्राक्षेपणम और रन के लिए धावनांक शब्द होता है.
आपको लग रहा होगा कि ये सब क्या है. ये है जैसा देश, वैसा भेष. भारत में क्रिकेट को एक तरह से धर्म का दर्जा भले ही हासिल हो लेकिन बहुत लोग इसे विदेशी खेल कहकर इसकी आलोचना भी करते हैं. क्रिकेट का यह खेल इंग्लैंड में पैदा हुआ और औपनिवेशिक काल में भारत समेत दुनिया भर में ब्रिटिश राज के साथ-साथ फैल गया.
कहा जाता है कि खेल राजनीतिक सीमाओं को नहीं जानता और अब वाराणसी की संपूर्णानंद संस्कृत यूनिवर्सिटी मे मंगलवार को क्रिकेट का एक ऐसा मुकाबला देखने को मिला जिससे साबित होता है की खेल सांस्कृतिक सीमाओं से भी परे होता है.
क्रिकेट के खेल को एक दौर में जेंटलमेंस गेम कहा जाता था और इसके कुछ बेसिक नियम अपने आप में कभी ना बदलने वाले हैं लेकिन वाराणसी में इस जेंटलमेंस गेम का एक नया ही रूप देखने को मिला है.
यूनिवर्सिटी के सिल्वर जुबली कार्यक्रम को मौके पर इस मैच में खिलाड़ी सफेद जर्सी में नहीं कुर्ता-धोती में नजर आए. यही नहीं, इस मैच की कमेंट्री भी इंग्लिश या हिंदी में नहीं बल्कि विशुद्ध संस्कृत में हुई.
इस टूर्नामेंट में पांच संस्कृत विद्यालयों की टीमों ने हिस्सा लिया. खिलाडि़यों के साथ ही मैदान में मौजूद अंपायरों ने भी पारंपरिक भारतीय कपड़े पहन रखे थे. पूर्व रणजी खिलाड़ी धीरज मिश्रा और संजीव तिवारी ने इस दौरान अंपायरिंग की. धोती-कुर्ता पहने बल्लेबाजों को बैटिंग और रन लेने के दौरान किसी तरह की समस्या नहीं हुई. वे बड़े आराम से खेलते हुए नजर आए.
संस्कृत क्रिकेट लीग के नाम से होने वाला यह टूर्नामेंट हर साल आयोजित होता लेकिन इस बार की खासियत यह रही कि इस मैच की कमेंट्री भी संस्कृत में हुई जिसमें दर्शकों की दिल जीत लिया. वेद और पुराणों का अध्ययन करने वाले छात्र बैट और बॉल के साथ अपना हुनर दिखाते नजर आए.
(Input News 18)