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आईसीसी महिला वर्ल्डकप: ये 'खीज' जो तुमने जीती है... हार से बड़ी है

पहली बार महिलाओं की टीम को हमने अपनी टीम की तरह देखा- उसकी जीत से खुश हुए, उसकी हार पर दुख हुआ.

Pawas Kumar

महिला विश्वकप का फाइनल हम हार गए. यहां 'हम' पर थोड़ा जोर दूंगा क्योंकि यही 'हम' इस पूरे विश्वकप की सबसे बड़ी जीत है. पहली बार महिलाओं की टीम को हमने अपनी टीम की तरह देखा. उसकी जीत से खुश हुए, उसकी हार पर दुख हुआ. यह दीगर बात है कि अभी भी फेसबुक और ट्विटर पर 'म्हारी छोरियां छोरों से कम है क्या' जैसे स्टेटस अपडेट दिखते हैं. यह कहीं न कहीं वही कहते हैं जो दरअसल नहीं कहना चाहते.

सुबह-सुबह दफ्तर में घुसते ही एक सहकर्मी ने कहा, 'जीता हुआ मैच हार गए. ऐसा लगा कि बहुत प्रेशर में आ गए. यार थोड़ा टिककर खेलते तो जीत जाते.'


ऐसी खीज अक्सर इंडिया के मैचों में सुनी है. अपने पिता से, अपने दोस्तों से और अपने भाइयों से. आमतौर पर ऐसी बातें सुनकर कहने का मन करता है कि इतना जानते हो तो खुद ही खेल लो. अपने सहकर्मी की बातें सुनकर यही बोलने का मन किया. लेकिन साथ में मुझे उसकी यह खीज बड़ी अच्छी भी लगी.

यही खीज तो असली जीत है- हमने लड़कियों की इस टीम को अपनी टीम मान लिया है. हमें उनकी हार से फर्क पड़ा. जब वह जीत रही थीं तो हमें उनपर गर्व हो रहा था.

मुझे लगता है कि भारतीय खिलाड़ियों को इस खीज का एहसास होना चाहिए. आगे से जब वह किसी मुकाबले में उतरें तो उन्हें याद रहे कि उनके खेल पर हमारा गर्व या हमारी खीज निर्भर करती है. उन्हें याद रहे कि अब उनकी जीत-हार में हमारी जीत-हार जुड़ गई है.

उन्हें मालूम होना चाहिए कि अब वह हमारे लिए बेचारी लड़कियां नहीं रह गई हो जिनका खेल लेना ही बड़ी बात है. उन्हें अब कोरी सहानुभूति नहीं मिलेगी कि यहां तक पहुंच गई हो यही काफी है. उन्हें इस बात पर गुस्सा आना चाहिए कि उनकी हार के कारण एक अंग्रेज पत्रकार हमारे सहवाग से शर्त जीत गया.

टीम इंडिया की हार पर खीज जताते हम फैंस को भी याद रखना होगा कि विश्वकप की हार से काम खत्म नहीं हुआ है. अब तो इन लड़कियों को हमारी सबसे ज्यादा जरूरत है. हमें अपनी हरमनप्रीतों, मितालियों और दीप्तियों के लिए जोर लगाना जारी रखना होगा. उनके मैच देखने होंगे और जीत पर जश्न मनाना होगा. हमें उनकी हार पर खीजना जारी रखना होगा क्योंकि वर्ल्डकप हारकर हमने यह खीज जीती है. इतनी कीमती खीज खोनी नहीं है.