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किस्सा-ए-जयसूर्या: क्या क्रिकेटरों की बजाय 22 गज जमीं खरीद, क्रिकेट बेच रहे हैं जालसाज !

जयसूर्या के खिलाफ आईसीसी का नोटिस एक बहुत बड़े और पावरफुल रैकेट के एक्टिव होने की ओर इशारा करता है

Jasvinder Sidhu

क्रिकेट की दुनिया का ध्यान आमतौर पर भारत, ऑस्ट्रेलिया, इंग्लैंड या साउथ अफ्रीका जैसी टीमों पर ही रहता है. ज्यादा लोगों को इस बात की परवाह नहीं रहती है कि श्रीलंका और जिम्बाब्वे के बीच गॉल या हम्बनटोटा ग्राउंड में चल रहे वनडे मैचों में क्या हो रहा है! लेकिन अगर इस खेल को चलाने वाली इंटरनेशनल क्रिकेट काउंसिल (आईसीसी) एकाएक क्रिकेट के महानायकों में एक रहे श्रीलंका के सनत जयसूर्या के खिलाफ खेल में भ्रष्टाचार की जांच शुरू करती है और उन्हें उनके ऊपर लगे आरोपों पर दो हफ्तों के भीतर जवाब देने का नोटिस देती है, तो ऐसे मैचों में फिर से लौटना जरूरी हो जाता है.

क्यों घेरे में आए जयसूर्या


आईसीसी सूत्रों के अनुसार श्रीलंका के चयनकर्ता रहे जयसूर्या पर जिन आरोपों की जांच हो रही है उनमें पिच फिक्सिंग भी है. आईसीसी ने साफ नहीं कहा है कि उनके खिलाफ मैच फिक्सिंग या पिच फिक्सिंग के आरोप हैं, लेकिन जो आईसीसी की भ्रष्टाचाररोधी धाराएं उन पर लगाई गई हैं, उनसे संकेत मिलता है कि उनकी इस सब में भूमिका की जांच हो रही है. उन्होंने न केवल जांच में सहयोग करने से इनकार कर दिया, बल्कि सबूतों को नष्ट कर दिया.

आईसीसी इस समय श्रीलंका में क्रिकेट के भ्रष्टाचार के तीन मामलों की जांच कर रही है और उनमें से एक श्रीलंका और जिब्बावे के बीच पिछले साल जुलाई में खेली गई वनडे सीरीज भी है.आईसीसी यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि कहीं मैचों को प्रभावित करने के लिए जालसाजी तो नहीं हुई. पहली नजर में आईसीसी के जासूसों को जांच शुरू करने का ठोस आधार मिला है. आईसीसी मान चुकी है कि क्रिकेटरों के चौकन्ने होने और उन्हें दी जा रही शिक्षा के कारण इस खेल का भ्रष्ट करने वालों पर अंकुश लगा है और यह भी कि ये सभी नए तरीके अपना रहे हैं.

किन मैचों पर है शक!

पिछले दो साल में श्रीलंका के गॉल स्टेडियम के दो क्यूरेटरों पर आईसीसी भ्रष्टाचार की जांच के बाद प्रतिबंध लगा चुकी है. ऐसे में जिब्बावे के साथ हुई उस सीरीज के स्कोर पर निगाह डालना जरूरी हो जाता है. पांच मैचों की सीरीज का पहला मैच 30 जून 2017 को खेला गया. श्रीलंका ने पहले बल्लेबाजी करके मेहमान टीम को 317 रन का लक्ष्य दिया. जिम्बाब्वे ने यह बड़ा स्कोर 47.4 ओवर में ही छह विकेट बचा कर हासिल कर लिया.

दूसरा मैच भी इसी मैदान पर खेला गया और जिम्बाब्वे की टीम 34वें ओवर में 155 रन पर निपट गई. श्रीलंका ने वह मैच करीब बीस ओवर पहले जीत लिया. तीसरा, चौथा और पांचवां वनडे एक मैदान यानी हम्बनटोटा में खेले गए. जिम्बाब्वे तीसरा मैच 300 रन बनाने के बावजूद हार गया.

चौथे मैच में श्रीलंका का स्कोर 300 रन था लेकिन बारिश के कारण जिम्बाब्वे वह मैच डकवर्थ-लुइस नियमों के कारण जीता. पांचवें मैच में श्रीलंका ने फिर पहले बल्लेबाजी की, लेकिन इस बार पूरी टीम 203 रन पर सिमट गई. जिम्बाब्वे ने वह मैच 71 बॉल रहते जीत लिया. जिंब्बावे वह सीरीज 3-2 से जीता.उस पूरी सीरीज में एक ही मैदान पर पिचों का मिजाज सामान्य नहीं दिखा. हो सकता है कि कारण क्रिकेटीय ही रहे हों लेकिन आईसीसी की जांच हो रही है.

मैच फिक्सिंग का ही जरिया है पिच फिक्सिंग

यह भी रोचक है कि आईसीसी इस समय भ्रष्टाचार के 18 मामलों की जांच कर रहा है और इनमें पिच फिक्सिंग भी शामिल हैं. यह तय है कि मैच फिक्सिंग से ज्यादा पिच फिक्सिंग का खतरा इस खेल की कमर तोड़ देने में कोई कसर नहीं छोड़ेगा, क्योंकि किसी कप्तान या खिलाड़ी को फांसने के लिए काफी मेहनत करनी पड़ती है.

इसके बावजूद भी अपनी मर्जी का परिणाम तय नहीं है क्योंकि जरूरी नहीं कि खेल के दौरान मैदान पर परिस्थितियां भ्रष्ट खिलाड़ी को अपनी मर्जी से चलने का मौका दें. लेकिन अगर पिच फिक्स है और आपको पता है कि स्कोर बोर्ड पर बड़ा स्कोर चढ़ने वाला है या फिर बल्लेबाजी करने वाली टीम ताश के पत्तों की तरह से ढहने वाली है तो आपको खिलाड़ी की जरूरत ही नहीं है. बस वेतन पर काम करने वाले क्यूरेटर और उसके ग्राउंड स्टाफ को डॉलर्स का एक बंडल दिखाना ही काफी है.